5साल बाद इंस्टाग्राम की खिड़की से मिली प्यारी झलक
सोशल मीडिया पर हमेशा सुर्खियां बटोरने वाली पिता-पुत्री की जोड़ी (एफडीडी : फादर डॉटर की जोड़ी) 5 वर्ष बाद एक बार फिर लाइव रूहानी रूबरू हुई। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां 16 जुलाई की देर सायं आदरणीय साहिबजादी रूहानी बहन हनीप्रीत इन्सां के साथ अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर साध-संगत से लाइव जुड़े।
आपजी ने फरमाया कि प्यारी साध-संगत जीओ जब से हम आएं हैं, तब से आप लोग पूछ रहे थे कि एफडीडी (फादर डॉटर की जोड़ी) कब आएगी? आपकी ख्वाहिश थी कि आप सवाल पूछना चाहते हैं, बहुत सारी बातें करना चाहते हैं तो लो आज हम आपके सामने आ गए हैं। हमारी बेटी भी साथ है। पूज्य गुरु जी ने साहिबजादी बहन हन्नीप्रीत इन्सां को अपनी रूहानी बेटी के खिताब से नवाजा है।
लाइव के दौरान पूज्य गुरु जी ने साध-संगत के लिए मोतीचूर के लड्डृू भी भेजे। रूहानी बहन हनीप्रीत इन्सां ने साध-संगत द्वारा भेजे गए सवालों को पढ़ा और पूज्य गुरु जी ने जवाब देकर संगत की जिज्ञासा को शांत किया। इस दौरान पूज्य गुरु जी ने काफी सारे सवालों का अपने रूहानी अंदाज में जवाब दिया। सरल व सहज अंदाज ने सवाल-जवाब के इस दौर को उमंग से भर दिया। हर सवाल को बड़े गौर से सुना और फिर मीठी-मीठी मुस्कुराहट से सजा जवाब देकर सवाल करने वाले और सुनने वालों को सुकून से भर दिया। अपने इंस्टाग्राम अकाउंट की खिड़की को खोल कर बैठा हर दर्शक व श्रोता 5 साल बाद बाप-बेटी की इस मुबारक जोड़ी को देखा-सुनकर भाव विभोर हो गया।
सवाल : सुमिरन में ध्यान लगाने लगा था, क्या करें कि ख्याल इधर-उधर ना जाएं?
सुमिरन में ख्याल जब लगाने लगो तो ध्यान इधर-उधर ना जाए इसके लिए जरूरी है कि चलते-फिरते सुमिरन करो। अभ्यासी बन जाओ। जैसे एक्सरसाइज कोई करना चाहता है तो उसको 22 दिन माना जाता है कि लगातार अभ्यास करे तो वो एक्सरसाइज का पक्का हो जाता है। इसी तरह राम-नाम के लिए कुछ समय निकालो चलते-फिरते तो आप भी पक्के हो जाएंगे।
सवाल : पिता जी ऐसा क्यों लगता है कि हम अकेले हैं?
पूज्य गुरु जी : क्योंकि आपने आत्मबल को गिरा रखा है। आत्मबल को बुलंद कीजिए कभी नहीं लगेगा। सतगुरु पर भरोसा रखिए।
सवाल : आपजी सिर्फ तीन-चार घंटे ही आराम करते हो, फिर भी इतने एनर्जेटिक, फ्रैश दिखते हो, ये कैसे संभव है?
पूज्य गुरु जी : शाह सतनाम, शाह मस्तान जी दाता रहबर के रहमोकरम से संभव है, उनकी दया-मेहर, रहमत से संभव है और उन्होंने ही कृपा दृष्टि कर रखी है, ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम ने कि ये सब संभव हो पाता है। अदरवाइज मुश्किल है, क्योंकि सारा दिन भागते रहते हैं। कभी ये काम कर, कभी आपसे मिल, कभी उससे मिल, क्योंकि सत्संग करते रहते हैं तो ये उन्हीं की कृपा है। हमारे में ऐसा कुछ नहीं है, उनकी कृपा में सब कुछ है। तो ये ही हम कहते हैं कि भगवान की कृपा होती है। इसी का नाम ही भगवान की कृपा है।
सवाल : आपकी आँखों का आॅरिजनल कलर यही है या आपने कोई कॉन्टेक्ट लैंस लगवाया है?
पूज्य गुरु जी : कॉन्टेक्ट लैंस बिल्कुल नहीं है, बिल्कुल ओरिजनल आँखें हैं। क्योंकि ये एमएसजी की आँखें हैं तो ये उनकी रहमत है।
सवाल : इतिहास में शिष्य ने गुरु के लिए जान कुर्बान कर दी और हमने पाँच साल निकाल दिए, इसकी माफी तो शायद हमें नहीं मिलेगी, आप मार्गदर्शन करें।
पूज्य गुरु जी : नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। आप सुमिरन करते रहिये, मालिक से दुआ करेंगे कि मालिक रहमत करें, कृपा करें।
सवाल : पिता जी आपने इतने मानवता भलाई के काम किए हैं, जो एक आदमी नहीं कर सकता, एक अच्छे इन्सान के साथ इतना गलत हुआ ये देखकर अच्छाई करने का मन नहीं करता, परमेश्वर ही इंसाफ करे।
पूज्य गुरु जी : ऐसा होता है बेटा, जब से दुनिया साजी है, संत आए, अवतार आए, पीर-पैगम्बर आए। तो ये उस ओउम, हरि, अल्लाह, राम का खेल है। जैसा वो चाहते हैं वैसा अपने संत, पीर-फकीरों को नचाते रहते हैं, काम लेते रहते हैं। उनकी रजा में ही संत रहते हैं। पर इसका मतलब ये थोड़ी ना है कि अच्छा करना छोड़ दो। तो हम जबसे आए हैं हम तो नशा लगातार छुड़वा रहे हैं। इसी से आप प्रेरणा लेकर अपनी इच्छा शक्ति को जागृत करें और अच्छे कामों पर लगातार लगे रहें।
सवाल : ये कैसे पता करें कि कोई फैसला हमारे लिए सही है या नहीं? और हमें रूहानियत से दूर नहीं करेगा।
पूज्य गुरु जी : आप कैसे फैसला करें कि आपका फैसला सही है या नहीं, रूहानियत से दूर करेगा, कहीं ऐसा ना हो कि रूहानियत से दूर हो जाएं आप इस डाउट में हैं तो आप सुमिरन कीजिये, भक्ति कीजिये, चलते, काम-धंधा करते और फिर आप बैठकर और सोते-सोते सुमिरन कीजिये। जागते या सोते आपको आभास हो जाएगा कि कौन सा कार्य आत्मिक है और कौन सा मन वाला। तो मन वाला छोड़ दीजिये, आत्मिक कार्य पर चलते जाइये, यकीनन सफलता मिलेगी।
सवाल : पापा जी, दीदी के रूप में हम अपने आप को देखते हैं, ऐसे लगता है कि हम भी अपने पापा के पास हैं।
जवाब : हाँ, ये सच है। ये बिटिया आप सबमें से ही है। एक भक्त है। और लगना भी चाहिए, क्योंकि रूहानी बहन है आपकी, हमने बोला है।
सवाल : पिताजी आजकल की जिंदगी में फोन बहुत चलाया जाता है, प्लीज बताओ कि इसको कम कैसे करें?
