नाम से ही सब कुछ है -सम्पादकीय पावन एमएसजी गुरुमंत्र भंडारा माह
नाम-शब्द, गुरुमंत्र की महानता से जुड़ा यह मार्च का महीना डेरा सच्चा सौदा के लिए अति विशेष महीना है, क्योंकि इसी महीने में पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने अपने सतगुरु पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना महाराज से नाम-शब्द हासिल किया और पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने भी अपने सच्चे दाता रहबर पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज से इसी महीने ही नाम-शब्द हासिल करके इस (मार्च) महीने की शोभा को चार चाँद लगा दिए। पूज्य गुरु जी ने इस मार्च महीने को ‘पावन एमएसजी गुरुमंत्र माह’ और इस खुशी में पावन एमएसजी गुरुमंत्र भण्डारा मनाने का आह्वान करके साध-संगत को अपने प्यार व खुशियों से निहाल कर दिया।
वर्णनीय है कि पूजनीय परमपिता जी ने इस ऐतिहासिक माह में घूकांवाली दरबार में गुरुमंत्र हासिल किया, जो अपने आपमें बेमिसाल है। पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने 14 मार्च 1954 को घूकांवाली दरबार में सत्संग फरमाया। सत्संग कार्यक्रम की समाप्ति के बाद पूजनीय सार्इं जी ने पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी दाता का नाम लेकर आवाज लगाई, (जिस प्रकार पहले भी कई बार पूजनीय परमपिता जी ने जब भी कभी नाम-शब्द लेने की कोशिश की, तो सार्इं जी हर बार उन्हें यह कहकर नाम वालों से उठा दिया करते कि ‘अभी आपको नाम-शब्द नहीं मिलेगा।
जब हुक्म हुआ तो खुद आवाज देकर, खुद बुलाकर नाम देंगे।’ अपने पावन वचनानुसार सत्संग की समाप्ति के बाद सार्इं जी ने आवाज देकर फरमाया) कि ‘हरबंस सिंह जी (पूजनीय परमपिता जी का बचपन का नाम), आज आपको भी नाम-शब्द लेने का हुक्म हुआ है। आप जाकर हमारे मूढे के पास बैठो, हम भी अभी आते हैं।’ पूजनीय सार्इं जी जब नाम-शब्द बख्शने के लिए कमरे में पधारे, तो आपजी को अपने पास बुलाकर अपने मूढे के पास बिठाते हुए ईलाही वचन फरमाए कि ‘आपको इसलिए पास बिठाकर नाम देते हैं कि आपसे कोई काम लेना है। आपको जिंदाराम का लीडर बनाएंगे जो दुनिया में नाम जपाएगा।’
पूजनीय बेपरवाह सार्इं जी ने अपने इन पाक-पवित्र वचनानुसार पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज को 28 फरवरी 1960 को सरेआम साध-संगत में डेरा सच्चा सौदा गुरुगद्दी पर बतौर दूसरे पातशाह विराजमान करके स्पष्ट व साकार कर दिखाया और यह पवित्र दिवस यानि 28 फरवरी का दिन ‘पावन एमएसजी महा-रहमोकरम दिवस’ के नाम से पूरे जगत में साध-संगत का अति हरमन प्यारा दिवस बन गया है।
इसी तरह पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने पूजनीय हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को अपने पास बैठाकर ही नाम-शब्द प्रदान किया। पूज्य गुरु जी दिनांक 25 मार्च 1973 को 5-6 वर्ष की आयु में अपने पूजनीय बापू नम्बरदार मग्घर सिंह जी के साथ डेरा सच्चा सौदा सरसा में मासिक सत्संग पर नाम-शब्द लेने के लिए आए हुए थे। पूजनीय परमपिता जी ने इन्हें विशेष तौर पर खुद अपनी स्टेज के पास बैठाकर नाम-शब्द बख्शा और आप जी की राज़ी-खुशी भी पूछी कि ‘काका! और तो सब ठीक है!’ अर्थात् पूजनीय परमपिता जी का आप जी को अपना बेपनाह प्यार देने का यह एक बेपरवाही अंदाज़ था।
