Blood Pressure
Hypertension ब्लॅडप्रेशर का बढ़ना -एक रोग अथवा रोगों की शुरुआत!
ब्लड प्रेशर एक घातक स्वास्थ्य स्थिति है, यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकती है। हाइपरटेंशन का मुख्य कारण लाइफस्टाईल से जुड़ी आदतें होती हैं, जिसके कारण अन्य कई प्रकार की बीमारियाँ भी हो सकती हैं। आइए जानते हैं शाह सतनाम जी स्पैशलिटी हॉस्पीटल सरसा के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अवतार सिंह (एमडी, डीएम कार्डियोलॉजी) से ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याओं पर विशेष बातचीत के मुख्य अंश:

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प्रश्न: बी.पी. क्या है?

जवाब:- बी.पी. (ब्लडप्रेशर) रक्त प्रवाह से धमनियों में बनने वाला दवाब है। यह 2 प्रकार का होता है।
  1. Systolic BP इढ जिसे सामान्य भाषा में ऊपर वाला बी.पी. कहा जाता है। यह हृदय की पम्पिंग क्षमता एवं धड़कन पर मुख्यत: निर्भर करता है।
  2.  Diastolic BP इढ जिसे सामान्य भाषा में नीचे वाला बी.पी. कहा जाता है। यह शरीर की रक्तवाहिनियों की क्षमता पर निर्भर करता है।  एक सामान्य व्यक्ति का ब्लॅडप्रेशर 120/80 ेऌॅ होता है।

प्रश्न:- बी.पी. की बीमारी क्या है?

जवाब:- हाइपरटेंशन, जिसे बी.पी. बढ़ने की बीमारी माना जाता है। यदि किसी का बी.पी. 140/90 mmHgसे अधिक हो, तब उसकी गणना इस श्रेणी में आती है।

प्रश्न:- क्या बी.पी. का बढ़ना कोई गंभीर समस्या है?

जवाब:- सामान्यत: कुछ ही लोगों में बी.पी. के बढ़ने से सिरदर्द होना, चक्कर आना, सांस फूलना, छाती दर्द के लक्षण प्रारंभिक स्तर पर मिलते हैं। बहुत से लोगों में शुरुआत में कोई विशेष लक्षण नहीं मिलते हैं। बी.पी. चैकअप करने पर ही पता लगता है। बी.पी. का लंबे समय तक अधिक रहना कई जानलेवा बीमारियों जैसे ब्रेन स्ट्रोक (लकवा), गुर्दे का खराब होना, हृदय का कमजोर होना, आँखों का खराब होना आदि का कारण बन जाता है।

प्रश्न:- किन लोगों को बी.पी. की बीमारी होने का खतरा अधिक रहता है?

जवाब:- 
  • जिनके परिवार में सगे-संबंधियों को बी.पी. की बीमारी हो।
  •  डायबिटीज/ किडनी संबंधित रोगों के मरीज।
  • अत्याधिक एल्कोहल का सेवन करने वाले लोग।
  • मोटापे से ग्रस्त लोग।
  • हाइपर थायरॉइड/हार्मोन जनित बीमारियों से ग्रस्त रोगी।

प्रश्न:- कौन से टेस्ट की सलाह प्राथमिक रूप से हाइपरटेंशन के मरीज को दी जाती है?

जवाब:- 
  • ब्लॅड टेस्ट:-
    Renal Function Test (RFT)
    Fasting Blood Sugar (ब्लड शूगर)
    Fasting Lipid Profile (कोलेस्ट्रॉल की जांच)
    Thyroid Function Test (थायरॉइड टेस्ट)
    Hormones Level Test (विशेष परिस्थितियों में कतिपय हार्मोन लेवल)
  • Renal Artery Doppler Test (कम उम्र के बी.पी. मरीजों के लिए गुर्दे की रक्तवाहिनियों की जांच सोनोग्राफी मशीन द्वारा।)
  • ईसीजी
  • इकोकॉर्डियोग्राफी

प्रश्न:- बहुत से लोग कहते सुने गए हैं कि हम स्वस्थ हैं और सभी जांचें भी नार्मल हैं, फिर भी हमारा बी.पी. अधिक क्यों है?