पूज्य गुरु जी : फोन का एक समय निश्चित हो, अगर पॉसीबल हो, जैसे आप लोग गेम में लगे रहते हो। कई तो रात को गेम में या कुछ स्टोरिज होती हैं, उनमें लगे रहते हैं। सारी-सारी रात भी निकाल देते हैं। सुबह उठा नहीं जाता। क्योंकि ब्रह्म मुहूर्त तो वहीं हो जाता है और भगवान जी सोचते हैं कि मेरा भक्त मेरे को तो याद नहीं कर रहा है। तो आप एक टाइम निश्चित कीजिये, उस टाइम पर ही फोन को देखें, आदत बनाइये तो जाकर सुधरेगा। और इसके लिए सुमिरन कीजिये, आत्मबल आएगा, तभी आदत बन पाएगी।
सवाल : पिता जी 2-3 साल के बच्चों को जल्दी कोल्ड कफ हो जाता है, उसके लिए कुछ बताएं?
पूज्य गुरु जी : बच्चों को दूध वगैरहा आप पिलाते हैं तो उसमें तुलसी जरूर डाला करें। क्योंकि तुलसी, खासकर श्याम तुलसी तो उससे उनकी अंदर की शक्ति बढ़ेगी और वो जरूर बच पाएंगे कोल्ड कफ से।
सवाल : पिता जी एक प्रेमी (श्रद्धालु) के दोस्त कैसे होने चाहिएं?
पूज्य गुरु जी: प्रेमी का दोस्त प्रेमी हो तो उससे अच्छा तो कुछ भी नहीं है। अदरवाइज जिससे आपके विचार मिलते हों, वो भी दोस्त हो सकता है।
सवाल : पिता जी शरीर को फिट रखने के लिए डाइट व एक्सरसाइज रूटीन के बारे में बताएं जी।
जवाब : अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो खाने से पहले आधा घंटा सलाद वगैरहा लें और कुछ फ्रुट वगैरहा लें 12 बजे से पहले-पहले। और फिर आप खाना खाएं, लेकिन खाना 40 पर्सेंट और 60 पर्सेंट ज्यादातर सलाद होना चाहिए। और फिर जॉगिंग करें, हमने जॉगिंग की है बहुत। लगभग 7-8 किलोमीटर सुबह, इतनी ही शाम को और कई बार तो इससे भी ज्यादा-ज्यादा। और गेम्स वगैरहा, एक्सरसाइजिज आदि जो भी आप कर सकें। खाना छोड़कर वजन कम करना, हमें नहीं लगता कि ये सही चीज है। इससे आपके चेहरे का नूर उड़ जाता है। फिर सौ तरह का मेकअप करते फिरोगे। तो इसके लिए डाइट को बैलेंस कीजिये और एक्सरसाइज कीजिये तो यकीनन वजन कम होगा।
सवाल : पिता जी हम जो भी पूछने वाले होते हैं आपको पहले कैसे पता चल जाता है? और आप पहले ही आंसर दे देते हो?
पूज्य गुरु जी : तो हकीकत ये है कि आप लोगों की तरंगें होती हैं, जिन्हें कहते हैं आत्मिक तरंगें, सोच की तरंगें तो पीर-फकीर जब आपके सामने बैठता है तो नैचुरली वो तरंगें हिट करती हैं और वो परमपिता परमात्मा ही उन तरंगों को संतों के अंदर आवाज के रूप में दे देता है कि इस तरंग को इस तरह से जवाब दो। ये आई हुई तरंग को इस तरह से जवाब दो। तो आपकी अभी सोच में चल रही होती है, इसलिए वो आपके सामने पीर-फकीर बोल देता है। तो ये भगवान की कृपा है, सतगुरु की कृपा होती है।
पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां बरनावा (उत्तरप्रदेश) प्रवास के दौरान आदरणीय साहिबजादी बहन हनीप्रीत इन्सां के साथ अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर साध-संगत से लाइव रूहानी रूबरू हुए। एफडीडी (फादर डॉटर की जोड़ी) की यह झलक अरसे बाद मिली, जिसे देखकर संगत में बड़ी खुशी थी। रूहानी बहन हनीप्रीत इन्सां ने साध-संगत द्वारा भेजे गए सवालों को पढ़ा, जिनका पूज्य गुरु जी ने जवाब देकर साध-संगत की जिज्ञासा को शांत किया।
सवाल : पिता जी, जो हम खाना खाते हैं, ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर, वो हम कैसा खाएं। गर्म, ठंडा या नॉर्मल?
जवाब: ये तो अलग-अलग आदत है, कई लोग ठंडा ही खाते हैं। कई गर्म बहुत ज्यादा खाते हैं। लेकिन नॉर्मली बहुत ज्यादा गर्म नहीं खाना चाहिए और बहुत ठंडा नहीं खाना चाहिए, क्योंकि दोनों ही नुक्सानदायक हैं। तो जितना बॉडी का टैम्प्रेचर है, उसके अनुसार अगर खाया जाए तो सबसे बेस्ट रहता है।
सवाल : पिता जी नींद बहुत ज्यादा आती है, क्या करें?
