sacha sauda

सम्पादकीय
सर्वधर्म की मिसाल है सच्चा सौदा sacha sauda
अनेकता में एकता का नाम ही भारत देश है। ऐसा अक्सर कहा जाता है कि यह विविधताओं का देश है। चाहे कोई हिंदू है या मुस्लिम, सिख हो या ईसाई, चाहे कोई किसी भी धर्म-जात का है और चाहे खानपान, पहरावा, भाषा बोली भी अलग-अलग है, लेकिन कहलाते अपने-आपको सभी भारत के नागरिक हैं।

सभी धर्मों के लोग यहां पर हैं और अपने-अपने धर्म, संस्कृति को अपनाए हुए हैं। अल्लाह, राम, वाहेगुरु, गॉड की भक्ति-इबादत का भी सभी को अधिकार है।

भारत देश की यही संस्कृति है।

इसकी रक्षा करना, अपने-अपने धर्म के अनुसार चलना देश के हर नागरिक का धर्म है। प्रत्येक इन्सान का फर्ज है। भारतीय होने के नाते, सभी देशवासी (बहन-भाई) एक ही हैं। हमारे गुरु, महापुरुषों ने भी एकता का संदेश दिया है। संतों के अनुसार सभी प्राणी परमपिता परमात्मा के एक ही नूर से उत्पन्न हुए हैं और सभी के अंदर उसी का ही नूर समाया हुआ है।

‘‘एक पिता एकस के हम बारिक।’’

‘‘अव्वल अल्लाह नूर उपाइया कुदरत के सभ बंदे।।

एक नूर से सब जग उपजिया कउन भले को मंदे।।’’

सभी महापुरुषों ने सभी को एक कहा है, एकता का संदेश दिया है, लेकिन इन्सान कहता है कि मैं और तथा वह कोई और है। तो यह फर्क क्यों है? गुरु, पीर-फकीरों के वचनों को पढ़ता-सुनता तो जरूर है, पर मानता नहीं। इन्सान अगर वाकई में प्रैक्टिकली तौर पर भी मानने लग जाए, तो सचमुच में ही भाग्यवान, भाग्यशाली और सबसे अधिक विकसित देश कहलाए यह भारत। भगवान से दुआ है कि ऐसा हो जाए! सभी लोग, सभी देशवासी प्रेम के धागे में बंध जाएं!

लेकिन प्रैक्टिकली जो देखने-सुनने में आता है कि हिंदू, मस्जिद में नहीं जाता। मुस्लिम, मंदिर में नहीं जाता। इसी प्रकार सिख, ईसाई हैं, वो अपने धर्म-स्थान के अलावा एक-दूसरे के यहां नहीं जाते। यह बात तो अलग है, लेकिन नफरतें, ईर्ष्या तो नहीं होनी चाहिए ना! यही भेदभाव तो मिटाने आते हैं संत, रूहानी फकीर।

पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने ‘डेरा सच्चा सौदा’ sacha sauda ऐसा पवित्र स्थान बनाया है, जहां हर कोई, हर धर्म, जात का इन्सांन आ सकता है। केवल आ ही नहीं सकता, बल्कि अपने-अपने धर्म, मर्यादा के अनुसार भक्ति-इबादत में एक ही जगह पर इकट्ठे बैठकर अपने-अपने अल्लाह, राम, वाहेगुरु, गॉड का गुणगान कर सकते हैं। कोई रोक-टोक नहीं किसी के पहनावे पर। कोई रोक-टोक नहीं किसी की भाषा या बोली पर।

सर्वधर्म संगम है डेरा सच्चा सौदा। मिसाल है दुनिया पर कि यहां पर सभी धर्म, जात, मजहब के लोग इकट्ठे एक जगह बैठते हैं। सभी लोग इकट्ठे एक ही जगह पर बैठकर अपने-अपने धर्मानुसार परमपिता परमात्मा की भक्ति करते हैं।

‘सच्चा सौदा इक धाम बनाया है
सच्चा सौदा की है वल्ल करन सिखाया।
एदूं सौखा नहीं कोई काम, कोई लगदे ना दाम।

ऐसा सरल, आसान तरीका बेपरवाह साईं जी ने दुनिया को न केवल बताया या समझाया, बल्कि प्रैक्टिकली करवाया। जो आज भी मिसाल है।

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