जवाब:- 95 फीसदी से अधिक बी.पी. के मरीजों में कोई अंतर्निहित कारण या शारीरिक रोेग का पता नहीं लगता है, इसलिए इसे Essential Primary Hypertension कहा जाता है। इसी प्रकार एक अन्य स्वस्थ व्यक्ति भी बी.पी. बढ़ने की बीमारी का शिकार हो सकता है। यदि कोई भी शारीरिक लक्षण ना हो किंतु जांच में अधिक बी.पी. हो तो इसे इलाज द्वारा कंट्रोल किया जाना चाहिए, क्योंकि बढ़े हुए बी.पी. का शरीर के अंगों पर दुष्प्रभाव घातक हो सकता है। शायद इसीलिए हाइपरटेंशन को साइलेंट किलर भी कहा जाता है।

प्रश्न:- अधिक उम्र होने पर तो बी.पी. सामान्यत: बढ़ता ही है, दवा की क्या आवश्यकता है?

जवाब: नवीनतम मानकों के आधार पर उम्र के आधार पर कोई छूट नहीं है, अपितु अधिक उम्र में हाइपरटेंशन से होने वाले कॉम्पलिकेशन की दर अधिक बढ़ जाती है। इसलिए ऐसे लोगों को अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है।

प्रश्न:- बी.पी. की दवा एक बार शुरु कर लें तो हमेशा इसका सेवन करना पड़ता है, ऐसा क्यों?

जवाब:- आरंभिक स्तर के मरीज जिनका बी.पी. बहुत ज्यादा ना बढता हो अथवा कभी-कभी ही बढ़ता हो, ऐसे मरीजों को डाइट में सुधार एवं स्वस्थ जीवनशैली की सलाह दी जाती है, जैसे कि तले हुए अधिक नमकयुक्त फास्टफूड का सेवन कम करें, नियमित एक्सरसाइज़ करें, बी.पी. की दवाएं तभी शुरु की जाती है, जब उपर्युक्त वर्णित प्रयासों के बावजूद तय मानकों से अधिक बी.पी. बढ़ा हुआ हो।
इसके अलावा ईलाज के दौरान यदि बी.पी. नियंत्रित रहने लगे या कम रहने लगे तो दवा को कम अथवा बंद भी किया जा सकता है, किंतु यह किसी योग्य चिकित्सक की निगरानी में ही संभव है। जब मरीज बी.पी. की लगातार जांच करवाएं और बी.पी. की अधिकता होने पर दोबारा समय पर दवाएं शुरु की जा सकें।

प्रश्न:- हाइपरटेंशन के लिए बहुत तरह की दवाएं उपलब्ध हैं, फिर भी अधिकतर मरीज अनियंत्रित बी.पी. से ग्रस्त हैं?

जवाब:- बी.पी. की दवाएं लेने का एकमात्र उद्देश्य बी.पी. को कंट्रोल करना है, दवा की मात्रा (डोज), दवा का दोहराव, दवा के प्रकार के आधार पर हर मरीज के लिए अलग-अलग होता है।
किसी को दवा की कम मात्रा की आवश्यकता होती है और किसी को अधिक मात्रा की। इसलिए ज्यादातर केस में बी.पी. के कंट्रोल ना होने का मुख्य कारण होता है, दवा रोज़ाना ना लेना, समय पर ना लेना, पूरी मात्रा में ना लेना, कभी दवा लेना कभी छोड़ देना।

प्रश्न:- आप बी.पी. के मरीजों को क्या सलाह देना चाहेंगे?

जवाब:- हाइपरटेंशन को लेकर चिंता करने की बजाय समय पर आवश्यक ब्लड टेस्ट एवं जांचें करवाएं एवं किसी योग्य चिकित्सक की निगरानी में खानपान और जीवनशैली में सुधार कर इसे कंट्रोल करने की कोशिश करें और यदि आवश्यकता हो तो सही मात्रा में बी.पी. की दवा का सेवन नियमित रूप से रोज़ाना आरंभ करें एवं बी.पी. की जांच करवाते रहें।

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