जवाब: रात को नींद ज्यादा आ रही है तो रात का खाना कम कर दीजिये। क्योंकि जब खाना कम खाएंगे, यानि 50 पर्सेंट भूखे रह लीजिये तो नींद नहीं आएगी। और फिर भी नींद ज्यादा आ रही है तो डॉक्टर से चैकअप करवाएं, क्योंकि हो सकता है कहीं दिमाग में कोई परेशानी न हो। टैंशन दो तरह से काम करती है या तो नींद को उड़ा देती है या बहुत ज्यादा नींद आती है। सुमिरन कीजिये, भक्ति कीजिये, उससे आत्मबल जागेगा और टैंशन दूर हो जाएगी।
सवाल : पिता जी एक शिष्य को ऐसा क्या करना चाहिए कि गुरु और शिष्य हर पल रूबरू होते रहें।
जवाब : उसके लिए तो सेवा और सुमिरन ही सबसे बड़ा उपाय है। क्योंकि गुरु नहीं, वो भगवान आते हैं, वो निराकार हैं, लेकिन अगर सच्चे दिल से पुकारो तो संत, पीर-फकीर के रूप में आते हैं और ज्यादा सुमिरन किया जाए तो वो अपना नूरानी रूप प्रकट कर लेते हैं। तो इसके लिए सेवा और सुमिरन ही सबसे बढ़िया उपाय हैं।
सवाल : पिता जी मैं एग्रीकल्चर का स्टूडेंट हूँ, किसानों से बातचीत होती रहती है, कुछ ऐसे टिप्स बताएं, जो मैं किसानों को दे सकूं।
जवाब : सबसे बढ़िया और सबसे जरूरी टिप्स आज के समय में आॅर्गेनिक खेती और कम से कम पानी लगने के बावजूद भी ज्यादा पैदावार हो। तो ये बहुत जरूरी है। री-यूज वाटर सिस्टम आश्रम में बना हुआ है, उसका भी सदुपयोग किया जा सकता है, अगर आप बताएं। ये आज के समय की मांग है कि ऐसी फसल ली जाए जो कम पानी में ज्यादा पैदावार दे।
सवाल : बिजनेस में फायदा हो, इसके लिए क्या करें?
जवाब : बिजनेस की बात है तो उसका तज़ुर्बा लेकर लगातार अगर करेंगे तो हो सकता है उतार-चढ़ाव आने के बाद एकदम से चढ़ाई हो जाए यानि आप बिजनेस में आगे बढ़ जाएं। तो इसके लिए थोड़ा संयम रखना बहुत जरूरी है, अगर आपको तज़ुर्बा है तो। और सही जगह चुनना भी जरूरी है। कहीं ऐसी जगह पर आप बिजनेस खोल लें जहां ग्राहक ही कोई नहीं तो बिजनेस चलेगा कैसे? तो ये सारा बिजनेस शुरू करने से पहले स्टडी कर लेनी चाहिए कि किस एरिया में क्या चीज की जरूरत है तो उसके अनुसार अगर आप बिजनेस करेंगे तो यकीनन आप सफल होंगे।
सवाल : पिता जी नेत्रहीन आश्रम, बुजुर्ग आश्रम और मंदबुद्धि आश्रम में रहने वाले लोगों को कैसे राम नाम से जोड़ें, क्योंकि उनके आॅनर उन्हें बाहर जाने की इजाजत नहीं देते?
जवाब : बेटा आप ‘धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ के नारे का जाप बता सकते हैं, ताकि प्रभु का नाम ले सकें। ओउम, हरि, राम, गॉड, खुदा आदि उसके अनेक नाम हैं, ताकि वो जाप करते रहें और वो खुशियां ले सकें।
सवाल : पिता जी हमने तो नाम लिया है, लेकिन पति और सास-ससुर ने नाम नहीं लिया हुआ तो उन्हें राम-नाम से जोड़ने के लिए क्या करें?
जवाब : खाना वगैरहा नाम जपकर बनाएं बेटा, सुमिरन करके बनाएं। सतगुरु, अल्लाह, वाहेगुरु, राम से प्रार्थना करके खाना बनाएं, क्योंकि धर्मों में लिखा है कि जैसा खाओ अन्न, वैसा होए मन। तो जरूर चेंजिज आएंगे और वो भी राम-नाम से जुड़ जाएंगे।
सवाल : पिता जी सुबह के समय किया गया व्यायाम ज्यादा असर डालता है या शाम के समय का।
जवाब : दोनों ही समय की एक्सरसाइज यानि सुबह-शाम की अलग-अलग असर करती है। तो सुबह भी व्यायाम करना चाहिए और शाम को भी।
सवाल : पिता जी आज की युवा पीढ़ी की दिनचर्या कैसी होनी चाहिए? जिससे युवा पीढ़ी गलत रास्ते पर न जाए?
जवाब: युवा पीढ़ी जो अढाई-तीन बजे तक सोती है उनके बारे में क्या बताएं? लेकिन सही समय पर सोना और सही समय पर जागना। फिर फ्रैश वगैरहा होना। सुमिरन करना और एक्सरसाइज करना ये लाजमी है। और इसी दरमियान अगर आप हाई क्लास की स्टडी कर रहे हैं तो उसके लिए बहुत जरूरी है आप सुबह उठकर स्टडी करें और उसके बाद एक्सरसाइज जरूर करें, घूमकर आएं, फिर पढ़ेंगे तो माइंड फ्रैश होगा और जो याद करेंगे वो भूलेंगे नहीं।
सवाल : पिता जी आप यूथ के इंस्पीरेशनल और रोल मॉडल हो। कुछ लोग पास्ट में तो कुछ फ्यूचर में जी रहे हैं। वर्तमान में कम लोग सोचते हैं। हर फील्ड में आप इतना अच्छा प्रफोरमेंस कैसे कर लेते हैं? हमें कुछ ऐसा बताएं कि हम वर्तमान में अच्छा कर सकें।
जवाब : जो गुजर गया है उसे याद करने से कुछ मिलने वाला नहीं। और जो आने वाला है उसका आप कुछ कर नहीं सकते। गुजरे हुए को वापिस नहीं लाया जा सकता और आने वाले को आप पकड़ नहीं सकते। तो सीधी सी बात है, जो आपका है उसके अनुसार चलिये। यानि आज में जीना सीखिये, कि आज जो जिंदगी का दिन है वो सबसे बेहतर दिन है, बल्कि सुबह उठकर शुक्राना कीजिये कि प्रभु आज मैं जिंदा हूँ तेरी बहुत कृपा है और फिर अच्छे कर्म कीजिये, अच्छे कर्मों में लग जाइये, क्योंकि अच्छे कर्म आपके आने वाले समय को और गुजरे समय को, दोनों को सुधार देंगे।
सवाल : पिता जी पेपरों की तैयारी के लिए टिप्स दें।
जवाब : एग्जाम में ढंग से पढ़कर जाएं। और जो पेपर है, उसमें जो सबसे बड़े प्रश्न यानि सबसे ज्यादा अंकों के हैं, उन्हें पहले करना चाहिए और जो छोटे-छोटे होते हैं, उनको बाद में करें। और सबसे जरूरी बात, जो आपको आता है, उन प्रश्नों को पहले हल करें। इसके साथ ही टैंशन बिल्कुल ना लें, क्योंकि टैंशन में कई बार जो आता होता है, उसे भी भूल जाते हैं।
सवाल : प्यारे पापा जी संचित कर्मों को कैसे बदलें?
