हेयर डाई के खतरे हाई – सफेद बालों को डाई करने एवं अच्छे भले बालों का रंग उड़ाकर उन्हें कलर करने का प्रचलन इन दिनों बहुत ज्यादा बढ़ गया है। सबके बाल असमय एवं अल्प आयु में सफेद होते जा रहे हैं। काले बाल जवानी के एवं सफेद बाल बुढ़ापे के द्योतक माने जाते हैं, इसलिए इन्हें डाई किया जाने लगा है। कम आयु के किशोर भी बालों के सफेद होने से दुखी व परेशान होकर इन्हें डाई करने लगे हैं, तो कुछ नए फैशन के प्रचलन से प्रभावित होकर बालों को कलर करने लगे हैं।
इस हेयर डाई एवं हेयर कलर में उसे पक्का करने हेतु जो रसायन मिले होते हैं वे घातक होते हैं। ये बालों को काला या रंगीन जरूर कर देते हैं किंतु साथ में अनेक बीमारियां भी मुफ्त में दे जाते हैं जो किसी भी समय प्रकट हो सकती हैं। इन रसायनों की घातकता से सभी परिचित नहीं होते। जो परिचित होते हैं, वे भी नासमझ बनकर इसका उपयोग करते रहते हैं या अन्य उपाय भी करते हैं। सच यह है कि हेयर कलर, डाई, ब्रांडेड मेंहदी, टैटू कलर, सभी में उन्हें पक्का करने हेतु घातक रसायन मिले होते हैं जो नुकसान जरूर पहुंचाते हैं।
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क्या होता है इनमें?
हेयर डाई व हेयर कलर को पक्का करने के लिए इनमें पैराफिनाइलीन डाई एमीन (पी.पी.पी.) मिला होता है। इसकी मात्रा 2.33 से 4 प्रतिशत तक होती है। साथ में अमोनिया मिला होता है। इन्हीं की बदौलत इनका रंग दो माह तक पक्का बना रहता है। इन्हीं का दुष्प्रभाव सबसे ज्यादा होता है। ये ही उपयोगकर्ता को अनेक प्रकार की बीमारियां देते हैं।
इनके प्रयोग का दुष्प्रभाव:-
हेयर कलर एवं डाई के उपयोग से आंख, कान, सिर तथा चेहरे पर दुष्प्रभाव पड़ता है। इन सब जगहों पर त्वचा रोग होने लगते हैं। यहां की त्वचा जलने लगती है एवं इन जगहों पर खुजली होती है। इनमें लालिमा नजर आने लगती है। लाल-लाल चकत्ते उभरने लगते हैं। संक्रमण होता है। एलर्जी की शिकायत होती है। किसी-किसी की त्वचा प्राय: शुष्क व खुरदरी हो जाती है। स्किन कैंसर होने का खतरा रहता है।
बाल काले व चमकीले होते हैं पर रूखे व कड़े भी हो जाते हैं। इनके टूटने व झड़ने की गति बढ़ जाती है। रहे सहे काले बाल भी पूर्णत: सफेद हो जाते हैं। गंजे होने का खतरा बढ़ जाता है। आंखों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। सूजन आ जाती है। इनमें लालिमा नजर आती है। नेत्र रोग तक हो सकता है। मोतियाबिंद व दृष्टिदोष की शिकायत हो सकती है। आंखों में इसके जाने पर अंधापन भी हो सकता है। यह तत्काल न होकर कभी भी किसी उपयोगकर्ता को हो सकता है।
बाल सफेद क्यों होते हैं:-
पहले वृद्ध होने पर बालों के सफेद होने को परिपक्वता व बुढ़ापे की निशानी मानते थे पर अब पौष्टिक खानपान की कमी हो गई है। खानपान की चीजों में रसायनों का प्रभाव बढ़ गया है। चारों तरफ प्रदूषण बढ़ गया है। सिर की मालिश का प्रचलन कम हो गया है। तेज सुगंधित साबुन, सुगंधित तेल व रसायनों का उपयोग बढ़ गया है। सिर के व्यायाम व शीर्षासन को लोग भूल गए हैं। नशापान व दुर्व्यसन बढ़ गया है। मानसिक तनाव व मस्तिष्क में वैचारिक प्रदूषण बढ़ गया है। ये सभी मिलकर काले बालों को असमय या अल्पायु में सफेद कर रहे हैं। अचानक प्रकट हुई बड़ी बीमारियां भी इन्हें कमजोर व सफेद करने में भूमिका निभाती हैं।
बाल सुरक्षित व प्राकृतिक काले कैसे हों:-
हेयर डाई, हेयर कलर, पैकेट बंद ब्रांडेड मेंहदी आदि ये सभी खतरनाक होते हैं। इन सभी में रसायन मिलाया जाता है। पीपीडी एवं अमोनियायुक्त होने पर ही ये पक्के होते हैं। इनकी मात्रा जितनी भी हो नुकसानदेह है। अतएव प्राकृतिक व सुरक्षित काले बाल पाने की चाहत वाले अपना खानपान साफ-सुथरा व पौष्टिक रखें।
नशापान व दुर्व्यसन त्याग दें। इससे दूर रहें। मानसिक आवेग न पालें। शांत चित्त रहें। रात को सिर की खासकर बालों की जड़ों की मालिश करें। प्रदूषण से बचें। तेज साबुन व तेज सुगंध वाले तेल न लगायें। दही, मठा, छाछ का यथा संभव सेवन करें। प्राकृतिक मेंहदी व आंवला चूर्ण का लेप सिर पर लगाएं।
हेयर डाई, हेयर कलर, पैकेट बंद ब्रांडेड मेंहदी, टैटू इन सभी को पक्का बनाने के लिए मिलाया गया रसायन घातक होता है। यह शुगर और ब्लड प्रेशर के मरीजों, गर्भवती महिला व बच्चों की परेशानी को बहुत ज्यादा बढ़ा देते हैं जो खतरनाक हो सकते हैं।
-नीलिमा द्विवेदी