खेत-खलिहान: समेकित कृषि प्रणाली
कृषि व्यवसाय को घाटे का सौदा कहने वाले लोगों के लिए सरसा के युवा प्रगतिशील किसान ने नई नजीर पेश करते हुए यह दर्शाने का प्रयास किया है कि समेकित कृषि प्रणाली अपनाकर यही कृषि एक फायदे का सौदा साबित हो सकती है। आइये जानते हैं उनके बारे में और उनकी Success Story of Dairy Farming in Hindi।
हमने dairy farm kholne ka tarika या dairy farm kaise khole या buffalo dairy farm in hindi पर अलग-अलग कहानियाँ पढ़ी होंगी, लेकिन यह सफलता की कहानी आपको सही समझ देती है और आपको प्रेरित करती है।
डेयरी फार्मिंग दसवीं तक शिक्षा प्राप्त करने वाले रूपाणा खुर्द के जैत कुमार रोहिला ने सीमित पुस्तैनी भूमि पर खेती के साथ-साथ डेयरी फार्मिंग अपनाकर अपनी मासिक आमदन में लाखों रूपये का इजाफा किया है।
वहीं उसने बागबानी में भी नये आयाम छूए हैं। जैत कुमार ने करीब तीन वर्ष पूर्व दुग्ध उत्पादन के लिए मवेशी पालने का कार्य शुरू किया था, जो अब डेयरी फार्म के रूप में तबदील हो चुका है। उसके पास 8 भैंस और 15 देशी गाय हैं, जिसका प्रतिदिन औसतन दो क्विंटल दूध एकत्रित हो जाता है।
शुद्धा और क्वलिटी के चलते इस दूध की ज्यादा मांग रहती है, जैत कुमार स्वयं ही पास के शहर में जाकर घर-घर इस दूध की मार्केटिंग करता है, जिससे उसे दोहरा फायदा होता है।
अमूमन दूध सप्लाई करने वाले दोधी ग्रामीण क्षेत्रों से दूध कम रेट में उठाते हैं और शहरों में भारी मुनाफे पर बेचते हैं।
जैत कुमार ने बिचौलियों को फायदा देने की बजाय स्वयं अपनी मेहनत के द्वारा आमदन में बढ़ोतरी का बेहतर प्रयास किया है। जैत कुमार का मानना है कि जबसे वह दूध का व्यवसाय करने लगा है खेती का कार्य भी आसान लगने लगा है।
क्योंकि खेती कार्य में खर्च की भरपाई अब दूध के व्यवसाय से आसानी से हो जाती है।
प्रगतिशील किसान जैत कुमार ने बताया कि संयुक्त परिवार में रहने के चलते अकेले खेती कार्य से परिवारिक खर्च चला पाना बड़ा कठिन सा हो रहा था। करीब 4 वर्ष पूर्व वह कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों के पास गया और आमदनी बढ़ाने की सलाह मांगी। इस पर उन्होंने जैत कुमार को खेती के साथ डेयरी फार्मिंग अपनाने की सलाह दी। केंद्र से प्रशिक्षण लेकर वर्ष 2016 में उसने चार भैंस और 10 गायों के साथ डेयरी का कार्य शुरू किया। सोशल मीडिया की मदद से दूध की मार्किटिंग करते हुए धीरे-धीरे लोगों को अपने साथ जोड़ा।
बागवानी भी कर रही मालामाल
जैत कुमार ने 3 एकड़ में किन्नू का बाग भी लगाया हुआ है। परिवार के सदस्य खुद मेहनत करते हुए बाग की देखभाल करते हैं। उनका कहना है कि बागवानी से उन्हें प्रति एकड़ सालाना एक लाख रूपये की कमाई हो जाती है। बड़ी बात यह भी है कि किन्नू उत्पादन की मार्किटिंग को लेकर कोई समस्या पेश नहीं आती, क्योंकि आस-पास के गांवों के लोग ही सारा माल उठा लेते हैं, जिससे मार्किटिंग का खर्च भी बच जाता है।
बायोगैस प्लांट बना मददगार
जैत कुमार ने डेयरी फार्मिंग के साथ बायोगैस प्लांट भी लगाया हुआ है। इस प्लांट की मदद से जहां गैस सिलेंडर की समस्या खत्म हो जाती है, वहीं खाद भी प्रचुर मात्रा में मिलती है। सरकारी योजना के तहत किसान को यह प्लांट दिया गया है। जैत कुमार ने बताया कि डेयरी एवं बागवानी कार्य में सरकारी चिकित्सक मुकेश व कृषि विज्ञान केंद्र के डा. देवेंद्र जाखड़ उनका मार्गदर्शन करते रहते हैं।
प्रगतिशील किसान की मिली उपाधि
जैत कुमार सिरसा व हिसार में समय-समय पर आयोजित तीन बड़Þे किसान मेलों में सम्मानित हो चुके हैं। वर्ष 2017 में मुख्यातिथि ओडिशा के राज्यपाल प्रो. गणेशीलाल ने उन्हें डेयरी फार्मिंग अवार्ड से सम्मानित किया। वहीं 23 दिसंबर 2019 को हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने भी सम्मानित किया।
समेकित कृषि प्रणाली के तहत फसल उत्पादन के साथ-साथ डेयरी फार्मिंग, फल-सब्जी उत्पादन आदि का समायोजन किया जाता है जिससे वे एक-दूसरे के पूरक बन सकें। इससे किसानों को दोहरा फायदा मिलता है। प्रगतिशील किसान जैत कुमार ने भी कृषि कार्य के साथ डेयरी फार्मिंग व बागबानी के क्षेत्र में अच्छी कामयाबी हासिल की है।
अन्य किसान भी इस व्यवसाय को अपनाकर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं।
– डा. देवेंद्र जाखड़, मृदा विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा।
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