ऐलोवेरा एब्सट्रेक्ट से तैयार किए नैनो पार्टिकल्स अति सूक्ष्म कण विकसित कर डॉ. संजय कुमार ने बनाया रिकॉर्ड
नैनो कणों को इंजीनियरिंग क्षेत्र में, सौंदर्य प्रसाधन उद्योग में, स्वास्थ्य सेवा जैसे कीमोथैरेपी में, खाद्य पदार्थाें में, इलेक्ट्रॉनिक्स में, खेल सामग्री उद्योग में, सेना क्षेत्र के अलावा अंतरिक्ष में नैनो प्रौद्योगिकी में इस्तेमाल किया जाता है। यह एक अतिसूक्ष्म कण होता है, जिसका आकार 1 से 100 नैनो मीटर के बीच होता है।
नैनो पार्टिकल्स यानी सूक्ष्म कण। इस क्षेत्र में काम करते हुए डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी डॉ. संजय कुमार ने रिकॉर्ड कायम किया है। इंडिया बुक आॅफ रिकॉर्ड्स ने इस रिकॉर्ड को सत्यापित करते हुए उन्हें सम्मान से नवाजा है। वे अपनी इस सफलता का पूरा श्रेय डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को देते हैं। डॉ. संजय का कहना है कि पूज्य गुरु जी के मार्गदर्शन और आशीर्वाद से ही वे इस कार्य में सफल हुए हैं। डॉ. संजय मूलरूप से हिमाचल प्रदेश के गांव ढलियारा, जिला कांगड़ा के रहने वाले हैं। वर्तमान में डॉ. संजय गुरुग्राम विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान (फिजिक्स) विभाग में सेवाएं दे रहे हैं।
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डॉ. संजय के शैक्षणिक सफर की बात करें तो उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 30 रिसर्च पेपर प्रकाशित किए हैं। पीएचडी के दो छात्रों और एम.फिल के एक छात्र को गाइड किया है। उनका कहना है कि कई वैज्ञानिक और तकनीकी विकास बहुत ही छोटे पैमाने पर सामग्री के गुणों पर निर्भर करते हैं। इस तरह के तकनीकी विकास को नैनो टेक्नोलॉजी कहा जाता है। नैनो को ग्रीक शब्द नैनोस से लिया गया है, जिसका मतलब होता है बौना। नैनो तकनीक से बने उत्पाद आकार में छोटे, भार में हल्के और दाम में सस्ते होते हैं।
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डॉॅ. संजय ने ऐलोवेरा एब्सट्रेक्ट से बनाया यह रिकॉर्ड
सूक्ष्म कणों की तरह ही बहुत बारीकी से ज्ञान के भंडार प्रो. संजय सिंह ने इस तकनीक में ऐलोवेरा का उपयोग किया है। ऐलोवेरा एब्सट्रेक्ट (सार) से उन्होंने सूक्ष्म कण विकसित किए हैं। एलोवेरा हरियाणा और कई अन्य प्रदेशों, देशों में एक देशी पौधा है। एलोवेरा के पत्तों में 98.5 प्रतिशत पानी होता है।
बाकी ठोस सामग्री होती है, जिसमें विटामिन, खनिज, एंजाइम, चीनी, फेनोलिक यौगिक, पॉलीसेकेराइड और स्टेरोल सहित 75 से अधिक विभिन्न तत्व होते हैं। इसमें अमीनो एसिड, लिपिड और सैलिसिलिक एसिड भी होते हैं। एलोवेरा जैल का व्यापक रूप से सौंदर्य प्रसाधन उद्योग में तरल पदार्थ, क्रीम, सन लोशन, लिप बाम, हीलिंग मलहम आदि में एक हाइड्रेटिंग उत्पाद के रूप में उपयोग किया जाता है।
नैनो से वस्तुओं के अणुओं में किए जाते हैं बदलाव
