bhujangasana benefits

कमर दर्द में चाहिए आराम, तो करें भुजंगासन Bhujangasana -आजकल की बढ़ती बिमारियों को देखते हुए हमारी दैनिक दिनचर्या में योग को शामिल करना एक जरूरत बन गया है। योग हमारी प्राचीन संस्कृति है। इसका यह मतलब नहीं कि हम अपनी प्राचीन संस्कृति से जुड़कर भौतिक समाज से अलग हो जाएंगे, बल्कि इससे हमारे आधुनिक जिंदगी के रास्ते खुल जाएंगे। ऐसे भी कह सकते हैं कि जब संस्कृति को सभ्यता के साथ लेकर चलेंगे, तो हम शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ाने में सक्षम होंगे।

शरीर स्वस्थ तो जहान स्वस्थ। अगर हमारा शरीर ही स्वस्थ नहीं है, हम कुछ भी कर पाने में समर्थ नहीं हैं, तो सब कुछ होते हुए भी बेकार लगता है। इसीलिए आज सबसे अहम् जरूरत हमारा स्वास्थ्य है। हमारे शरीर को स्वस्थ व स्ट्राँग रखने में जो सबसे अधिक भूमिका निभाती है, वो है हमारी ‘बैक बोन’ यानि ‘रीढ की हड्डी’। बैक बोन हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिस पर सारा शरीर खड़ा है। योग में यह मान्यता है कि जब तक आपकी कमर में लचक है, तो आप जवान हैं।

सम्भवत: आप बैक पेन से पीड़ित हैं, तो किसी भी प्रकार का कार्य हो, आप उसमें जल्दी थक जाएंगे। फिर वो कार्य चाहे चलने, बैठने या खड़े रहने वाला ही क्यों न हो। पर अगर आपकी बैक स्ट्राँग है, तो घंटों कार्य करने के बाद भी आपको थकावट नहीं आएगी। इसलिए अपने शरीर की कार्यक्षमता को बढ़ाने और आत्मनिर्भर होकर कार्य करने के लिए नियमित रूप से ‘भुजंगासन’ को दिनचर्या में शामिल करें।

भुजंग आसन-(कोबरा पोज): Bhujangasana

  • भुजंग आसन जब हम करते हैं तो हमारी बॉडी पोश्चर सर्प की तरह बन जाता है, (जैसे सर्प कुंडली मार कर बैठता है)। इसलिए इसे भुजंग आसन कहते हैं। भुजंग आसन करने से कमर दर्द में तो आराम मिलता है, साथ ही बैक की स्ट्रैंथ कई गुणा बढ़ सकती है। हमारे सुपर ह्यूमन गुरु पूज्य संत डॉ. एमएसजी ने कमर दर्द से परेशान लोगों को भुजंग आसन करने की विधि बताई, जिससे उनकी सालों पुरानी बैक पेन कुछ दिनों में ही धीरे-धीरे खत्म होती चली गई।
  • लोअर बैक में कई बार तो पेन लैग से होता हुआ पैर तक भी पहुंच जाता है। करवट लेना मुश्किल हो जाता है। यहां तक कि हर स्टैप डर-डर कर रखना पड़ता है, जिसे डॉक्टर स्लिप डिस्क या डिस्क प्रोब्लम कहते हैं। ऐसी स्थिति में भुजंग आसन नियमित रूप से व सीरियसली करके बैक पेन से आसानी से राहत पा सकते हैं।

भुजंगासन Bhujangasana आसन का मैथड:

  • योगा मैट पर या फिर किसी दरी पर पेट के बल लेट जाएं।
  • दोनों हाथ अपनी दोनों तरफ कंधों के बराबर रखें।
  • अब सांस लेते हुए अपनी अपर बॉडी को जितना उठा सकते है, उठाएं। अपनी कैपेस्टी (क्षमता) से ज्यादा उठाने की जल्दबाजी व जबरदस्ती न करें।
  • गर्दन को ऊपर करके छत को देखने की कोशिश करें।
  • 5-7 सैकेंड इसी पोजीशन में होल्ड करने के बाद सांस छोड़ते हुए वापिस नीचे आकर 5 सैकेंड आराम करें।
  • इस तरह 15 बार भुजंग आसन करना है। अगर जरूरत पड़े तो बीच में 5-10 सैकेंड आराम कर सकते हैं।
  • दिन में 15-15-15 बार ये आसन सुबह, दोपहर और शाम को करें।
  • अगर आपको इस विधि से भुजंग आसन करने से फायदा हुआ हो, तो कृप्या सच्ची शिक्षा में अपना नाम व फोटो अवश्य भेजें, ताकि और लोग जो भी इस दर्द से परेशान हैं, वो भी इसका फायदा उठा सकें।

Bhujangasana सावधानियां:

  • पेट के किसी रोग के चलते इस आसन को न करें।
  • हर्निया व अल्सर में परहेज रखें।
  • गर्भवती स्त्री को भुजंग आसन नहीं करना चाहिए।
  • यह आसन थोड़ा कठिन होता है, इसलिए यह आसन करते समय जल्दबाजी व लापरवाही न करें।
  • इस आसन को खाली पेट करें या खाना खाने के 2 घंटे बाद करें।

लाभ:- Bhujangasana Benefits

भुजंगासन के बैक पेन के साथ-साथ अन्य और भी कई फायदे हैं। जैसे-

  • तनाव व थकान को दूर करता है।
  • अस्थमा के लक्ष्णों को दूर करता है।
  • प्रजनन प्रणाली में सुधार आता है।
  • सूर्य नमस्कार का 7वां स्टैप होने की वजह से शरीर को ऐनर्जी देता है।
  • ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है, जिससे चेहरे पर निखार आता है।
  • थायरायड की समस्या को कम करता है।
  • मोटापा कम करने में मदद करता है।
  • लीवर व किडनी के कार्यों में सुधार करता है।
  • अनियमित मासिक धर्म की समस्या को कम करता है।
  • आतों में चिपका मल स्वयमेव ही बाहर निकल आता है।
  • माईग्रेन को कम करता है।
  • गला दर्द, पुरानी खांसी व फेफड़ों संबंधी बीमारी हो, तो भी भुजंग आसन में आराम मिल सकता है।
  • पित्ताशया की क्रियाशीलता को बढ़ाता है।
  • नियमित रूप से भुजंग आसन करने से कमर की लचक बढ़ती है।
  • कमर को स्ट्रैंथ देकर बॉडी की कार्यक्षमता को बढ़ाता है।

-नीलम इन्सां, योगा वर्ल्ड चैंपियन

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