दर्द कभी भी, कहीं भी, किसी भी उम्र में आपको तंग कर सकता है। अगर हम सक्रि य रहें, मोटापा काबू में रखें, पाश्चर ठीक रखें और अपना खान-पान साधारण और पौष्टिक रखें तो हम उम्र के साथ होने वाले दर्दों से स्वयं को बचा सकते हैं।
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सक्रि य रहें, व्यायाम करें Vyayam Ke Labh
- सक्रि य रहने के लिए अपने काम स्वयं करें। उठने बैठने में आलस न करें। शरीर के सारे जोड़ चलते रहें इसके लिए जरूरी है नियमित व्यायाम जैसे कार्डियोवस्कुलर, स्ट्रेचिंग, स्ट्रेंथनिंग, योगाभ्यास आदि। अगर आप जवान हैं और घुटने, कमर सही हैं तो आप ब्रिस्क वॉक नियमित कर सकते हैं। अगर आयु बढ़ रही है तो साधारण सैर 25 से 30 मिनट तक अवश्य और नियमित करें, यह सुरक्षित व्यायाम है। इससे घुटनों और कमर पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ता।
- दिन में कुछ समय स्ट्रेचिंग पर अवश्य दें जिन्हें सूक्ष्म क्रि याएं कहते हैं। कलाइयों, घुटनों, कमर को स्टेÑच करें ताकि जोड़ सक्रिय रहें और इनमें मूवमेंट बनी रहे।
- व्यायाम करने से हमारी मांसपेशियां सक्रिय रहती हैं, खून का दौरा बढ़ता है। जहां दर्द होता है ध्यान वहीं रखकर व्यायाम करें। जिनको अक्सर दर्द की शिकायत रहती हो उन्हें व्यायाम करना अपना नियम बना लेना चाहिए
और अपने वजन काबू करना अतिआवश्यक है।
खानपान पौष्टिक रखें
- शरीर को दर्द से बचाए रखने के लिए पौष्टिक आहार का सेवन करना जरूरी है। नियमित रूप से मेवे,कम फैट वाला दूध, दही, छाछ, दालें, टोफू, सब्जियां, ब्रोकली, मशरूम, चुकंदर, फल, सोयाबीन लें। पानी दिन में 2 से 3 लिटर पिएं ताकि मांसपेशियां मुलायम बनी रह सकें।
विटामिन डी और कैल्शियम की कमी को दूर रखें
- विटामिन डी की कमी धूप सेवन से प्राकृतिक रूप से दूर होती है। विशेषज्ञों के अनुसार माह में 4-5 दिन तक 80 प्रतिशत शरीर खुला रखकर 45 मिनट तक धूप में बैठें। हालांकि आज की भागदौड़ वाली जिंदगी में यह मुश्किल है। 25 से 30 साल की उम्र के बाद हर महीने 60 हजार यूनिट का विटामिन डी का सैशे लें।
- कैल्शियम की कमी से भी हड्डियां कमजोर होती हैं और दर्द की शिकायत होती है। इसलिए कैल्शियम से भरपूर आहार लें। डाक्टर की सलाह पर जरूरत होने पर कैल्शियम सप्लिमेंट भी ले सकते हैं।
उठने-बैठने, सोने, चलने में शरीर की स्थिति ठीक रखें
- पॉश्चर की गलती भी हमारे अंगों में दर्द का कारण बनती है। बैठते हुए कमर झुकाकर न बैठें। कुर्सी, सोफे, गाड़ी में बैठते समय बट्स का 70 से 80 प्रतिशत हिस्सा बैठने के स्थान सीट पर रखें, बाकी सीट से बाहर। पैरों को अधिक देर तक लटका कर न बैठें। कद छोटा होने पर कुर्सी पर बैकरेस्ट लगा कर रखें। घुटने पर घुटना या पैर पर पैर रखकर न बैठें। पैरों के नीचे भी फुट-सपोर्ट रखें।
- टीवी बिस्तर पर बैठकर या लेटकर न देखें, कुर्सी पर बैठकर देखें। पढ़ते समय भी बैड पर लेटकर न पढ़ें। बिस्तर से उठते समय एकदम झटके से न उठें, साइड करवट लें और फिर उठें ताकि हार्ट पर अधिक दबाव न पड़े और कमर को भी झटका न लगे।
- चलते समय आगे झुककर न चलें, कंधों को थोड़ा पीछे रखकर चलें। घुटनों और पीठ को सीधा रखें। एक पैर पर खड़े न हों। पैरों को पटककर या घुमाकर न चलें। पैर को पूरा जमीन पर रखकर चलें।
- ड्राइविंग करते समय स्वयं को स्टेयरिंग के पास रखें। सीट पर इस तरह बैठें कि घुटने हिप्स के बराबर रहें। कमर के निचले भाग में तौलिए का सपोर्ट बना कर रखेें।
- घुटने, गर्दन को लगातार एक पॉश्चर में रखें और थोड़े अंतराल में घुमाते रहें। कंप्यूटंर पर काम करते समय हर एक घंटे के अंतराल पर सीट से उठें, शरीर को स्ट्रेच करें और थोड़ा चलें। गर्दन दोनों तरफ धीरे-धीरे घुमाएं, आगे-पीछे भी।
- रसोई में स्लैब कंी ऊंचाई इतनी रखें कि झुककर काम न करना पडेÞ। ज्यादा देर खड़े होकर काम न करें। बीच-बीच में इधर-उधर चलें या फिर ऊंचा स्टूल, कुर्सी रख कर बैठ जाएं।
- योग द्वारा भी दर्दों को काबू में रखा जा सकता है। किसी विशेषज्ञ की देखरेख में यौगिक क्रि याएं, प्राणायाम सीखें। मन को शांत रखें।
- एक गिलास गुनगुने दूध में आधा छोटा चम्मच हल्दी पाउडर और पांच बूंदें गाय के घी की डालकर नियमित पिएं। फ्लैक्स सीड्स, सफेद तिल, आंवला और सोयाबीन का नियमित सेवन करें।
- ताजी चोट लगने पर, लाल होने और सूजने पर बर्फ की सिंकाई करें। पुरानी चोट या अकड़न होने पर गर्म पानी की सिंकाई करें, ताकि मांसपेशियां नरम पड़ सकें।
- खून का दौरा बढ़ाने के लिए गर्म-ठंडे पानी की सिंकाई बारी-बारी करें। शुरूआत गर्म से करें और अंत में भी गर्म पानी डालें। दिन में दो बार इस क्रि या को दोहराया जा सकता हैं।
-नीतू गुप्ता
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