जवाब : संचित कर्मों को बदलने के लिए प्रभु के नाम के अलावा और कोई तरीका नहीं है। प्रभु का नाम ही संचित कर्मों को बदल सकता है और सेवा करें, बेग़र्ज, नि:स्वार्थ भावना से पूरी सृष्टि से प्रेम करें।
सवाल : पिता जी आपजी ने बताया कि 700 भजन लिखें हैं, क्या कुछ नई मूवी की स्क्रिप्ट भी लिखी है?
जवाब : सिर्फ भजन लिखे हैं, मूवी की तरफ ध्यान नहीं गया।
सवाल : पिता जी कई बार होता है कि हमारे आसपास के लोग परेशान होते हैं, हम उनकी परेशानी को दूर करने के लिए क्या करें?
जवाब : बेटा, जहां तक संभव हो अगर सेवा, सुमिरन से उनका दु:ख दूर होता है तो जरूर कीजिये। अगर आप आर्थिक तौर पर मजबूत हैं और आपके द्वारा दी गई आर्थिक मदद उनको थोड़ा सा भी सुख पहुंचा सकती है तो जरूर ऐसा करना चाहिए।
सवाल : बच्चों को नए माहौल में कैसे सैट करें?
जवाब : बच्चों का माहौल पहले से ही सैट करें, ना कि बच्चों को नए माहौल में सैट करना। जहां भी आप रहना चाहते हैं, उसके अकोर्डिंग बच्चों को ट्रेनिंग दें। बहुत देशों में देखा गया है कि छोटे-छोटे बच्चों को स्विमिंग में डाल देते हैं। तो 10-15 साल की उम्र में जाते-जाते वो ओलंपिक तक में गोल्ड मैडल जीत लेते हैं। तो ये आम वातावरण में डालना कोई मुश्किल काम नहीं है। तो जब ऐसा किया जा सकता है तो आप सुमिरन के द्वारा थोड़ा सा केयर करें और बच्चे की वो जिद्द पूरी करें जो जायज हैं। शुरू से नाजायज जिद्द पूरी ना करें तो बच्चा हर माहौल में ढल सकता है।
सवाल : गुरु जी बुरे लोग अच्छे लोगों से आगे क्यों रहते हैं? और अच्छे इन्सान कुछ कर नहीं पाते और बुरे लोग उन्हें परेशान करते रहते हैं।
जवाब: अरे भाई, अच्छे लोग क्यों नहीं कुछ कर सकते? हम तो 21 घंटे जागते रहते हैं अच्छे होकर भी, और दिन-रात लोगों का नशा छुड़ाए जा रहे हैं अच्छे होकर भी, तो आप एक आध बुरा आदमी दिखा दीजिये जो नशे छुड़ा रहा हो। सिर्फ आप माया को ही ये ना सोचें कि आगे निकल गया। इन्सानियत भी कोई चीज होती है बेटा। माया से बहुत अरबों-खरबोंपति लोग हुए हैं, जिन्हें कोई नहीं जानता, लेकिन संत कबीर जी हो गए, गुरु साहिबान हो गए, पीर-पैगम्बर हो गए, आज भी उनका नाम सत्कार के साथ लिया जाता है, इज्जत के साथ लिया जाता है, तो उन्होंने अच्छे कर्म किए, उनकी आज भी याद दिलों में ज्यों की त्यों है। और जो बहुत धनाढ्य थे, हमें लगता है एक दिल है, जिसमें वो बसे होंगे अदरवाइज ज्यादा दिलों में संत-पीर, पैगम्बरों की जगह है, महापुरुषों की जगह है।
तो अच्छाई हमेशा आगे बढ़ती है, लेकिन अगर सिर्फ माया की बात करते हो तो वो तो कहते हैं कि पापी के घर भी होती है और उससे अगर सुख ही ना मिला तो क्या फायदा? एक आदमी ऐसा होता कि दिहाड़ी करता है, मजदूरी करता है, और बड़े-बड़े ढेले वाली जमीन के ऊपर सो जाता है, बड़ी बढ़िया नींद आती है। और एक के पास अरबों रुपये हैं, फिर भी नींद नहीं आती, इंजैक्शन लेते हैं, टैबलेट्स लेते हैं तो आप इनमें से किसको सुखी मान रहे हैं। जिसके पास सारे साधन हैं उसको, उसको नींद नहीं आ रही, सारी रात, करवट बदलता रहता है। और दूसरी तरफ एक गरीब, अच्छा कर्म करने वाला, मेहनत की खाने वाला, राम का नाम लेने वाला और वो ऐसे सोता है, जैसे घोड़े बेच कर सो गया। तो हमारे ख्याल से वो ज्यादा सुखी है, वो ज्यादा अच्छा है, वो ज्यादा आगे है जिन्दगी के हर पहलू में, बजाय उसके जो रात-दिन करवटें ही बदलता रहता है और टैंशन में रहता है।
सवाल: गुरु जी मैं बहुत भौतिकतावाद में फंसा हुआ हूँ, सतगुरु जी कृपा करें जी।
जवाब : बेटा, आप सुमिरन कीजिये। रूहानियतवाद में आइए, सूफियतवाद में आइए, आत्मिक ज्ञान हासिल कीजिये सुमिरन के द्वारा। तो यकीनन भौतिकतावाद से आप थोड़ा बाहर आ पाएंगे और अच्छाई के क्षेत्र में आगे बढ़ पाएंगे।
सवाल : गुरु जी हमारे बच्चे नशे में फंसे हुए हैं। आप आकर उन्हें इस बर्बादी से बाहर निकालें?
जवाब : भई, हम तो पूरी कोशिश कर रहे हैं बेटा कि हर बच्चे को नशे से दूर करें। बाकी जैसे रामजी चाहेंगे, उसी के अनुसार होगा। वो करन-करावणहार हैं।
सवाल : निर्णय लेने की क्षमता को मजबूत कैसे करें जी? जैसे सही निर्णय एकदम से कैसे लें?
