फॉरेस्ट्री में करियर की अपार संभावनाएं | Immense possibilities of career in forestry
वन संसाधनों पर हमारी निर्भरता प्राचीन समय से रही है। पशुचारे और र्इंधन तक सीमित रही यह निर्भरता आधुनिक समय में और विस्तृत हुई है। भवन निर्माण, फर्नीचर और कागज उद्योग के लिए कच्चे माल की जरूरत भी वनों के दोहन से जुड़ गई है। नतीजा वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है और वन क्षेत्र सिमट रहे हैं। हमारे परिस्थिति की तंत्र और पर्यावरण पर इसका कुप्रभाव भी नजर आ रहा है। ऐसे में वन और उनकी संपदा के संरक्षण और पुन: नवीनीकरण की जरूरत भी पैदा हुई है। इस वजह से देश में बड़े पैमाने पर फॉरेस्ट्री के विशेषज्ञों के लिए अवसर पैदा हुए हैं।
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क्या है फॉरेस्ट्री:
वनों की देखभाल और उन्हें विकसित करने के विज्ञान को फॉरेस्ट्री कहते हैं। यह विषय वनों के प्रबंधन पर केंद्रित है। इसमें जंगलों की सुरक्षा और संरक्षण को सुनिश्चित करते हुए उनके संसाधनों (पौधरोपण करके) का संवर्धन किया जाता है। इस विषय का उद्देश्य उन विधियों और तकनीकों को विकसित करना है, जिनसे वन आधारित इंसानी जरूरतें भी पूरी होती रहें और निर्बाध रूप से वनों का विकास भी होता रहे। फॉरेस्ट्री के तहत ग्लोबल वार्मिंग, वनों की अंधाधुंध कटाई, जल संकट, प्राकृतिक आपदा और तापमान परिवर्तन आदि मुद्दों को ध्यान में रखते हुए वन संसाधनों का किफायती और नियंत्रित उपयोग करने के बारे में जानकारी और प्रशिक्षण दिया जाता है।
फॉरेस्टर के कार्य:
- वनभूमि के मालिकों को पौधों की प्रजातियों के चयन, रोपण के तरीकों, बजट निर्धारण और इकोलॉजिकल सर्वे में सलाह देना।
- वनों का संरक्षण और तबाही के कगार पर पहुंच चुके वन क्षेत्रों को उनके मूल स्वरूप में लाना।
- बंजर भूमि के विकास में मदद करना।
- लकड़ी के व्यापारियों, वन भूमि के मालिकों, स्थानीय प्रशासन और ग्राहकों से संपर्क करना।
- इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने में सहयोग करना।
- अवैध कटाई, कीटों और बीमारियों से वनों का संरक्षण करना।
- वन और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े कानूनों में बदलावों की जानकारी रखना।
काम के अवसर:
फॉरेस्ट्री विषय के छात्र फॉरेस्टर के तौर पर काम करने के अलावा कुछ अन्य पदों पर भी काम कर सकते हैं। कार्य की प्रकृति और अपनी रुचि के अनुसार आप किसी एक का चुनाव कर सकते हैं।
फॉरेस्ट रेंज आॅफिसर:
सार्वजनिक वनों, अभयारण्यों और बोटेनिकल गार्डन आदि वनभूमि के संरक्षण का कार्य इन की देख-रेख में संपन्न होता है।
जू क्यूरेटर :
चिड़ियाघरों में जानवरों की देखभाल और उनके अनुकूल परिवेश तैयार करवाने की जिम्मेदारी जू क्यूरेटर की होती है। इसके अलावा चिड़ियाघर के प्रशासनिक कामकाज का दायित्व भी क्यूरेटर के ऊपर होता है।
डैंड्रोलॉजिस्ट :
इनका काम शोध गतिविधियों पर केंद्रित होता है। पेड़ों की विभिन्न प्रजातियों का वर्गीकरण, उनके इतिहास व जीवन चक्र का अध्ययन और अन्य संबंधित कार्य डैंड्रोलॉजिस्ट करते हैं। इसके अलावा वह वनीकरण (अफॉरस्टेशन) के नए तरीकों की तलाश और वनों के विस्तार के लिए शोध कार्य भी करते हैं।
सलाहकार :
देश में वन क्षेत्र और वन्य जीवन के संरक्षण के लिए कई गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) कार्यरत हैं। इन कार्यो के लिए इन्हें विशेषज्ञों की जरूरत होती है। फॉरेस्ट्री विशेषज्ञ के तौर पर इनके लिए सलाहकार का कार्य किया जा सकता है।
इथनोलॉजिस्ट :
इथनोलॉजिस्ट वनों व जैव संपदा में होने वाले परिवर्तन और उनकी कार्यप्रणाली का अध्ययन करता है। जू, एक्वेरियम, लैब्स आदि में जीवों के लिए वास स्थान तैयार करने में इथनोलॉजिस्ट की काफी जरूरत पड़ती है। राष्ट्रीय स्तर पर इसमें परीक्षा साल में एक बार आयोजित की जाती है।
बैचलर कोर्स:
फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बायोलॉजी विषय के साथ बारहवीं पास करने के बाद फॉरेस्ट्री के बीएससी कोर्स में प्रवेश लिया जा सकता है। देश में 40 से ज्यादा विश्वविद्यालयों में यह कोर्स संचालित हो रहा है। दाखिले के लिए इन संस्थानों द्वारा प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जा जाता है।
मास्टर्स/ पीजी डिप्लोमा कोर्स:
फॉरेस्ट्री में बीएससी डिग्री प्राप्त करने के बाद फॉरेस्ट्री के एमएससी कोर्स में दाखिला लिया जा सकता है। फॉरेस्ट्री और उससे संबंधित विषयों में कई स्पैशलाइज्ड कोर्स भी उपलब्ध हैं। पोस्ट ग्रैजुएट डिग्री और पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा स्तर पर ये कोर्स देश के कई संस्थानों में उपलब्ध हैं।
वेतनमान:
फॉरेस्ट्री में बैचलर डिग्री हासिल करने के बाद सरकारी या निजी क्षेत्र के संगठनों में काम किया जा सकता है। शुरू आत में वेतन बाइस से पच्चीस हजार रुपए होता है, जो मास्टर्स डिग्री हासिल करने या कुछ वर्षो के अनुभव के बाद 40 से 45 हजार रु पए मासिक हो जाता है। सरकार क्षेत्र के संस्थानों में वेतन का निर्धारण सरकार द्वारा तय वेतनमान के अनुसार होता है।
प्रमुख संस्थान:
- फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी, देहरादून (उत्तराखंड)
- इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ फॉरेस्ट मैनेजमैंट, भोपाल (मध्य प्रदेश)
- ओडिसा यूनिवर्सिटी आॅफ एग्रीकल्चर एंड टैक्नोलॉजी, भुवनेश्वर
- वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आॅफ इंडिया, देहरादून (उत्तराखंड)
- बिरसा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, रांची
- कालेज आॅफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री, सोलन (हिमाचल प्रदेश)
प्रमुख कोर्स:
- बीएससी फॉरेस्ट्री
- एमएससी फॉरेस्ट्री
- एमफिल/ पीएचडी फॉरेस्ट्री
- स्पैशलाइजेशन के विषय
- फॉरेस्ट मैनेजमैंट
- कमर्शियल फॉरेस्ट्री
- फॉरेस्ट इकोनॉमिक्स
- वुड साइंस एंड टैक्नोलॉजी
- फॉरेस्ट इकोनॉमिक्स।