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ताकि चल सकें आप समय के साथ -आधुनिक महिलाओं की जिम्मेदारी पुराने समय की महिलाओं से कई गुना अधिक हो गई है, जबकि आधुनिक समय में महिलाओं के लिए कई सुविधाएं भी हैं। फिर भी नौकरी ने महिलाओं पर अतिरिक्त बोझ डाल दिया है। महिलाओं को भी ऐसे वातावरण में रहने के लिए स्वयं को तैयार कर लेना चाहिए या हालात के साथ खुशीपूर्वक समझौता करना उनकी समझदारी को दर्शाता है।

थोड़ी-सी समझदारी से आप अपने आपको कई परेशानियों से दूर रख सकती हैं।

दिन की शुरूआत:-

सुबह जल्दी उठें ताकि सभी काम आसानी से निपटा सकें। सुबह क्या करना है, क्या बनाना है प्रमुखता के आधार पर रात्रि में सोने से पहले अगली सुबह की योजना मन में बना लें और प्रात: उसी के अनुसार एक-एक काम निपटाते जाएं क्योंकि प्रात: पतिदेव के साथ-साथ आपको भी आॅफिस जाना है और परिवार के अन्य सदस्यों के लिए नाश्ते और लंच की तैयारी भी करनी है।

समय प्रबंधन कर चलें:-

अपने समय को कार्यानुसार बांट लें। ऐसा टाइमटेबल बनाएं जिसके चलते आप उचित समय पर अपने सभी कार्य तो निपटा ही लें, साथ ही कुछ समय स्वयं के लिए भी बचा सकें।

काम को लटकाने की आदत न डालें:-

अपना काम न तो आधा-अधूरा छोड़ें, न ही उसे बाद में करने की आदत को पालें। यदि किसी कारणवश काम अधूरा रह जाता है तो अगले दिन समय मिलते ही उसे पूरा अवश्य कर लें।

अपने शौंक को भी प्रमुखता दें:-

अपने शौंक दबाएं नहीं, उनके लिए भी उचित समय निकालें। यदि ऐसा नहीं करेंगे, तो जीवन जल्दी बोझिल लगने लगेगा और बाकी काम आप मजबूरीवश निपटाएंगी। प्रत्येक काम को पूरे मनोयोग से आनंदपूर्वक निपटाएं ताकि आपको कोई भी काम स्वयं पर बोझ न लगे।

परेशानियों का सामना चुनौती समझ कर करें:-

जीवन में उतार-चढ़ाव तो आते ही रहते हैं और कई बार परेशानियां आ जाती हैं। पर हिम्मत न हारें। उनका डटकर मुकाबला करें। फिर देखिए, कठिनाइयां स्वयं दूर हो जाएंगी।

परिवार के लिए समय निकालें:-

अपनी दिनचर्या को ऐसा प्लान करें जिसमें कुछ समय परिवार और बच्चों को भी मिल सकें, ताकि आपका परिवार आपके कामकाजी होने से उपेक्षित न हों। उपेक्षित करने से परिवार को बिखरने में समय नहीं लगता। परिवार और बच्चों को स्वयं से बांध कर चलें। उनकी इच्छाओं को समय की कमी का निशाना न बनाएं।

मदद लेने में न हिचकिचाएं:-

कामकाजी महिलाओं को परिवार के अन्य सदस्यों से मदद लेने में हिचकिचाना नहीं चाहिए क्योंकि परिवार को सुचारू रूप से चलाना परिवार के हर सदस्य का कर्तव्य है। पति और बच्चों पर छोटी-छोटी जिम्मेदारी डालें। यदि संयुक्त परिवार है तो परिवार के अन्य सदस्यों से भी सहयोग लें।

फिजूल की बातों को नजरअंदाज करें:-

छोटी-मोटी फालतू बातों को लेकर राई का पहाड़ न बनाए। इससे आपका समय तो बर्बाद होता ही है, साथ ही मूड पर भी बुरा असर पड़ता है। गलती हो जाने पर उसे सुधारने में हिचकिचाएं नहीं। -नीतू गुप्ता

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