जवाब : कई बार ऐसा होता है कि आदमी डबल मार्इंड हो जाता है, कि ये निर्णय ये है और एक ये है। तो उसके लिए जरूरी है बेस बनाना। आप पहले आत्मबल हासिल कीजिये सुमिरन के द्वारा, वो एक ही तरीका है मैथड आॅफ मेडिटेशन कह लो, गुरुमंत्र, नाम शब्द या कलमां, उसका अभ्यास कीजिये तो आपकी बॉडी का एक ग्राउंड बन जाएगा, आत्मा का। फिर आप डिसीजन लेंगे तो आपको पता चलेगा कि ये वाला सही और ये वाला गलत है। ये अनुभव करना पड़ता है और जो करना सीख लेते हैं, वो इससे डिसीजन ले पाते हैं।
सवाल : गुरु जी बच्चे हमारी नहीं सुनते हैं, लेकिन आपकी (पूज्य गुरु जी) सुनते हैं। पिछले वक्त में हमें काफी परेशानी आई।
जवाब : तो अच्छी बात है वो अपने पीर-फकीर की बात तो सुन रहे हैं। तो बच्चो, जो भी हमारी बात सुन रहे हो, तो अपने माँ-बाप की भी जो भी जायज बातें हैं, वो सुन लिया करो और अगर लगता है कि नाजायज बात है तो चुप हो जाया करो, आगे से बहस ना किया करो, आखिर आपके जन्मदाता हैं। आपको पाल पोस कर बड़ा किया है। हमारी ये संस्कृति है कि जो सिखाती है कि अपने बड़ों की इज्जत करनी चाहिए, सत्कार करना चाहिए।
सवाल : पिता जी मैं बहुत सेंसेटिव हूँ। छोटी सी बात से स्ट्रैस में आ जाती हूँ, सिर में दर्द हो जाता है, रहमत करो।
जवाब : सेंसेटिव होने से कई बार बड़ा मुश्किल हो जाता है। तो आप बेटा कोई भी बात सुनकर एकदम से रिएक्ट ना किया करो। बात वहीं घूमकर आ जाती है कि आपके अंदर आत्मबल की बहुत कमी है, तो उसके लिए सुमिरन, सेवा ही एक तरीका है कि भक्ति करो और दीन-दु:खियों की सेवा करो और ज्यादा अपनी सोचों में मत रहो, आप समाज में थोड़ा घुल मिलकर रहने की कोशिश करो। तो यकीनन ये चीजें दूर हो जाएंगी।
सवाल : 142वें मानवता भलाई कार्य के अंतर्गत साध-संगत ने अपने घरों में तिरंगा स्थापित कर दिया है जी।
जवाब: बड़ी खुशी की बात है, जिन्होंने घरों में तिरंगा स्थापित कर लिया है। क्योंकि देश भक्ति का ज़ज्बा होना बहुत जरूरी है। और उन सबको बहुत आशीर्वाद, जिन्होंने तिरंगे को एक ऊँची जगह पर लगाया है, ताकि उसे सेल्यूट किया जा सके। हमारा भी सेल्यूट सब बच्चों को और तिरंगे को।
सवाल : प्रेम घोड़े पर चढ़कर लज्जत बहुत आती है, पर उतरने को दिल नहीं करता। प्रेम घोड़े पर हमेशा सवार रहने के लिए क्या करें?
जवाब : राम-नाम का जो प्यार है, ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु का जो इश्क है, उसके घोड़े पर जो सवार हो जाते हैं, बिल्कुल सही कहा, उतरने को दिल नहीं करता। लेकिन आप समाज में रह रहे हैं, आप घर-परिवार वाले हैं तो हमेशा उस पर चढ़े रहोगे तो दूसरे कामों से ध्यान हट जाएगा। लेकिन उससे जुड़े रहोगे ये लाजमी है। इसके लिए आप सुमिरन भी करते रहें और साथ में दिनचर्या का कार्य भी करते रहें। और सुबह-शाम जब समय मिलता है तो उसमें भक्ति करें, इबादत करें तो फिर से प्रेम घोड़े पर सवार हो जाया करेंगे। तो जुड़े भी रहेंगे और खुशी भी आती रहेगी और दुनियावी कार्य में भी सफल हो पाएंगे।
सवाल : पिता जी, संतों पर इल्जाम क्यों लगाए जाते हैं? इतिहास में पहले भी ऐसा हुआ है, लेकिन आपने जो दुनिया के लिए सेक्रीफाइस किया है, उसके लिए बिलियंस आॅफ सेल्यूट यू।
जवाब : जी, बुराई और अच्छाई दो ताकतें हमेशा से चली आई हैं जब से दुनिया साजी है। अच्छाई करने वालों को रोका जाता है और बुराई करने वाला आगे रहता है, हमेशा ऐसा नहीं रहता। अच्छाई करना जरूरी है, क्योंकि अच्छाई हमेशा जिंदा रहती है और बुराई की उम्र लंबी नहीं होती है। तो संत, पीर-फकीर अच्छाई करते हैं। जैसे हमने अभी-अभी जवाब दिया था कि संत-महापुरुषों का नाम करोड़ों दिलों के अंदर आज भी जगमगा रहा है, सत्कार के रूप में आज भी उनके दिलो दिमाग में वो बैठा हुआ है, जबकि जो बुराई हुई उनके साथ उस समय उनकी उम्र उतनी ही रही, उसी समय उन लोगों को याद किया गया, एक आध को छोड़कर अदरवाइज बुराई का नाम याद नहीं रखा जाता। आज रावण को बुराई के प्रतीक के रूप में और रामजी को अच्छाई के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।
सवाल : पिता जी शादी के बाद जीवन में बहुत से बदलाव आ जाते हैं। एक दम से पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ जाती है। ये डर लगता है कि इनमें फंसकर सेवा सुमिरन से दूर न हो जाएं?
जवाब : नहीं, ऐसा तो नहीं होता। आप खाना बनाते समय सुमिरन करें, चलते-फिरते सुमिरन करें, काम-धंधा करते वक्त सुमिरन करें तो परिवार में एडजस्ट हुआ जा सकता है। माना कि एक नई सी जिंदगी हो जाती है। जन्म कहीं हुआ और बिटिया हमारी जाती कहीं और है, तो आप सच कह रहे हैं कि बड़ा मुश्किल होता है एडजस्ट कर पाना। लेकिन आप सुमिरन करते रहेंगे और शांत चित्त होकर संयम के साथ वहां रहने की कोशिश करेंगे तो उनके स्वभाव को आप पढ़ पाएंगे, फिर उसके अनुसार थोड़ा चलने की कोशिश कीजिये। हाँ, बुराई नहीं करनी, लेकिन अच्छाई के साथ उनके दिलों को जीता जा सकता है।
सवाल : मेरी शक्ल देखकर बचपन से ही मेरा बहुत अपमान किया जाता है, क्या करूं?
