संतों का शुभ आगमन मानवता प्रति शुभ संदेश -सम्पादकीय
पूजनीय गुरु जी का पूरा जीवन मानवता को समर्पित है। किसान खुदकुशी का रास्ता छोड़कर अपनी खेती को लाभदायक बनाए तथा खुशहाल रहे। नौजवान पीढ़ी गलत कामों में पड़कर अपने जीवन को बर्बाद न करे।
क्या व्यापारी वर्ग, क्या गृहस्थी जीवन जी रहे लोग, पूजनीय गुरु जी ने देश दुनिया के हर वर्ग के लिए करम कमाया है कि सारी दुनिया खुशहाल रहे, मानव समाज तंदुरुस्त रहे। उनका हर पल मानवता व समाज के भले के लिए गुजरता है।
युगों-युगों से संत-सतगुरु इस सृष्टि पर अवतरित होते रहे हैं। क्योंकि संत-महापुरुष सृष्टि का आधार होते हैं, उनके बिना सृष्टि का आधार ही नहीं है। संतों की पवित्र हजूरी में ही मनुष्य अपने जीवन की समस्याओं का समाधान करने में सफल हुआ है। उनका आश्रय लेकर ही मनुष्य महा मनुष्य बन सका है। इतिहास में नजर डालें तो ऐसे कितने ही श्रेष्ठ उदाहराण मिलते हैं कि पाप-कर्माें में डूबे इन्सान संतों की शरण लेकर भक्तों का दर्जा हासिल कर गए और अन्य लोगों के लिए भी वह प्रेरणा स्रोत साबित हुए। यह सब संतों की शरण का ही कमाल है।
धरती पर मानवीय गुणों को बनाए रखने के लिए संत अवतरित होते हैं। उनका प्रत्येक कार्य मनुष्य को खुशहाली की तरफ ले जाने वाला होता है। जैसे पेड़-पौधे अपना फल खुद नहीं खाते, दूसरों के लिए पैदा करते हैं, सरोवर, समुद्र भी पानी खुद नहीं पीते, दूसरों के लिए हैं। फूल भी अपनी सुगंधि दूसरों को ही बांटते हैं। इसी तरह संतों का जीवन भी परोपकारों की मिसाल होता है। संत परम पिता परमात्मा का हुक्म पाकर जीव-सृष्टि के उद्धार का उद्देश्य लेकर अवतरित होते हैं। ‘ना को वैरी नहीं बेगाना सगल सिंउ हम को बनआई।’ संत कभी किसी से भी वैर-विरोध का भाव नहीं रखते, कभी किसी से भेद-भाव की भावना उनके अंदर नहीं होती। उनका सच्चा-सुच्चा व्यवहार सबके लिए परमार्थ, दूसरों यानि सारी खलकत की खुशी के लिए होता है। संत सब के भले के लिए ही हमेशा दुआ करते हैं। वह कभी भी बुरा नहीं कहते, करना तो बहुत दूर की बात है।
पूजनीय गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने अपना अवतार लेकर सृष्टि की भलाई का बीड़ा उठाया है। उन्होंने 15 अगस्त 1967 को संसार पर अवतार धारण किया है। पूजनीय गुरु जी का पूरा जीवन मानवता को समर्पित है। किसान खुदकुशी का रास्ता छोड़कर अपनी खेती को लाभदायक बनाए तथा खुशहाल रहे। नौजवान पीढ़ी गलत कामों में पड़कर अपने जीवन को बर्बाद न करे। क्या व्यापारी वर्ग, क्या गृहस्थी जीवन जी रहे लोग, पूजनीय गुरु जी ने देश दुनिया के हर वर्ग के लिए करम कमाया है कि सारी दुनिया खुशहाल रहे, मानव समाज तंदुरुस्त रहे। इन्सानियत का ज्यादा से ज्यादा भला हो। ज्यादा से ज्यादा लोग परम पिता परमात्मा की भक्ति से जुड़ कर अपने जीवन को लोक-परलोक में सुखी बनाएं। उनका हर पल मानवता व समाज के भले के लिए गुजरता है।
और इस तरह पूजनीय गुरु जी अपने मन, वचन तथा कर्म से हर पल मानवता तथा समाज के उद्धार में लगे हुए हैं। पूजनीय गुरु जी की हर चिट्ठी में भी संगत के लिए यही संदेश होता है। पूजनीय गुरु जी के पवित्र वचनानुसार अगर हर इन्सान पूजनीय गुरु जी की पावन शिक्षाओं को फॉलो करे और अपने जीवन को उनके अनुसार ढाल ले तो हर कोई सुख-चैन तथा आत्मिक सकून से भर जाए और हर तरफ समाज, देश, पूरे जगत में खुशहाली तथा खुशी की लहरें हों। जरूरत है साध-संगत के लिए पूजनीय गुरु जी की पावन शिक्षाओं पर अमल करने की। पूजनीय गुरु जी के पवित्र अवतार दिवस 15 अगस्त की ढेरों मुबारिकें हों जी।