son! There is power in devotion, keep doing it.

सत्संगियों के अनुभव Experiences of Satsangis पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपार रहमत
‘‘बेटा! भक्ति में शक्ति है, करते रहो…’’ son! There is power in devotion, keep doing it.

माता नरेंद्र कौर इन्सां पत्नी श्री तिलक राज गांव नंदन जिला होशियारपुर हाल आबाद प्रीत नगर सरसा (हरियाणा)।

सन 2005 की बात है मेरा पौत्र तरुण पुत्र संदीप कुमार आयु 4 वर्ष बच्चों के साथ खेलता खेलता प्राइमरी स्कूल की सीढ़ियों से गिर पड़ा। उसके चोट लग गई। बच्चों द्वारा बताने पर हम उसे स्कूल से उठाकर घर ले आए। हमने उससे पूछा कि तेरे कहां चोट लगी है? उसने कहा कि मेरी टांग पर चोट लगी है। हमने दोनों टांगें पाव ऊपर से नीचे से अच्छी तरह देखे, परंतु हमें कोई समझ न आई व न ही कोई जख्म था। बच्चा बार बार रो रहा था व पांव नीचे नहीं लगा रहा था। हम लोगों के कहने पर उसे टूटी हड्डियों का इलाज करने वाले के पास गांव पीपला वाला ले गए। उसने बच्चे के मालिश कर दी व हमें कहने लगा कि बच्चे के घुटने की चटनी घूम गई है, जो कच्ची करके फिर घुमानी पड़ेगी।

हमने सोचा कि बच्चा छोटा है कहीं और नुकसान ना हो जाए। हम अगले दिन बच्चे को सिविल अस्पताल होशियारपुर ले गए। डॉक्टर ने बच्चे का अच्छी तरह चेकअप किया और हमें कह दिया कि बच्चे को कमजोरी है। एक हफ्ते की दवाई ले जाओ। हम हफ्ते की दवाई ले आए। हम उसे दवाई देते रहे व साथ-साथ लोगों के कहने मुताबिक कभी बच्चे को कटे सांपों का इलाज करने वाले के पास ले गए, कभी किसी के पास तथा कभी किसी के पास ले जाते रहे। किसी ने जड़ी-बूटियां लिखकर दी कि इस को पानी में उबालकर गर्म पानी की भाप दो, किसी ने आटे की गरम रोटी बांध बांधने के लिए कहा। हमने उनके बताए अनुसार सब कुछ किया परन्तु बच्चे का दर्द उसी तरह रहा। खड़ा भी न जाए।

हम टट्टी-पेशाब भी उसे छोटे बच्चों की तरह नीचे करके करवाते रहे। एक हफते के अन्दर-अन्दर बच्चा बिल्कुल कमजोर हो गया। उसकी एक टाँग पतली व पॉव टेढ़ हो गया तथा लक्क (कमर) सूख गया। फिर हम बच्चे को हड्डियों के डाक्टर पुरेवाल के पास सलामाबाद ले गए। बच्चे का चैकअप करके डाक्टर कहने लगा कि तुम बच्चे को सिविल हस्पताल होशियारपुर ले जाओ। हमने उस डाक्टर को विवरण सहित सारी बात बताई कि वहां से बच्चे को कोई फायदा नहीं हुआ। आप बताएं हम क्या करें। उन्होंने हमें कहा कि आप बच्चे को स्टैंड वाला बूट डलवा दो, टॉग को स्पोट रहेगी। डाक्टर ने बूट का नाप ले लिया तथा अगले हफ्ते बूट लेजाने के लिए कहा।

अब हम दोबारा बच्चे को सिविल हस्पताल होशियारपुर ले गए। डाक्टर बच्चे को देख कर हमें कहने लगा कि इसको तो पोलियो हो गया। तुम लोग पहले टीके नहीं लगवाते, अब हमारे महकमे को बिपत्ता में डाल दिया है। हमने कहा कि हमने पोलियो का कोई डरापस व टीका मिस नहीं किया। इसके चोट लगी है व चोट लगने पर आप ने बच्चे को कमजोरी की दवाई दे दी थी। दवाई खाने से कोई फर्क नहीं पड़ा बल्कि बच्चे की टाँग व कमर सूख गई व पॉव टेढा-मेढा हो गया। अब हमें हड्उियों वाले डाक्टर पुरेवाल ने फिर आप के पास भेजा है तथा आप अब कमजोरी वाली बात को छोड़ कर पोलियो बताने लग गए हो। डाक्टर ने हमें कहा कि आप इसे लुधियाना ले जाओ, वहां इसका पोलियो टैस्ट होगा। उसने यह भी कहा कि हमारे पास इसका कोई इलाज नहीं। फिर हमने उसी पर्ची पर वहाँ बच्चों के डॉक्टर को दिखाया।