पूजनीय परमपिता जी ने आप जी को 23 सितम्बर 1990 को सरेआम साध-संगत के सामने स्वयं डेरा सच्चा सौदा गुरुगद्दी पर बतौर तीसरे गुरु के रूप में विराजमान करते हुए अपने उस असल उद्देश्य को ज़ाहिर किया और सरेआम संगत में यह भी वचन फरमाया कि ‘आज से हम इस नौजवान बॉडी में सभी कार्य करेंगे। ये (पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां) हमारा ही रूप हैं।’ सच्चे दाता रहबर ने यह भी फरमाया कि ‘हम थे, हम हैं, हम ही रहेंगे।’ और इस तरह यह पवित्र दिहाड़ा (23 सितम्बर 1990) ‘पावन एमएसजी महा-परोपकार दिवस’ के नाम से जाना जाता है।
पूज्य गुरु सच्चे रहबर संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने आखिर में यह भी फरमाया कि ‘सच्चे दाता पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने अपने सच्चे रहबर सतगुरु दाता सावण शाह जी महाराज से डेरा ब्यास (पंजाब) में इसी महीने यानि मार्च में ही नाम-शब्द हासिल करके परमपिता परमेश्वर को अपने मुर्शिद-ए-कामिल के रूप में हर समय अपने अंग-संग पाया तथा उन्हीं के पावन वचनों के अनुसार सरसा-बागड़ में पधारकर सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा स्थापित किया और यहीं से ही जगह-जगह, गांवों, शहरों, कस्बों में जाकर हज़ारों सर्वधर्म सत्संग लगाकर लाखों लोगों को उनकी मांस, शराब, नशे आदि बुराइयां व पाखण्डवाद आदि छुड़वाकर इस अनमोल नाम-शब्द के द्वारा भवसागर से पार लंघाया। इसी पवित्र परम्परा के अनुसार आज सात करोड़ से भी ज्यादा लोग सतगुरु जी से नाम-शब्द लेकर डेरा सच्चा सौदा के मुरीद कहलाते हैं।’ पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज द्वारा लगाया सच्चा सौदा रूपी वो नन्हा-सा पौधा आज बहुत बड़ा वटवृक्ष बनकर पूरी दुनिया को खूब महका रहा है।
पूर्ण संतों का वचन है कि ‘नाम ही सबकुछ है और नाम से ही सबकुछ है। ये सब खंड-ब्रह्मंड नाम के सहारे ही कायम हैं। ये भी वचन हैं कि नाम और नामी में कोई अंतर नहीं है। जिसने नाम को नहीं जाना या उसकी प्राप्ति नहीं की, उसने कुछ भी नहीं जाना और नामी (कुल मालिक परमपिता परमेश्वर) भी उससे करोड़ों कोस दूर है।’
उपरोक्त अनुसार स्पष्ट है कि ‘आदिगुरु’ खुद धुर दरगाह से ही बनकर आते हैं, परंतु रूहानियत में खुद-खुदा, परमेश्वर की पवित्र रिवायत है कि उन पवित्र हस्तियों को भी बाहर कोई न कोई सच्चा गुरु अवश्य धारण करना पड़ता है और वो पूर्ण गुरु ही कुल-मालिक की उस पवित्र हस्ती को नाम-गुरुमंत्र के द्वारा खुद ही पूरी दुनिया पर ज़ाहिर करता है। इस तरह मार्च का यह शुभ महीना ‘पावन एमएसजी गुरुमंत्र माह’ के नाम से जाना जाता है और साध-संगत डेरा सच्चा सौदा में हर साल इस पवित्र दिहाड़े को 25 मार्च के दिन ‘पावन एमएसजी गुरुमंत्र भण्डारे’ के रूप में धूमधाम से मनाती है।
पावन एमएसजी गुरुमंत्र माह भण्डारे की बहुत-बहुत बधाई हो जी।