फर्स्ट-एड में आप भी बन सकते हैं फर्स्ट क्लास
अधूरा ज्ञान कभी-कभी ज्ञान न होने से भी ज्यादा खतरनाक होता है। इसी अधूरे ज्ञान से बचने के लिए हमने मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर व डॉक्टर अनिल मिश्रा से बात करके जाना कि कैसे किसी भी दुर्घटना या अचानक तबीयत बिगड़ने पर प्राथमिक चिकित्सा करके रोगी को सही सलामत अस्पताल तक पहुंचा कर आप किसी अपने या जरूरतमंद की जान बचा सकते हैं।
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दिल का दौरा
यह एक ऐसी बीमारी है जिसके मरीजों की संख्या न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी बड़ी तेजी से बढ़ती जा रही है। डॉ अनिल मिश्रा का कहना है कि अगर कभी भी किसी को अचानक चेस्ट में दर्द होने लगे तो सबसे पहले यही सोचना चाहिए कि यह दिल का दौरा भी हो सकता है।
इस स्थिति में एंबुलेंस को सबसे पहले कोई व्यक्ति फोन करके पूरी सूचना दे और एंबुलेंस को बता दें कि वह करंट मारने वाली मशीन ‘ऐडा आॅटोमेटिक ऐक्सटरनल डेफीबिरलेटर’ साथ ले कर आए। जब तक मशीन आती है, तब तक आप मरीज का ध्यान कुछ इस तरह रख सकते हैं।
- मरीज से जानकारी लें कि वह दिल की बीमारी से संबंधित कोई दवा पहले से तो नहीं ले रहा।
- अगर उसका जवाब हां हो तो मरीज से दवा का नाम पूछ कर दवा ला कर दें।
- दवा आने तक या कोई दवा ना होने पर मरीज को सीधा जमीन पर लिटा दें।
- चेस्ट के दोनों निपल के बीच में बनने वाली लाइन के मध्य में दोनों हाथों से छाती को पूरे ज़ोर से बार-बार दबाते रहें जब तक कि एंबुलेंस या डॉक्टर नहीं आ जाता।
- अगर आपको माउथ-टू-माउथ सांस देना आता है तो 30 बार छाती को दबाने के बाद 2 बार मुंह से मरीज को सांस दें और फिर दुबारा वही प्रकिया दोहराएं। एंबुलेंस या डॉक्टर के आने तक लगातार व्यक्ति बदल-बदल के दबाते रहें क्योंकि एक व्यक्ति ज्यादा समय तक दबाते रहने से थक जाता है।
- मदद आने तक मरीज को 150 आउंस/एस्पिरिन की दवा भी दे सकते हैं।
नोट: कभी भी छाती के ऊपर से न दबाएं, क्योंकि वहाँ नाजुक हड़डी होने के कारण उसके टूटने का डर होता है। अगर आप ऐसा करते हैं तो आप मरीज को बचाने की बजाए मौत के और पास ले जांएगे।
खाते वक्त अगर गले में कुछ अटक जाए
अक्सर शादी-पार्टी में कुछ लोगों के खाते-खाते गले में खाना अटक जाता है तो आप कुछ इस प्रकार उनकी मदद कर सकते हैं। अगर व्यक्ति खांसी कर रहा है तो कुछ करने की आवश्यकता नहीं, वो खुद ही ठीक हो जाएगा, लेकिन अगर वो कुछ बोल नहीं पा रहा हो और सिर्फ इशारे से सारी बात समझा रहा हो, तो आप उसकी कुछ इस तरह मदद कर सकते हैं-
- मरीज को सीधा खड़ा करें।
- उसके पीछे जा कर उसकी सीध में खड़े हो जाएं।
- पेट के ऊपर उंगली रखकर चेक करें कि नाभि कहां है।
- नाभि के एकदम ऊपर वाली हड्डी को एक हाथ से मुट्ठी बना कर दूसरे हाथ से कसके पकड़ कर पेट को ऊपर की ओर पूरी ताकत से दबाएं। खाना अपने आप ही निकल जाएगा।