जवाब : बेटा, शक्ल से अपमान का कोई लेना-देना नहीं है। पर आप सोचें ना, तंगदिल मत बनो। आप ये सोचो मेरी शक्ल बढ़िया है। राम जी ने जो शक्ल दे दी वो बहुत ही अच्छी है, अपने अंदर कॉन्फिडेंस रखो, अपने अंदर हीन भावना मत भरो। फिर यकीनन, कोई अपमान करेगा भी तो आपको लगेगा ही नहीं। आप अपने आप के ऊपर ये लाएं मत, चाहे कोई कुछ बोलता रहे आप सोचें ना और ऐसी बातों को इग्नोर कर दें और सुमिरन करते रहें तो ऐसा करने वाला खुद ही चिंता में पड़ जाएगा।
सवाल : कुछ लोग अच्छे बनकर फायदा उठाते हैं? ऐसे लोगों की पहचान कैसे करें?
जवाब : अच्छाई और बुराई की पहचान तभी हो सकती है जब आपके अंदर आत्मबल होगा, आत्मज्ञान होगा और ये तभी संभव है जब आप सेवा और सुमिरन करते हों। एक कहावत भी है कि हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती। तो उसी के अनुसार जो दिखते हैं, कई बार वो अच्छे नहीं होते। और जो नहीं दिखते वो कई बार अच्छे हो जाते हैं। हर काले बादल बरसा नहीं करते। और जो बरसते हैं वो गरजते नहीं और गरजने वाले कभी-कभी ही बरसते हैं। सो कहने का मतलब अगर किसी की पहचान आप करना चाहते हो तो उनके साथ कुछ ऐसा व्यवहार रखिए कि आपका लॉस ना हो और आप उनको पढ़ भी पाएं। यकीन तो करना पड़ता है समाज में, लेकिन एकदम से किसी पर 100 पर्सेंट यकीन मत कीजिये, सिवाय राम, ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु के, उसके किसी संत, पीर-फकीर के। अन्यथा आप धोखा खा सकते हैं।
सवाल: पापा जी गुस्सा हो जाता हूँ, फिर बोले बिना रहा भी नहीं जाता और वे लोग फायदा उठाते हैं, क्या करूं?
जवाब : तो गुस्सा ही ना हुआ कर बेटा। किसने बोला है गुस्सा होने के लिए। आप कंट्रोल करें अपने आप पर। फिर बोले बिना रहा नहीं जाता ये तो इन्सानियत है। जो गुस्सा करके बाद में जल्दी मान जाते हैं, उनके अंदर इन्सानियत ज्यादा होती है, या भावुकता होती है। तो आप गुस्सा ही ना हों। बाद में जल्दी बोलना ही है तो क्या फायदा गुस्सा होने का। इसलिए शांत चित्त रहो सुमिरन के साथ।
सवाल : पिताजी अगर कोई आत्मा बिना नाम के चली जाए तो उसके लिए क्या करें?
जवाब : सुमिरन करें, मालिक से दुआ करें ताकि भगवान उस आत्मा का भला करे।
सवाल : पिता जी आपको जंक फूड पसंद है या क्या खाना पसंद है?
जवाब : बेटा हम लोग तो देसी लोग हैं। चटनी खाने वाले और साथ में मक्खन वगैरहा तो जरूर खाते थे। घी, मक्खन या मट्ठियां, गुलगुले ये चीजें बनना या प्याज के पकौड़े वगैरहा बना लिया करते थे घरों में। और सबसे बढ़िया दिन होता था जब हलवा बना करता था, कि यार कमाल होगी, या खीर बन गई या सेविइयां बन गई, ये डिश होती थी मीठी। ज्यादा ही कई बार होता था कि काम धंधा करके थक जाते थे तो गुड़ खाया, दूध पीया और एक दम से फ्रैशनैस आ जाती थी। तो ये चीजें हम लोग ज्यादा खाया करते थे। तो वो ही चीजें आज भी वैसी की वैसी पसंद हैं। जंक फूड ये कभी ही खाते हैं।
सवाल : पिता जी देश में नशा बहुत बढ़ गया है, आपजी जल्दी से आएं और इस बुराई से देश को बचाएं और सफाई अभियान भी चलाएं।
जवाब : जी बिल्कुल, जैसे हम लाइव होते रहे हैं तो हर जगह से यही बात ज्यादा सुनने को मिली है कि नशा बहुत बढ़ रहा है या फिर कई जगहों पर लोग धर्म को बदलने की सोच रहे हैं। तो हमें लगता है कि इन चीजों से कोई फायदा होने वाला नहीं है। धर्म को मानने से फायदा हो सकता है, सोच बदलनी चाहिए, ना कि धर्म। धर्म तो सभी अच्छे हैं। हर धर्म में अच्छी चीज सिखाई गई है। पर उस पर अमल करोगे तभी फायदा होगा। हर धर्म बेग़र्ज, नि:स्वार्थ प्यार करना सिखाता है, हर धर्म इन्सान को इन्सान से जोड़ना सिखाता है, हर धर्म अहिंसा का पाठ पढ़ाता है, हिंसा को तो कहीं भी जगह नहीं है। हर धर्म को फॉलो करेंगे तो खुशियां मिलेंगी। हमारी तो कोशिश है कि नशा ज्यादा से ज्यादा छूट जाए और लोग नेक नीयत से जिंदगी जी सकें, शांति से जिंदगी जी सकें।
सवाल : पिता जी मैं स्कूल में प्रिंसीपल हूँ और आज की जेनरेशन को रूहानियत की तरफ कैसे जोड़ें?