नैनो प्रौद्योगिकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी का वह भाग है, जिसमें परमाणु और आणविक पैमाने पर वस्तुओं के अणुओं में बदलाव किये जाते हैं। इन प्रयोगों में अणुओं का आकर 1 नैनो मीटर से 100 नैनो मीटर के बीच होता है। एक नैनो कण का आकार इंसानी बाल के जड़ के आठ सौ वें भाग के बराबर होता है। नैनो पार्टिकल जो पृथ्वी के निर्माण से ही मौजूद होने के बावजूद मनुष्य इससे अनभिज्ञ रहा है।
जैसे-जैसे विज्ञान और तकनीकी का विकास होता गया, वैज्ञानिकों ने इसके अस्तित्व को पहचाना। वर्तमान में नैनो पार्टिकल ने विज्ञान की दुनिया में एक नए युग की शुरूआत की है। भविष्य में इससे कई संभावनाएं जुड़ चुकी हैं। कार्बन आधारित नैनो पार्टिकल्स, सिरेमिक नैनो पार्टिकल्स, अर्धचालक नैनो पार्टिकल्स, पॉलिमरिक नैनो पार्टिकल्स, लिपिड आधारित नैनो पार्टिकल्स आदि नैनो कण के प्रकार हैं।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का विकास और भविष्य
नैनो मैटीरियल्स को पदार्थों के एक सेट के रूप में परिभाषित किया जाता है, जहां कम से कम एक आयाम लगभग 100 नैनोमीटर से कम होता है। एक नैनोमीटर एक मिलीमीटर का दस लाखवां हिस्सा होता है जो मानव बाल के व्यास से लगभग 100,000 गुना छोटा होता है। इन सामग्रियों ने हाल के वर्षों में अपने असामान्य यांत्रिक, विद्युत, आॅप्टिकल और चुंबकीय गुणों के कारण उच्च रुचि पैदा की है।
नैनोकणों की परिभाषा संबंधित सामग्री, क्षेत्र और अनुप्रयोगों के आधार पर भिन्न होती है। संकीर्ण अर्थों में उन्हें 10-20 एनएम से छोटे कणों के रूप में माना जाता है, जहां ठोस सामग्री के भौतिक गुणों में काफी बदलाव आएगा। 1 से 100 एनएम तक के कणों को नैनोपार्टिकल्स कहा जाता है। पहली वैज्ञानिक रिपोर्ट में से एक 1857 की शुरूआत में माइकल फैराडे द्वारा संश्लेषित कोलाइडल सोने के कण हैं। नैनोस्ट्रक्चर्ड उत्प्रेरक की भी 70 से अधिक वर्षों से जांच की गई है। 1940 के दशक की शुरूआत तक रबर के सुदृढ़ीकरण के लिए अल्ट्राफाइन कार्बन ब्लैक के विकल्प के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका और जर्मनी में अवक्षेपित और धुआं सिलिका नैनोकणों का निर्माण और बिक्री की जा रही थी।
पूज्य गुरु जी ने दिखाई रिसर्च की राह…
डॉ. संजय कुमार डेरा सच्चा सौदा से बचपन से ही जुड़े हुए हैं। माता-पिता श्रीमती निर्मला देवी एवं मास्टर श्री रिखी राम द्वारा दिखाई गई डेरा सच्चा सौदा की राह को वे कभी नहीं भूले। डा. संजय ने बताया कि एक बार सत्संग में पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने फरमाया था कि विज्ञान ने बहुत तरक्की की है तो इसके नुकसान भी बहुत हुए हैं। भविष्य में ऐसा काम करें, जिससे हमारे देश की तरक्की हो और मानवता का लाभ हो।
हमारे वैज्ञानिकों को जड़ी-बूटियों पर रिसर्च करनी चाहिए। इनमें बहुत कुछ छिपा है। पूज्य गुरु जी के वचनों पर पुष्प चढ़ाते हुए डॉ. संजय कुमार ने भी उसी राह पर चलकर काम किया। डा. संजय ने फेराइट नैनो पार्टिकल्स बनाए हैं, इनका साइज 9 नैनो मीटर तक है। इसका उपयोग मैमोरी डिवाइस समेत अनेक एप्लीकेशंस में किया जाता है।