गलतियों को स्वीकारना भी सीखें learn to accept mistakes
गलतियां किससे नहीं होती। हर मानव प्राणी गलती करता है। इस तरह गलती करने की प्रवृत्ति मनुष्यों में स्वाभाविक रूप से होती है। यह अलग बात है कि मुनष्य से होने वाली गलतियों में भिन्नता होती है। कई अपने कृत्यों को अपनी गलती का अंजाम देने का प्रयत्न करते हैं।
मानव द्वारा होने वाली गलतियों का कारण उसके व्यावहारिक जीवन से सीधा संबंध रखता है। कभी-कभी क्र ोध में, तनावग्रस्त होने से और कभी अधिक परेशानी की वजह से हम गलतियां कर बैठते हैं।
गलतियां दांपत्य जीवन में दरार पैदा कर देती हैं। गलतियां गृहस्थ जीवन में विवाद का कारण बन जाती हैं। गलतियों पर उठे विवाद या झगड़े की स्थिति तब और बढ़ जाती है, जब गलती करने वाला अपनी गलती स्वीकार नहीं करता । इस स्थिति में झगड़े की बला को टालना मुश्किल हो जाता है।
गलतियों के कारण होने वाले विवाद की स्थिति घर गृहस्थी में निर्मित हो ही जाती है। इस विवाद को हम अपनी सूझबूझ से टाल भी सकते हैं। इस तरह के विवाद हमारी अज्ञानता के कारण ही उपजते हैं। गृहस्थ जीवन में गलतियों के कारण विवादों का प्रादुर्भाव हमारे संकुचित दृष्टिकोण और विषय विशेष पर हमारे गहन चिंतन के अभाव को प्रदर्शित करता है।
खाना बनाते समय गृहणियों से गलतियां हो ही जाती हैं। कई बार बहू सब्जी बनाते समय गलती कर बैठती है। होता यह है कि बहू जब सब्जी बनाती है तो वह पहली बार सब्जी में नमक डाल चुकी होती है। काम करते हुए इस बात को वह भूल जाती है और दुबारा सब्जी में नमक डालने की गलती कर बैठती है।
भोेजन करते समय जब सास को पता चलता है कि सब्जी में नमक ज्यादा है तो वह अपनी बहू को भला-बुरा कहती है। बहू की एक छोटी सी गलती के लिए इतना विवाद अनुचित है। रसोई घर के कामकाज में व्यस्तता के कारण इस तरह की गलती संभव है। इस छोटी सी गलती के लिए सास द्वारा बहू को बड़ी सजा देना सास की तानाशाही ही कहलाएगी।
यहां बहू की भी गलती है। जब बहू को पता चल गया कि सब्जी में नमक अधिक पड़ने की वजह से सासू जी नाराज हो गई हैं तो वह उनसे क्षमा भी मांग सकती थी। बहू सास से यह कह देती कि वह भविष्य में ऐसी गलती नहीं करेगी तो हो सकता है सास का मिजाज ठण्डा हो जाता। बहू द्वारा गलती स्वीकारने से खुश होकर सास उसे प्यार से समझाने भी लग जाती।
हकीकत में यदि इंसान कोई गलती करता है तो भलाई इसी में है कि वह अपनी गलती को सहज रूप से स्वीकार कर ले और सामने वाले से माफी मांगते हुए गलती न करने का वादा करे। यदि गलती करके इंसान माफी नहीं मांगता तो यह विवाद का कारण बनकर बुरे अंजामों को जन्म देता है।
कभी-कभी हम संकोच की वजह से अपनी गलतियों को स्वीकारने से हिचकिचाते हैं। हमारी सोच यह हो जाती है कि इन गलतियों के कारण लोग हमें हीन भावना से देखेंगे, हम पर हंसेंगे आदि। हमारा यह सोचना व्यर्थ है। कुछ व्यक्ति उस आदमी की प्रशंसा करते हैं जो अपनी गलती स्वयं स्वीकार करते हुए माफी मांगता हैं।
यदि हम अपनी गलती को स्वयं स्वीकार कर लेते हैं तो हमारी यह व्यावहारिकता हमें मजबूत करती है। अत: हमें ध्यान रखना चाहिए कि छोटी, बड़ी गलतियां यदि हमसे हो जाती हैं, तो हम विनम्रता से माफी मांग कर विवाद की स्थिति निर्मित होने से बचा सकते हैं।
-नरेंद्र देवांगन