जवाब: प्रिंसीपल हैं तो छोटे बच्चों से शुरूआत कीजिये, क्योंकि जो नींव होती है, आधार होता है अगर उसमें जो भी चीज हम डाल दें तो वो बिल्डिंग में जरूर आएगी। कहने का मतलब अगर बचपन में बच्चों में अच्छे संस्कार डाल दोगे आप तो बड़ा होते-होते बहुत नेक इन्सान बनेगा। और आप प्रिंसीपल हैं तो उनके लिए बहुत अच्छा है, आप वो गुरु हैं, जिनको सबसे बड़ा तगमा तब मिलता है, जब उनके बच्चे सफल होते हैं, सक्सेस होते हैं और हमारे ख्याल से हर प्रिंसीपल को वो तगमा भगवान वाला भी जरूर लेना चाहिए, जब आपके पढ़ाए बच्चे अच्छे आॅफिसर भी बनें और इन्सानियत का भी झंडा ऊँचा करें। तो हमें लगता है उससे बड़ा गर्व आपके लिए दूसरा हो नहीं सकता। उसके लिए हर रोज प्रार्थना से शुरूआत करें। इन्सानियत की बातें सुनाते रहें, ऐसी कहानियां बताते रहें, रोचक होनी चाहिए, तो बच्चे जरूर आएंगे उस तरफ। सॉफ्टवेयर इंजीनियर ऐसे मोबाइल गेम बनाएं जो सिर्फ दिमाग की पावर ना दें बल्कि बॉडी पावर की ओर भी लेकर जाएं।
सवाल : पंजाब गुरुओं की धरती है, जिसमें आज नशा बहुत बढ़ गया है और बुराई भी बहुत ज्यादा हो चुकी है, प्लीज पंजाब में सत्संग लगाओ जी।
जवाब : जी, पंजाब में लाइव जुड़े तो बहुत जगहों पर वहां की पंचायतों और लोगों ने कहा कि यहां पर चिट्टा कोई नशा है बहुत ज्यादा फैल चुका है। पंजाब तो खास करके गुरु साहिबानों, पीर-पैगम्बरों की पाक पवित्र धरती है। वहां पर पवित्र गुरुबाणी की वर्षा होनी चाहिए। वहां पर तो राम-नाम की चर्चा होनी चाहिए। ये नशा जो कर रहे हो बच्चो, खास करके पंजाब वालो, बेटा हो सकता है हमारी बात आपको बुरी लगे, लेकिन जो ये नशे आप लोग कर रहे हैं ना, श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज के घोड़े ने भी वहां से गुजरने से मना कर दिया था, जहां नशा था, तो गुरु जी ने कहा कि ये सबसे गन्दा नशा है, क्योंकि घोड़ा वहां अन्दर घुसा ही नहीं। उसकी इतनी गन्दी स्मैल आई। या यूं कह लो गुरु जी ने इस माध्यम से दुनिया को समझाना था। तो आप वही नशा कर रहे हो और उन्हीं गुरु साहिबानों की पाक पवित्र धरती पर। तो आपसे गुजारिश है इसे छोड़ने की कोशिश करें, दवा से या फिर आत्मबल जगाइए अपने अंदर अल्लाह, वाहेगुरु, राम का नाम जपकर। तो यकीनन आप नशा छोड़ पाएंगे अपने आप। आप यंग हैं, ये मत सोचिये कि आप नशे से हार गए हैं, आप इतने बहादुर बनिए कि नशा आपसे हार जाए तो मजा आ जाए।
सवाल: आपको बैडमिंटन खेलते हुए देखकर बहुत अच्छा लगा। मैं बैडमिंटन का प्लेयर हूँ, खेल पर फोक्स के लिए क्या करूं?
जवाब : बैडमिंटन के लिए आप जिगजैग दौड़ना, कलाइयों की मूवमेंट करवाना, क्योंकि कलाई का बहुत प्रयोग होता है और बड़े और छोटे स्टैप की प्रैक्टिस कीजिये, उनके ऊपर आप फोक्स कीजिये। और हमारे ख्याल से प्रोफेशनल कोच से ट्रेनिंग लेना भी जरूरी है। वो आपको बताएगा कि कब छोटा कदम लेना है और कब बड़ा कदम लेना है और कब कलाई का प्रयोग कैसे करना है, कब जम्प लेना है। इसके साथ ही स्पीड भी बहुत जरूरी है। फिटनेस बहुत जरूरी है हर गेम में और इसमें तो बहुत जरूरी है। तो ये सब आप करें।
सवाल : बहुएं सास-ससुर को घर से न निकालें, ऐसा संदेश दें जी।
जवाब: हमारी वो सब बेटियां जो किसी न किसी घर में बहू बनी हुई हैं, से हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रहे हैं और आपको आशीर्वाद भी कह रहे हैं। बेटा किसी ने दु:खी होकर ऐसा सवाल पूछा होगा। आप अपने सास-ससुर को घर से निकालने की नहीं बल्कि घर में रहकर आपकी आने वाली औलाद के साथ खेलने के लिए समय दें।
सवाल : आईएएस की कोचिंग ले रही हूँ, स्टड़ी कैसे करूं जी?
जवाब : बस फोक्स रखिए और पढ़ने में ज्यादा ध्यान दीजिये। जब भी पढ़ने से मन उक्ता जाए तो थोड़ा नेचर को देखिए, या फिर सुमिरन कीजिये यानि एकदम से ध्यान उधर से हटाकर दूसरी तरफ लगाएं, ताकि माइंड फ्रैश हो जाए और फिर से पढ़ेंगे तो ज्यादा अच्छा याद रहेगा।
सवाल : सच पर चलने वालों का विरोध क्यों होता है? और सच को साबित होने के लिए इतना समय क्यों लगता है?
जवाब : सच एक ऐसी शक्ति है, जो जब से दुनिया साजी है तब से चला आ रहा है और वो कभी भी खत्म नहीं हुआ। और जो झूठ होता है, वो थोड़े समय के लिए पैदा होता है और थोड़े समय में खत्म हो जाता है। तो इसलिए सच की उम्र बहुत लम्बी है, वो कभी डगमगाता नहीं। हाँ, लगता है कि परेशानियां आ गई, लगता है कि वो डगमगा रहा है, लेकिन सच कभी रूकता नहीं। और सच कभी भी गलत नहीं हो सकता, वो हमेशा सही रहता है। और झूठ थोड़ी उम्र के होते हैं और बाद में वे खत्म हो जाते हैं। सच से जुड़े हमारे संत, पीर-पैगम्बरों का नाम आज भी बुलंदियों पर है और उस समय में जो बुराई थी, उनका कोई नाम लेना पसंद नहीं करता। अगर पवित्र रामायण की बात करें तो मंथरा नाम शायद ही किसी का हो, कैकयी नाम शायद ही किसी का हो, और कौशल्या, सुमित्रा बहुत नाम सुनने को मिल जाएंगे। और राम तो कहना ही क्या। ज्यादातर लोगों के नाम के पीछे राम शब्द लगा मिलता है और राम के नाम से बहुत सारे नाम रखे जाते हैं।
सवाल : बाल झड़ गए हैं, क्या करें जी?
जवाब : कई बार ये होता है कि परिवार से ही ऐसी चीजें आती हैं, उसकी वजह से भी ये हो जाता है, या खान-पान में कुछ ऐसा हो जाता है। या फिर आपकी सार-संभाल में कुछ ऐसा हो जाता है, क्योंकि आज के बच्चों को होता है कि बाल थोड़े रूखे रखने हैं ताकि खड़े हो जाएं। कई तो हमारे वक्त में एक कहानी सुनाया करते थे, उसका नाम था झिंतरिया। हिन्दी में एक कविता आया करती थी तो जैसे आजकल आप जैल लगाकर बाल खड़े करते हैं, तो उस समय हमारे यहां कहा जाता था झिंतरिया, झिंतरिया का मतलब जिसके बाल खड़े हैं। तो कहते नाने के घर जाऊंगा, दही मलाई खाऊंगा, वहां जाकर रोने लग गया तो कहने लगे क्या बात हो गई। तो कहता कि मैं तो लाल मिर्ची खाऊंगा। हमने तो वैसे ही पुरानी बात याद आ गई आपको सुनाई। तो आप बालों पर इतना कुछ लगाओगे, कैमिकल लगाओगे तो गंजे ही होंगे। हाँ, कुछ न कुछ उसको पोषण देते रहो, जैसे अगर ज्यादा ही हो रहे हो तो प्याज का रस उसमें लगाओ, घंटा-डेढ़ घंटा उसमें रखो, फिर धो लो तो काफी फायदा होगा।
सवाल : गुरु जी मैं साँपों को जिंदा पकड़कर उन्हें दूर छोड़ आता हूँ, लेकिन कुछ लोग मुझसे जलते हैं, क्या करूं?
