सन् 1969 का समय था, उस दिन ओडिशा के उपरबेड़ा गांव के मिडिल स्कूल में अजीब घटनाक्रम हुआ। दरअसल, शिक्षक बासुदेव बेहरा के दादाजी का निधन होने के कारण उन्होंने मुंडन कराया हुआ था, जिसके चलते वे टोपी पहनकर स्कूल आते थे। उस दिन ब्लैकबोर्ड साफ करने के लिए डस्टर नहीं मिला तो उन्होंने अपनी टोपी से ही बोर्ड साफ करना शुरू कर दिया। यह देख सभी बच्चे हंसने लगे, लेकिन 7वीं कक्षा की होनहार बालिका को यह नाग्वार गुजरा। स्कूल से छुट्टी के बाद घर जाते ही उसने घर में बिना किसी को बताए पुराने कपड़ों से दो डस्टर तैयार किए और अगले दिन उन्हें स्कूल में ले आई।
इतनी छोटी उम्र में संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का अहसास करवाने वाली उस छात्रा के हाथों में आज पूरे देश की कमान है। दरअसल यह छात्रा हैं भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, जिनके सम्पूर्ण जीवन में प्रेरणादायक व्यक्तित्व झलकता है। उन्होंने अपने जीवन में किए अनेक संघर्षों और उपलब्धियों से देशवासियों का दिल जीत लिया। द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिश के मयूरभंज जिले के बैदोपासी गांव में हुआ। उनका परिवार संभाल जनजाति से संबंध रखता है। जहां उनके पिता और दादा जी गांव के मुखिया थे। द्रौपदी मुर्मू ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मयूरभंज जिले में पूरी की और बाद में उन्होंने रमा देवी महिला कॉलेज भुवनेश्वर से बी.ए. की डिग्री हासिल की।
1970 में सातवीं पास होने के बाद उच्च शिक्षा के लिए भुवनेश्वर जाने वाली द्रौपदी मुर्मू गांव की पहली लड़की थीं।
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सरकारी सेवा:
द्रौपदी मुर्म ने अरविंदो इंटिग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट रायरंगपुर में अध्यापक का कार्य किया। इसके बाद उन्होंने ओडिशा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर असिस्टेंट के रूप में भी सेवाएं दी।
राजनीतिक सफर:
1997 में द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। उन्होेंने रायरंगपुर नगर पंचायत की पार्षद बनने से अपना पहला राजनीतिक सफर शुरु किया। जहां उन्होंने उपाध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दी। उन्होंने 2000 व 2009 में रायरंगपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में चुनाव जीता। ओडिशा सरकार में वाणिज्य एवं परिवहन मंत्री और मत्स्य एवं पशु संसाधन विकास मंत्री के रूप में भी कार्य किया।
जब झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनीं:
द्रौपदी मुर्मू ने 2015 में झारखंड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में शपथ ली। उन्होंने 2021 तक इस पद पर रहते हुए राज्य में जनजातीय समुदायों के विकास और कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए।
राष्टÑपति की पद यात्रा:
द्रौपदी मुर्मू ने 25 जुलाई 2022 को भारत की राष्टÑपति के रूप में शपथ ली। वे देश के इस सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाली पहली जनजातीय महिला हैं जो अपने आप में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
व्यक्तिगत जीवन:
द्रौपदी मुर्मू ने अपने जीवन में कई व्यक्तिगत संकटों का सामना किया है। जिसमें उनके पति और दो पुत्रों की असामयिक मृत्यु शामिल है। इन सबके बीच उन्होंने अपने सामाजिक और राजनीतिक कार्यों को निरंतर जारी रखा और हमेशा समाज के लिए प्रेरणा बनीं रहीं। उनका जीवन संघर्ष, सेवा और समर्पण का प्रतीक है। वे न केवल महिलाओं और जनजातीय समुदायों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं।