अंतर्राष्ट्रीय दिल्ली हाफ मैराथन में भी झटका स्वर्ण, अब तक 538 पदक जीते| Veteran athlete Ilam Chand Insan
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वयोवृद्ध एथलीट: गुरु प्रेरणा से अधेड़ उम्र में जागी एथलीट बनने की ललक
कभी दो कदम चलते ही सांस फूलने लगती थी, दम बेदम हो उठता था, अधेड़ उम्र आई तो तन में नई ऊर्जा, नई स्फूर्ति का संचार हुआ। अब वही कदम इतनी तेजी से चलते हैं कि बड़े-बड़े धावक भी पीछे छूट जाते हैं। जी हाँ, यहाँ बात हो रही है उम्र का शतक लगाने के करीब पहुंच चुके 94 वर्षीय इलम चंद इन्सां की, जिन्होंने हाल ही में दिल्ली में सम्पन्न हुई तीन किलोमीटर मैराथन दौड़ 30 मिनट में पूरा करके सबको चौंका दिया।
जब वो दौड़ते हैं तो चीते की मानिंद प्रतीत होते हैं। गजब बात तो यह है कि इलम चंद इन्सां ने करीब 68 साल की उम्र में खेलना शुरु किया और एक के बाद एक नए कीर्तिमान स्थापित करते हुए योग, मैराथन सहित कई अन्य खेल प्रतियोगिताओं में अंतर्राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अब तक 538 पदक हासिल किए हैं। दरअसल, गत 12 अक्तूबर को दिल्ली में तीन किलोमीटर दौड़ प्रतियोगिता आयोजित हुई जिसमें 94 वर्षीय एथलीट ईलम चंद इन्सां ने इस दौड़ को 30 मिनट में पूरा करके प्रथम स्थान प्राप्त किया। इस प्रतियोगिता में करीब दो हजार सीनियर सिटीजन एथलीट्स ने भागीदारी की थी। आयोजनकर्ताओं ने इलम चंद इन्सां को स्वर्ण पदक व प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया।
25 वर्ष पहले पूज्य गुरु जी से हुई एक मुलाकात से जीवन को मिली नई रफ्तार

पूज्य गुरु जी ने उस दौरान कसरत व योग करने की सलाह दी। इसके बाद उन्होंने योग को जीवन का आधार बना लिया, जिससे बीमारियां तो खत्म हुई ही, खेलों की दुनिया में भी उन्हें नया प्रवेश मिल गया। तभी से इलम चंद जिस भी प्रतियोगिता में खेलने जाते हैं, वहाँ से पदक जीतकर ही लौटते हैं। वे अब तक 538 पदक जीत चुके हैं जिसमें 113 अंतर्राष्ट्रीय, 244 अंतर्राष्ट्रीय तथा अन्य अन्य जिला, ग्रामीण स्तर पर कई पदक अपने नाम कर चुके हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री द्वारा लाइफ अचीवमेंट अवार्ड, माननीय प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान और महामहिम उप राष्टÑपति वैंकेया नायडू स्पोर्ट्समैन एडवेंचर में वयोवृद्ध सम्मान से पुरस्कृत हैं।
योग की शुरुआत उन्होंने सन् 2000 में तब की, जब वे शुगर और खांसी जैसी बीमारियों की लंबी पीड़ा के चलते पहली बार डेरा सच्चा सौदा में सत्संग दौरान पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां से रूबरू हुए। पूज्य गुरु जी ने उस दौरान कसरत व योग करने की सलाह दी। इसके बाद उन्होंने योग को जीवन का आधार बना लिया, जिससे बीमारियां तो खत्म हुई ही, खेलों की दुनिया में उन्हें नया प्रवेश मिल गया।
एशिया मॉस्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में जीते 3 पदक
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में खेली जा रही 23वीं एशिया मॉस्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में वयोवृद्ध एथलीट एवं पूर्व प्रधानाचार्य 94 वर्षीय ईलम चंद इन्सां ने शानदार प्रदर्शन करते हुए देश का गौरव बढ़ाया। 85 प्लस वर्ग में प्रतिस्पर्धा कर रहे ईलम चंद इन्सां ने तीनों स्पर्धाओं में पदक अपने नाम किए। 5 नवंबर को हुए ट्रिपल जंप इवेंट में उन्होंने कांस्य पदक (ब्रॉज मैडल) हासिल किया। इसके अगले दिन, 6 नवंबर को ऊंची कूद (हाई जंप) में अपनी उत्कृष्ट प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए रजत पदक (सिल्वर मेडल) जीता। वहीं, सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि 7 नवंबर को रही जब उन्होंने पोल वॉल्ट जंप में शानदार प्रदर्शन कर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इस अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, फिलीपींस, ईरान, कजाकिस्तान समेत 21 से अधिक देशों के खिलाड़ियों ने भाग लिया।
” मैं अपनी जीत का पूरा श्रेय अपने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को देता हूँ। ‘डॉ. एमएसजी’ पापा कोच ही मेरे कोच हैं और उनकी बदौलत ही सैकड़ों पदक जीत पाया हूँ और आगे भी इसी तरह जीतता रहूंगा। पूज्य गुरु संत डॉ. एमएसजी से गुरुमंत्र लेकर ध्यान में नियमित समय लगाता हूँ। ध्यान आसन इसमें बहुत मददगार है। मैं ब्रह्मचर्य का पालन करता हूँ। उम्र के साथ बुजुर्ग होना एक सोच है, जबकि मनुष्य के जज्बे के आगे ऐसी सोच कुछ मायने नहीं रखती। पूज्य गुरु जी की रहमत से 94 वर्ष की उम्र में भी मेरी हिम्मत और जोश आज भी 16 साल के बच्चे की तरह है तथा मेरी उपलब्धियों के इस क्रम को आने वाले समय में भी जारी रखना चाहता हूँ।
-वयोवृद्ध एथलीट इलम चंद इन्सां


































