उस डॉक्टर ने चैंक-अप करके कहा कि यह तो पोलियो केस लगता है। आप इसे लुधियाना ले जाओ, वहां पर ही इसका टैस्ट होगा। फिर हम लुधियाना नहीं गए। हम(मैं और मेरा पति) अपने फैमिली डॉक्टर मंगलानी की राए लेने के लिए उसके पास आदमपुर चले गए। उसने हमें बच्चे का सिटी स्कैन करवाने के लिए देवी तलाब हस्पताल जालन्धर भेज दिया। बच्चे की सिटी स्कैन करवा कर हमने मंगलानी डॉक्टर को दिखाई तो डाक्टर साहिब ने रिपोर्ट देखकर हमें कहा कि बच्चे का आॅपरेशन करना पड़ेगा। एक अब तथा एक जब बच्चा पन्द्रह साल का होगा। हमने आॅपरेशन का खर्चा पूछा तो उसने 8500 रुपए बताया व दवाई का खर्चा अलग। दवाई चार महीने चले, 6 महीने चले या साल चले।

फिर हमने कहा कि गारन्टी? तो डाक्टर ने कहा कि इसकी गारन्टी कोई नहीं। फिर हमने दूसरे आॅपरेशन के बारे में पूछा तो डॉक्टर ने कहा कि हमने जो टांग ठीक है, उसकी मास पेशियाँ निकालकर दूसरी टॉग में डालनी हैं। परन्तु हम गारन्टी कोई नहीं दे सकते कि यह सब ठीक हो जाएगा। डॉक्टर ने कहा कि बताओ, आॅपरेशन कर दें? हमने कहा कि हम अपनी इच्छा से नहीं करवा सकते। हम घर जाकर बहू-बेटे से पूछ कर करवा लेंगे।हम बच्चे को वापिस घर ले आए। जब घर पहुँचे मेरा हौंसला टूट गया कि अब मेरे पौत्र को कहीं से भी आराम नहीं आएगा। मेरा पौत्र अपाहज हो गया। यह सोच कर में फूट-फूट कर रोने लगी। जोर-जोर से चिल्ला कर रोने लगी। बच्चे के दादा को क्रोध आ गया तथा तथा वह मुझे बुरा-भला कहने लगा कि एक तो मैं वैसे ही परेशान हूँ। जहाँ कोई कहता है, वहां पर ही ले जाता हूँ।

न रात देखते हैं न दिन। पैसा लगाए जा रहे है। अब क्या करें! दूसरा इसने घर में शोक (सोग) डाल रखा है। अगर इसे कहते हैं कि रहने दे रब्ब भरोसे जो हो गया! अब हम क्या कर सकते हैं। रब्ब भरोसे की बात सुनकर मुझे अपने सतगुरु परम पूजनीय हजूर पिता संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की याद आ गई। उसी समय मुझे हजूर पिता जी की आवाज आई कि ‘रब्ब ते भरोसा तां ही होएगा जेकर तूँ सुमिरन करेंगी।’ पिता जी की आवाज सुन कर मुझे महसूस हुआ कि मैं गुनाहगार हूँ। मैंने कभी भी सुमिरन नहीं किया। मुझे विश्वास हो गया कि अगर मैं सुमिरन करूं तो मेरा पौत्र ठीक हो जाएगा। मैंने उसी दिन से सुमिरन करना शुरू कर दिया। मैं एक घण्टा सुबह व एक घण्टा शाम को बैठकर सुमिरन करती व चलते-फिरते हर समय सुमिरन करती रहती। कई बार पौत्र को गोदी में बिठा कर सुमिरन करती तथा उसको देखकर मुझे वैराग्य आ जाता, रो पड़ती। सतगुरु की दया-मेहर से पन्द्रह दिनों के सुमिरन से मेरे पोते की टाँग बराबर हो गई।

मैैं यह देखकर हैरान हुई तथा दिन-रात सुमिरन करने लगी। उसकी कमर सही हो गई। दो महीनों के सुमिरन से इतनी खुशी हुई कि मुझे समझ न आए कि यह सब कैसे हो गया। मैंने यह करिश्मा पूज्य हजूर पिता जी की हजूरी में सुनाया तो पिता जी ने वचन फरमाए, ‘बेटा, भक्ति में शक्ति है, करते रहो।’ मैं सारी साध-संगत को विनती करती हूँ कि अधिक से अधिक सुमिरन किया करो। इससे बड़ी कोई चीज नहीं। मैं अपने सतगुरु पूज्य हजूर पिता जी का बहुत-बहुत धन्यवाद करती हूँ।

किसी महात्मा ने ठीक ही लिखा है:-

नाम है दारू सब रोगां दी,
सभे दुख मिटावे नाम।
नाम ‘च शक्ति इतनी लोको,
बिगड़ी गल बणावे नाम।

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