नोट: मरीज को लिटा कर फिल्मी स्टाइल में पीटना शुरू न करें। कमर या सर पर थपथपाएं नहीं। इससे मरीज की जान भी जा सकती है क्योंकि खाना निकलने की बजाए और अटक जाएगा।
पानी में डूब रहे व्यक्ति को बचाने के बाद क्या किया जाए
- सबसे पहले एंबुलेंस को फोन करके पूरी जानकारी दे दें, और उन्हें ‘ऐडा मशीन’ साथ लाने को बोल दें।
- मरीज को सुरक्षित स्थान पर लिटा दें।
- अगर ऐडा मशीन की सुविधा है तो उसकी सहायता से बिजली का झटका देकर खून-प्रवाह सामान्य किया जा सकता है।
नोट: जिस स्थान पर दुर्घटना हुई है। मरीज को उसी जगह उसी अवस्था मे रहने दें जिसमें वो खुद को आरामदायक महसूस कर रहा है। कभी-कभी व्यक्ति को एक दम से कहीं और खींच कर या उठा कर ले जाने से अगर मरीज को स्पाइन की कोई समस्या हुई तो वह जिंदगी भर के लिए अपंग भी हो सकता है।
करंट लगने पर
- व्यक्ति को कभी भी सीधा हाथ से हटाने की कोशिश न करें। ऐसे में आपको भी करंट लग सकता है। हमेशा पहले मेन स्विच बंद करें, तभी व्यक्ति को किसी बिजली रोधक चीज से हटाएं।
नोट: हाई वोलटेज तार पर कोई भी बिजली विरोधी चीज काम नहीं करती। ऐसे में मदद करना खुद की जान को खतरे में डालना होगा।
बीपी कम होने पर
- अगर किसी का बीपी लो हो जाता है तो उस व्यक्ति को सीधा जमीन पर लिटा कर पैर थोडेÞ ऊपर कर दें। थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा।
नोट: कभी भी मरीज के हाथ व पैर रगड़ें नहीं, यह रक्त के सही प्रवाह में समस्या उत्पन्न करता है।
हमेशा ध्यान रखने वाली कुछ बातें:-
- अचानक बेहोश होने पर कभी भी पानी पिलाना व पानी के छीटें नहीं मारना चाहिएं।
- किसी की भी मदद करने से पहले अपनी सुरक्षा का ख्याल रखना चाहिए।
- मरीज की मदद करने के लिए सामने से जाएं न कि पीछे से।
- कुछ ऐसी स्थिति भी होती है जिसमें कुछ न करना ही मदद है। जैसे अगर कोई व्यक्ति छठी मंजिल से कूद रहा है तो आप उसे कैच करने की कोशिश न करें क्योंकि ऐसे में उसकी जान के साथ साथ आपकी जान को भी खतरा होता है जिसमें आप दोनों की जान भी जा सकती है। ऐसी स्थिति में आप सीधा एंबुलेंस को फोन करें।
- दुर्घटना वाले स्थान को सुरक्षित करने के लिए पहले अन्य गाड़ियों के आने का रास्ता रोक दें ताकि कोई और गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को नुकसान ना पहुंचा पाए। इसके लिए आप अपनी गाड़ी को टेढ़ा खड़ा करके रास्ता रोक सकते हैं।
- याद रखें कि आप डॉक्टर नहीं हैं। आपका काम व्यक्ति को डॉक्टरी मदद आने तक फर्स्ट-एड देना है।
- जब भी एंबुलेंस को फोन करें तो उन्हें पूरी जानकारी देने से पहले फोन न काटें। रखने से पहले पूछ लें कि वह कोई ओर जानकारी तो नहीं लेना चाहते।
तो अब जब आप अगली बार किसी की मदद करने जाएं तो फिल्मी स्टाइल या पुराने सुने हुए नुस्खे अपनाने की बजाए सही ज्ञान के साथ मदद करें ताकि किसी की जान बच सके।