कोरोना की विकरालता और पर्यावरण संकट- पर्यावरण दिवस (5 जून)
प्रकृति और मनुष्य के बीच बहुत गहरा संबंध है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। मनुष्य के लिए धरती उसके घर का आंगन, आसमान छत, सूर्य-चांद-तारे दीपक, सागर-नदी पानी के मटके, वन्यजीव संतुलित पर्यावरण और पेड़-पौधे आहार के साधन हैं। इतना ही नहीं, मनुष्य के लिए प्रकृति से अच्छा गुरु नहीं है। आज तक मनुष्य ने जो कुछ हासिल किया वह सब प्रकृति से सीखकर या प्रकृति से पाया है।
प्रकृति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह अपनी चीजों का उपभोग स्वयं नहीं करती। जैसे-नदी अपना जल स्वयं नहीं पीती, पेड़ अपने फल खुद नहीं खाते, फूल अपनी खुशबू पूरे वातावरण में फैला देते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि प्रकृति किसी के साथ भेदभाव या पक्षपात नहीं करती, लेकिन मनुष्य जब प्रकृति से अनावश्यक खिलवाड़ एवं दोहन करता है तब उसे गुस्सा आता है।
जिसे वह समय-समय पर सूखा, बाढ़, सैलाब, चक्रावात, ग्लेशियर का टूटना, तूफान के रूप में व्यक्त करते हुए मनुष्य को सचेत करती है। हमें इस दुखद घड़ी में फिर एक बार प्रकृति, वन्यजीवों एवं पक्षियों के साथ हो रहे खिलवाड़ पर विचार करना चाहिए। आज पूरी मानवजाति एक बड़ी एवं भयावह कोरोना वायरस महामारी के कहर से जूझ रही है और दुनिया ग्लोबल वार्मिंग जैसी चिंताओं से रू-ब-रू है। लोगों को पर्यावरण की अहमियत, इंसानों व पर्यावरण के बीच के गहरे ताल्लुकात को समझते हुए प्रकृति, पृथ्वी, वृक्षारोपण एवं पर्यावरण के संरक्षण के लिए जागरूक होना होगा।
देश भर में आॅक्सीजन संकट:
आज कोरोना महामारी के समय में हमने यह अहसास कर लिया है कि हमारे जीवन में आॅक्सीजन की कितनी जरूरत है। इस संकट के समय में हम देख रहे है कि रोगियों को आॅक्सीजन की पूर्ति नहीं हो पा रही है लेकिन अनादिकाल से हमारी आॅक्सीजन की पूर्ति हमारी प्रकृति एवं वृक्ष करते रहे हंै। प्रकृति का लगातार हो रहा दोहन, वनों का छीजन और पर्यावरण की उपेक्षा ही कोरोना जैसी महामारी का बड़ा कारण है। हमने जंगल नष्ट कर दिए और भौतिकवादी जीवन ने इस वातावरण को धूल, धुएं के प्रदूषण से भर दिया है जिससे हमारी सांसें अवरुद्ध हो गई एवं भविष्य खतरे में है।
बीमारियों से निजात दिलाते हैं पेड़
पर्यावरण को बचाना है तो पेड़ों को बचाना होगा क्योंकि पेड़ों के द्वारा ही पर्यावरण शुद्ध हो सकता है। यदि पर्यावरण शुद्ध नहीं होगा तो हम सभी आए दिन किसी ना किसी बीमारी से ग्रसित होंगे। आपको बता दें कि पेड़ बीमारियों से शरीर को निजात दिलाते है। पर्यावरण को बचाए रखने के लिए पेड़ों को बचाना जरूरी है और पेड़ हमारे कई कार्यों में सहायक होते हैं- पेड़ों से ही जल का शुद्धिकरण, जल वाष्पीकरण, जल संरक्षण होता है। पर्यावरण में पेड़ नहीं होंगे तो दुनिया को खत्म होने में समय नहीं लगेगा। पेड़ ही हैं जिससे अर्थव्यवस्था विकसित होती है और उसे गति मिलती है। उसी की वजह से रोजगार उत्पन्न होता है।
आॅक्सीजन बढ़ाते हैं पेड़
वृक्षों से हमें प्राणवायु मिलती है और प्राण वायु के बगैर शरीर की कल्पना नहीं की जा सकती है। आक्सीजन देने की क्षमता, मौसम की अनुकूलता और आयु को ध्यान में रखते हुए हमें घरों व आसपास पीपल, जामुन, नीम, वट और बरगद जैसे पेड़ों के साथ-साथ तुलसी के पौधे भी लगाने चाहिए। महानगरों में जहां जगह का अभाव है वहां छतों पर हरिमिता आच्छादित परिवेश निर्मित किए जा सकते हैं।
