पहले गेहूं अब आॅर्गेनिक सब्जियों के प्रति जागरूक कर रहे धर्मपाल खोथ Organic Farming
किसानों को आॅर्गेनिक खेती के प्रति जागरूक करने के लिए हरियाणा सरकार व कृषि विभाग की ओर से अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिन्हें देखकर किसानों ने अब आॅर्गेनिक खेती की ओर रूख करना शुरू कर दिया है। ऐसे ही एक किसान हैं गांव अरनियांवाली(जिला सरसा) निवासी 60 वर्षीय धर्मपाल खोथ, जिन्होंने टीवी चैनल पर आॅर्गेनिक खेती के बारे में देखा था, जिसे देखकर उनके मन में आॅर्गेनिक खेती के प्रति लालसा जागी।
सर्वप्रथम जहां धर्मपाल खोथ ने आॅर्गेनिक गेहूं की खेती की और परिवार के लोग वही गेहूं खाने में इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं इस बार उन्होंने आॅर्गेनिक सब्जियों की काश्त कर ग्रामीणों के सामने आॅर्गेनिक खेती का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। हालांकि सब्जियों की काश्त उन्होंने कुछ हिस्से में घर के लिए ही की थी, लेकिन कम लागत में उम्मीद से अधिक सब्जियों का उत्पादन हुआ। किसान धर्मपाल ने आगामी समय में अन्य किसानों को भी आॅर्गेनिक सब्जियों व फसलों के प्रति जागरूक करने का मन बनाया है।
Organic Farming समय के साथ सोच में आया बदलाव
किसान धर्मपाल बताते हैं कि बदलते समय के साथ-साथ किसानों की सोच भी अब बदलने लगी है। पुरानी परिपाटी को छोडकर अब किसानों ने आॅर्गेनिक खेती की ओर रूख करना शुरू कर दिया है, जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। साधारण परिवार में जन्मे और कक्षा 8 तक पढ़े लिखे धर्मपाल खोथ ने बताया कि उनका शुरू से ही खेती के प्रति रूझान रहा है। उनके तीन बच्चे, जिनमें एक लडका व दो लड़कियां हैं।
लडका भी खेतीबाड़ी करता है। वे पहले रेडियो पर खेती से संंबंधित सभी कार्यक्रम सुनते थे, वहीं अब रेडियो के गायब होने के बाद टीवी पर खेती से संबंधित चैनल को देखकर नई-नई तकनीक सीखते हैं। आॅर्गेनिक खेती के बारे में उन्होंने टीवी पर ही देखा था। जिसके बाद उनके मन में आॅर्गेनिक खेती के प्रति लालसा जागी।
उन्होंने पहले डेढ़ एकड़ में गेहूं की काश्त की, जिसमें बहुत कम खर्च के बाद भी उत्पादन भी अधिक हुआ। परिवार के लोग उसी गेहूं को खाने में इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं इस बार उन्होंने कुछ भूमि में आॅर्गेनिक सब्जियों की काश्त की। इनमें खीरा, बंगा, हरी मिर्च व पेठा प्रमुख हैं। धर्मपाल ने बताया कि उसकी उम्मीद से अधिक सब्जियों का उत्पादन हुआ। बड़ी बात तो ये है कि डेढ़ से पौने दो किलो के खीरे गांव व आसपास के क्षेत्र में चर्चा का विषय बने हुए हैं।
-महेन्द्र सुथार
’’खाद्य पदार्थों में पेस्टीसाइड का बढ़ता प्रयोग नुकसानदेह साबित हो रहा है। यदि इन्सान को स्वस्थ रहना है तो अवश्य ही उसे नियमित खान-पान के पदार्थाें की गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा।
इसके लिए पहले अपने घर से शुरूआत करनी होगी। किसान धर्मपाल ने आॅर्गेनिक पद्धति अपनाकर यह संदेश देने का प्रयास किया है कि आज के समय में अनाज व अन्य खाद्य सामग्री में अच्छी गुणवता ही सबसे बेहतर उपाय है, यह प्रयास सराहनीय है।’’
– डा. देवेंद्र जाखड़, मृदा विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा।
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