‘हम आपके गांव में सत्संग करेंगे, पूरे लाम-लश्कर के साथ आएंगे। -सत्संगियों के अनुभव
पूजनीय सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज का रहमो-करम
बुजुर्ग प्रेमी मिस्त्री भंवरलाल इन्सां जिनका पिछला गांव रामगढ़ सेठांवाला जिला सीकर (राजस्थान) में है और जो हाल-आबाद कल्याण नगर सरसा में हैं। उन्होंने पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज के उपरोक्त वचन के बारे बताया कि मैं और मेरा बड़ा भाई मनीराम इन्सां (हम दोनों भाई बेपरवाह जी के समय से ही दरबार में चिनाई की सेवा करते आ रहे हैं) सन् 1957 से डेरा सच्चा सौदा में आ रहे हैं। जब हम 1957 में पहली बार डेरा सच्चा सौदा में आए, हमने पूज्य शहनशाह मस्ताना जी महाराज का सत्संग सुना और नाम ले लिया। फिर बतौर चिनाई मिस्त्री दोनों भाई डेरा सच्चा सौदा सरसा में सेवा करने लगे।
सन् 1959 की बात है, जब शाह मस्तान शाह सतनाम जी धाम व मानवता भलाई केन्द्र डेरा सच्चा सौदा में अनामी गोल गुफा का निर्माण कार्य चल रहा था, मैं और मेरा भाई मनीराम वहां सेवा कर रहे थे। उस समय शहनशाह जी को अकेले बैठे देखकर मैंने मनी राम को साथ लेकर शहनशाह मस्ताना जी महाराज के पवित्र चरणों में अर्ज की, ‘सार्इं जी, आप दुनिया को तार रहे हो, हमारे गांव में भी सत्संग करो, उसे भी तारो!’ शहनशाह मस्ताना जी महाराज एक पल के लिए अपने ध्यान में मग्न हो गए। फिर हमें मुखातिब करते हुए फरमाया, ‘‘हम आपके गांव में सत्संग करेंगे। जब सब सामान अपना होगा। उस समय अपनी गाड़ियां, अपने तम्बू, अपनी रोशनी (जनरेटर सैट), अपने स्पीकर, अपना राशन आदि सब सामान अपना होगा। मौज किसी की मोहताज नहीं होगी। फौज के काफिले की तरह चलेंगे। अपना पूरा लाम-लश्कर साथ लेकर आएंगे।’’
समय बीता, पूजनीय मस्ताना जी महाराज ने 28 फरवरी 1960 को पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज को डेरा सच्चा सौदा में अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर डेरा सच्चा सौदा में बतौर दूसरे पातशाह गुरगद्दी पर विराजमान किया और उसके दो महीने बाद यानि 18 अप्रैल 1960 को खुद जोति-जोत समा गए। पूजनीय परमपिता जी ने अपने सच्चे सतगुरु रहबर पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज के हुक्मानुसार 30-31 वर्ष पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यूपी आदि राज्यों के हजारों गांवों, शहरों व कस्बों में अपने अनगिनत रूहानी सत्संग लगाकर गांव-गांव, शहर-शहर में रूहानियत, राम-नाम का खूब जोर-शोर से प्रचार किया और 12 लाख से भी ज्यादा लोगों को उनकी गंदी आदतों मांस, शराब नशे आदि बुराईयों को छुड़वा कर राम-नाम से जोड़ा। परंतु पूजनीय परमपिता जी हमारे गांव नहीं गए।
पूजनीय परमपिता जी ने 23 सितम्बर 1990 को पूज्य मौजूदा गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को डेरा सच्चा सौदा में बतौर तीसरे गुरु के रूप में गद्दीनशीन किया। हमारा सारा परिवार सन् 1957 से ही पहले की तरह डेरा सच्चा सौदा से जुड़ा हुआ है। शहनशाह मस्ताना जी महाराज ने जो वचन किया था कि ‘गुरु के दर को नहीं छोड़ना’, आज भी हम उन वचनों पर दृढ़ हैं। हमारे लिए तीनों पातशाहियां पूज्य गुरु शाह मस्ताना जी महाराज का ही स्वरूप हैं और उन्हीं का ही नूर हंै।
उक्त संदर्भ में लगभग छत्तीस वर्ष बाद यानि सन् 1995 में हम दोनों भाइयों ने पूज्य मौजूदा हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पवित्र चरणों में अपनी उक्त विनती दोहराई की कि पिता जी, हमारे गांव रामगढ़ सेठांवाला में सत्संग करो जी। आप जी ने पूज्य मस्ताना जी महाराज के स्वरूप में हमसे वायदा किया था कि आपके गांव में सत्संग जरूर करेंगे। परम पूजनीय हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने उसी समय आश्रम के मुख्य सेवादारों मोहन लाल, दर्शन प्रधान (ओड़ निभा गए) आदि को अपने पास बुलाया और हमें वचन किए, ‘तुम अग्गे-अग्गे, हम पिच्छे-पिच्छे।’ जहां तुम कहोगे, वहां सत्संग करेंगे।’ उसी समय ही पूज्य गुरु जी ने हमारी विनती स्वीकर करते हुए हमारे गांव का सत्संग मंजूर कर दिया।
पूजनीय बेपरवाह मस्ताना जी महाराज के उक्त वचनों का सकारात्मक रूप कि ‘पूरे लाम-लश्कर के साथ आएंगे, सब सामान अपना होगा, मौज किसी की मोहताज नहीं होगी,’ हमने अक्तूबर 1995 में वो सब प्रत्यक्ष रूप में देखा। पूज्य हजूर पिता जी अपने पूरे लाम-लश्कर के साथ हमारे गांव में पधारे।
एक अक्तूबर को बरनावा (यूपी) के सत्संग के बाद पूज्य गुरु जी ने राजस्थान के चुरू जिले में तीन सत्संग करने के बाद चौथा सत्संग हमारे गांव रामगढ़ सेठांवाला में किया। जैसे-जैसे बेपरवाह मस्ताना जी महाराज के वचन थे, उस दौरान ठीक वैसे-वैसे ही सब कुछ हुआ। उस समय के दौरान पूज्य गुरु जी ने एक ही बार में राजस्थान तथा मध्यप्रदेश राज्यों में 26 शहरों आदि में सत्संग फरमाए। आखिरी सत्संग 14 अक्तूबर को कंचनपुर जिला आगरा (यूपी) में था।
इस प्रकार पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने अपने पावन वचन अपनी ही तीसरी पवित्र बॉडी यानि पूज्य मौजूदा गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के रूप में पूरे करके दिखा दिए और दिखा रहे हैं। इस तरह पूज्य गुरु जी आज अपने अमृतमयी रूहानी सत्संगों के द्वारा देश-विदेशों के करोड़ों जीवों का उद्धार कर रहे हैं।