वृक्ष प्रकृति की अनुपम देन
हमारे पुरख कहते थे कि प्रकृति का जीवन-रक्षा में उपयोग करना चाहिए न कि प्रकृति का शोषण। सभी ग्रंथों में वृक्ष के महत्व को समझा गया है। कहा भी गया है कि एक जलकुंड दस कुंए के समान है, एक तालाब दस जलकुंडों के बराबर है, एक पुत्र का दस तालाबों जितना महत्व है और एक वृक्ष का दस पुत्रों के समान महत्व है। वृक्षों के प्रति ऐसी संवेदनशीलता और चेतना जाग्रत हो, इसी उद्देश्य से हमें पेड़ लगाने की शुभ शुरूआत करनी चाहिए। वृक्ष प्रकृति की अनुपम देन हैं। ये पृथ्वी और मनुष्य के लिए वरदान हैं। ये देश की सुरक्षा और समृद्धि में भी सहायक होते हैं।
प्रकृति से मनुष्य का स्वार्थ
पर्यावरण संकट का मूल कारण है प्रकृति का असंतुलन एवं उपेक्षा। औद्योगिक क्रांति एवं वैज्ञानिक प्रगति से उत्पन्न उपभोक्ता संस्कृति ने इसे भरपूर बढ़ावा दिया है। स्वार्थी और सुविधा भोगी मनुष्य प्रकृति से दूर होता जा रहा है। उसकी लोभ की वृत्ति ने प्रकृति एवं पृथ्वी को बेरहमी से लूटा है। इसीलिए पर्यावरण की समस्या दिन-ब-दिन विकराल होती जा रही है। न हवा स्वच्छ है, न पानी। तेज शोर आदमी को मानसिक दृष्टि से विकलांग बना रहा है। ओजोन परत का छेद दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। सूरज की पराबैंगनी किरणें, मनुष्य शरीर में अनेक घातक व्याधियाँ उत्पन्न कर रही हैं। समूची पृथ्वी पर उनका विपरीत असर पड़ रहा है। जंगलों-पेड़ों की कटाई एवं परमाणु ऊर्जा के प्रयोग ने स्थिति को अधिक गंभीर बना दिया है।
पर्यावरण संरक्षण के सरल उपाय:
- घर की खाली जमीन, बालकनी, छत पर पौधे लगाएं।
- आॅर्गेनिक खाद, गोबर खाद या जैविक खाद का उपयोग करें।
- कपड़े के बने झोले-थैले लेकर निकलें, पॉलिथीन-प्लास्टिक न लें।
- खिड़की से पर्दे हटाएं, दिन में सूरज की रोशनी से काम चलाएं।
- सोलर पैनल लगवाएं, सोलर कुकर में खाना बनाएं।
- लीक हो रहे नल ठीक करवाएं। शॉवर लेने की बजाय बाल्टी से नहाएं।
- बल्ब की जगह पर सीएफएल या एलईडी बल्ब लगाएं।
- आसपास जाने के लिए बाइक की बजाय साइकिल से या पैदल जाएं।
- लोगों को बर्थडे, त्योहार पर पौधे गिफ्ट करें।
- कमरे से निकलने पर टीवी, लाइट, फैन, एसी बंद कर दें।
- कपड़ा धोने से बचे पानी को पौधों में डाल दें या जमीन धोएं।
- प्लास्टिक बोतल की जगह कांच, स्टील या तांबे की बॉटल प्रयोग करें।
- शाकाहारी बनें, मांसाहार का सेवन बंद करें।
- मंजन या शेविंग करते समय मग में पानी लें, नल न चलाएं।
- बिना उपयोग मोबाईल, लैपटॉप चार्जर को प्लग में न लगे रहने दें।
- प्लास्टिक कप, प्लेट की जगह मिट्टी के कुल्हड़, कागज या पत्ते के बने प्लेट अपनाएं।
- प्लास्टिक के खाली डिब्बों में सामान रखें या पौधे लगाएं।
- गाड़ी के पहिये में हवा चेक करवाते रहें इससे पेट्रोल बचता है।
- लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का उपयोग करें।
- कागज के दोनों तरफ प्रिन्ट लें, फालतू प्रिन्ट न करें।
- खुद की गाड़ी के बजाय ट्रेन, बस, मेट्रो, शेयर कैब से यात्रा करें।
- अच्छी इलेक्ट्रिसिटी सेविंग रेटिंग वाले उपकरण खरीदें।
- महंगे एयर प्युरीफायर की बजाय हवा साफ करने वाले पौधे लगाएं।