Children's story

बाल कथा: इंजन के माता-पिता

एक छोटे से स्टेशन पर एक छोटा सा इंजन नज़र आता था। जब वह किसी बच्चे को अपनी मां की गोद में देखता तो उदास हो जाता, क्योंकि उसकी तो कोई मां ही नहीं थी। वह और भी दुखी हो जाता, जब किसी बच्चे को अपने पापा की उंगली पकड़ कर घूमते देखता। छोटे इंजन ने एक बार अपने साथ रहने वाले एक बड़े इंजन से पूछा, ‘मेरे पिता कौन हैं?’
‘जेम्स वाट।’ उसे जवाब मिला।

‘क्या मैं उनसे मिल सकता हूं?’ उसने फिर प्रश्न किया। उत्तर मिला, ‘नहीं, क्योंकि वे तुम्हें सैंकड़ों साल पहले जन्म दे कर चल बसे। अब तुम उनसे नहीं मिल सकते।’ छोटा इंजन निराश हो गया। एक दिन फिर उसने किसी और बड़े इंजन के सामने जा कर पूछा, ‘क्या आप बता सकते हैं, मेरे पिता कौन हैं?’ ‘स्टीवेंस।’ बड़े इंजन ने जवाब दिया। ‘वह कहां रहते हैं? क्या मैं उनसे मिल सकता हूं?’ छोटे इंजन ने प्रश्न किया। ‘नहीं, वह तुम्हें पृथ्वी पर चलता-फिरता छोड़ कर चल बसे। तुम उनसे नहीं मिल सकते।’

Children's storyअब छोटे इंजन के सब्र का बांध टूट गया। वह फूट-फूट कर रोने लगा। तब रेलगाड़ी का बूढ़ा डिब्बा जो पास ही खड़ा था, उसके पास आया और पीठ थपथपा कर बोला, ‘क्यों रो रहे हो?’ छोटे इंजन ने रोते-रोते बड़े भोलेपन से वही प्रश्न इस डिब्बे से किया। डिब्बे ने उत्तर देते हुए कहा, ‘तुम्हारे पिता पानी और मां आग हैं। इन्हीं दोनों की शक्ति से तुम चलते हो। कोयला तुम्हारा भाई है। चाहो तो तुम अपना और उसका रंग मिला कर देख लो। वह भी तुम्हारे जैसा ही काला है। वैसे तुम्हारा जन्म लोहे की खान में हुआ था। तुम जमीन के अंदर दबे थे। तुम्हें वहां से निकाल कर, सफाई कर, गला कर कारखाने में लाया गया जहां तुम्हें इंजन की शक्ल दे कर पटरियों पर चलने-फिरने के लिए छोड़ दिया गया।’ बूढ़े डिब्बे की बात सुन कर छोटा इंजन खुश हो गया।

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कुछ दिनों बाद स्टेशन पर बाहर से एक और छोटा इंजन आया। हमउम्र होने के कारण दोनों छोटे इंजन पास-पास खड़े थे। तब पहले इंजन ने दूसरे इंजन से पूछा, ‘तुम्हारे मां-बाप कहां हैं?’ दूसरा इंजन जोर-जोर से हंसने लगा कि इंजनों के भी कहीं मां-बाप होते हैं। यह सुन कर छोटा इंजन दुखी हो गया। पास खड़े एक बूढ़े इंजन से रहा न गया। वह उसके पास गया और बोला, ‘तुम अपने पिता को देखना चाहते हो?’ छोटे इंजन ने आश्चर्य से भर कर कहा, ‘हां।’ ‘तुम जानते हो, पानी कहां से आता है?’ बूढ़े इंजन ने पूछा। ‘आकाश से।’ छोटे इंजन ने सोचते हुए जवाब दिया।

‘तुम्हारे पिता आकाश हैं और जिसने तुम्हें जन्म दिया, वह है तुम्हारी धरती मां। इनकी गोद में तुम सदियों तक खेलते रहोगे। यह धरती हम सबकी मां है।’ बूढ़े इंजन ने जवाब दिया। बूढ़े इंजन की बात सुन कर, छोटा इंजन बहुत खुश हुआ। अब उसे पता चल चुका था उसके माता-पिता कौन हैं। अब वह किसी से अपने माता-पिता के बारे में नहीं पूछता था।
-नरेंद्र देवांगन