पंजाब-हरियाणा की राजधानी और एक केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में फैली हरियाली की छटा से प्रेरित होकर सोनीपत (हरियाणा) के रहने वाले देवेन्द्र सूरा ने पूरे प्रदेश में पर्यावरण के लिए एक अभियान छेड़ा है। चंडीगढ़ पुलिस में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत देवेन्द्र सूरा को लोग हरियाणा का ट्री-मैन कहते हैं। Tree Planted
वे कहते हैं कि साल 2011 में जब भर्ती के लिए मैं चंडीगढ़ गया, तो यह शहर तो जैसे मेरे मन में ही बस गया। सबसे ज्यादा मुझे यहाँ की हरियाली ने प्रभावित किया। सड़क के बीच में डिवाइडर पर और तो और रास्तों के दोनों तरफ भी पेड़ इस तरह से लगाये गये हैं कि इनकी छाँव में चलते समय आपको धूप का अंदाजा भी न होगा। देवेन्द्र ने याद करते हुए बताया कि उनमें हमेशा से ही देश के लिए कुछ करने का जज्बा रहा है।
उनके पिता एक रिटायर्ड फौजी हैं और उन्हीं से उन्हें देश और समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा मिली। चंडीगढ़ की हरियाली को देखकर उनके मन में ख्याल आया कि क्यों ना अपने सोनीपत को भी ऐसे ही हरा-भरा बनाया जाए। इस तरह पर्यावरण को संरक्षित कर, वे अपने देश का भी कल्याण करेंगे।
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गाँव से लेकर शहरों तक हरियाली का संदेश
हरियाली की यह पहल उन्होंने अपने खुद के घर और शहर से शुरू की। गाँव से होने के चलते, उन्हें पेड़-पौधों के बारे में ज्ञान तो था और अपने अभियान के साथ-साथ वे हर रोज नया कुछ सीखते भी रहे। देवेन्द्र बताते हैं कि जब उन्होंने यह काम शुरू किया, तब उनका परिवार पूरे मन से उनके साथ नहीं था, क्योंकि देवेन्द्र अपना पूरा वेतन पेड़ों पर ही खर्च कर देते थे। इससे परिवारवालों को दिक्कत थी। लेकिन धीरे-धीरे, जब कई जगहों पर उनके प्रयासों से बदलाव आने लगा और खासकर कि गांवों के युवा उनसे जुड़ने लगे, तो उनके परिवार का भी पूरा साथ उन्हें मिला।
वे अब तक सोनीपत के आस-पास के लगभग 182 गांवों में पेड़ लगवा चुके हैं। आस-पास के गांवों में जाकर ग्राम पंचायतों से बात करते हैं। गाँव से ही लगभग 20-30 युवा बच्चों की एक समिति बनाई जाती है और गाँव में पौधारोपण के बाद, इस समिति को पेड़ों की देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। 8 000 से भी ज्यादा पर्यावरण मित्र जुड़े हुए हैं। उन्होंने अब तक 1,54,000 पेड़ लगवाए हैं और लगभग 2,72,000 पेड़ स्कूल, शादी समारोह, रेलवे स्टेशन, मंदिर आदि में जा-जाकर बांटे हैं। इनमें पीपल, जामुन, अर्जुन, आंवला, नीम, आम, अमरुद, हरसिंगार जैसे पेड़ शामिल हैं।
शादी-ब्याह में पौधे तोहफे में देने की पहल
पिछले सात सालों में पेड़ लगाने के लिए देवेन्द्र लगभग 30-40 लाख रुपए खर्च कर चुके हैं। शुरूआत में वे हरियाणा में ही निजी नर्सरी से पेड़-पौधे खरीदते थे, फिर उन्होंने उत्तर-प्रदेश से पेड़ लाना शुरू किया। पर जब उनका अभियान बढ़ने लगा तो उन्हें महसूस हुआ कि उन्हें खुद की नर्सरी शुरू करनी चाहिए, जहाँ वे खुद पेड़ तैयार करें। मैंने दो एकड़ जमीन लीज पर ली हुई है और वहीं पर अपनी नर्सरी शुरू की। इस नर्सरी से कोई भी बिना किसी पैसे के पेड़ ले जा सकता है। देवेन्द्र कहते हैं कि हर एक इंसान को अपने घर में हरड, शहजन, तुलसी, श्यामा तुलसी आदि जैसे औषधीय पौधे जरूर लगाने चाहिएं।
मानसून के मौसम में सबसे ज्यादा पेड़ लगते हैं इसलिए कम से कम दो महीने के लिए वे छुट्टी ले लेते हैं। इन दो महीनों में अलग-अलग इलाकों में जाकर वे वृक्षारोपण करवाते हैं। देवेन्द्र कहते हैं कि वे ताउम्र यही काम करना चाहते हैं। उन्हें कभी भी रुकना नहीं है, बल्कि उनका लक्ष्य हर एक गाँव-शहर को हरा-भरा बनाना है।
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