जवाब : लोग क्यों जलते हैं भाई, बल्कि उनको तो खुश होना चाहिए कि साँप से बचा लिया आपने। जब आश्रम बना यहां कोबरा निकले थे तब, तो ये तो निकलते रहेंगे। तो यहां बहुत सारे बच्चे साँपों को पकड़ते हैं, बोतल में डालते हैं, क्योंकि सांई जी के वचन हैं यहां किसी जीव को नहीं मारा जाता और ऐसा करने से रोका जाता है। साँपों को पकड़ते हैं, उनको बीस लीटर की खाली पानी की बोतल में डालते हैं और जंगल में छोड़ आते हैं। तो सारे लोग बहुत खुश होते हैं कि ये बहुत बढ़िया काम कर रहा है। तो कोई बात नहीं आप अपना काम अच्छे से कीजिये, लेकिन थोड़ा ध्यान रखा करें, क्योंकि ये खतरनाक भी होते हैं।
सवाल : गुरु जी आपने अपने करोड़ों फॉलोअर्स को तिरंगा फहराने के लिए कहा है, ऐसी देशभक्ति की भावना भरने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
जवाब : हम तो हमेशा देश हित के लिए, समाज हित के लिए दिन-रात लगे रहते हैं। बड़ी खुशी है कि हमारे देश का झंडा ऊँचा रहे, बुलंद रहे और देश स्वच्छ हो इसके लिए भी हम लगे हुए हैं।
सवाल: गाय को रोटी खिलाने का मानवता भलाई कार्य आपने शुरू किया है। उसमें गाय को सिर्फ एक समय ही रोटी खिलानी है या तीनों समय रोटी खिलानी है?
जवाब : जितने टाइम आप रोटी खाओ उतनी बार खिला दो तो और भी अच्छा है। वैसे एक टाईम भी काफी है। अगर गाय उपलब्ध नहीं है तो रोटी का चूरा करके चीटियों के बिल के पास डाल दें।
सवाल : पिता जी स्पोर्ट्स और पढ़ाई एक साथ नहीं हो पाती, कृपा इस प्रोब्लम का सोल्यूशन बताएं?
जवाब : ये तो आपका सोचना ही गलत है। स्पोर्ट्स और पढ़ाई दोनों अलग-अलग सब्जेक्ट्स हैं। दोनों ही एक-दूसरे के लिए बहुत कमाल के हैं। मान लीजिये आप पढ़ते हैं, उसमें फोक्स हट गया, आप खेलने लग जाइये। शारीरिक मेहनत करेंगे, अच्छी नींद आएगी, जब जागेंगे माइंड फ्रेश होगा, पढ़ने लगोगे तो बहुत बढ़िया आपके माइंड में बैठेगा। तो ये आपका भ्रम है कि स्पोर्ट्स बाधा है, ऐसा कुछ नहीं है। बहुत सारे स्पोर्ट्समैन इंजीनियर भी रहे हैं, बहुत अच्छे आलम-फाजल भी थे, जो गेम्स में भी टॉप कर गए। सो ये आपका भ्रम है, अगर आपकी सोच ऐसी बन गई है तो मुश्किल है, अदरवाइज ऐसा कुछ नहीं है।
सवाल : कुछ लोगों ने लिखा है कि आपके साथ हनीप्रीत क्यों बैठी है?
जवाब : बेटी है भाई और रूहानी बहन है हमारे सारे प्रेमियों की। ये हमने बोला है कि वो रूहानी बहन है। तो हमें नहीं लगता कि आपको एतराज होना चाहिए। बाप के साथ बेटी बैठ जाए तो क्या तकलीफ है। पूरी साध-संगत चाह रही थी, करोड़ों लोग चाहे रहे थे कि एफडीडी को देखना है। बेटी साथ बैठी है तो समझ नहीं आई कि क्यों का क्या मतलब हुआ। बाप हैं, इधर अपनी बेटी को बैठा लिया, उधर बेटे बैठे हैं, सारे बैठे हैं। तो हमें नहीं लगता कि बाप-बेटी बैठे हैं तो किसी को कोई तकलीफ होनी चाहिए।
सवाल : सिविल इंजीनियर हूँ, प्लीज गाइड करें जी?
जवाब : अच्छी बिल्डिंग, ढंग का मसाला लगाना भाई। गिर ना जाएं इसका ध्यान रखना, ठीक है और पूरा आशीर्वाद। घोटाले से समाज को बचाना।
सवाल : पूज्य पिता जी आपजी ने लाइव आकर जिन लोगों के भी गियर अड़े हुए थे सारे निकाल दिए, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
जवाब : नहीं, गियर तो हम ट्रैक्टर के भी निकाला करते थे। पुराने टाइम में, आपको सच बताते हैं, तो हम छोटे से ट्रैक्टर चलाने लग गए थे, 9 साल के थे, तो हुआ ये कि जीटर ट्रैक्टर कहते थे उसे, छोटा सा था नीले रंग का, छोटा हिन्दुस्तान भी बोल देते थे, तो उसका गियर अड़ जाता था। तो एक दिन उसका खेत में बैक गेयर अड़ गया और चाबी-पाना कुछ भी नहीं था। हालांकि उस उम्र में भी हमने सीख लिया था कि मिस्त्री कैसे खोलकर निकालता है। तो हमने क्या किया मुंह पीछे को किया और स्टेयरिंग से पीछे से हाथ करके खेत से पूरे गाँव से होकर घर लेकर आए।
सारे हैरान रहे गए कि ट्रैक्टर का मुंह उधर को है, जा पीछे को रहा है और ऊपर कोई दिख नहीं रहा है, क्योंकि हम छोटे से थे। 9 साल का बच्चा कितना होता है। तो घर आकर चाबी पानों से गियर निकाल लिया था। ये तो अच्छा हुआ आपके गियर निकल गए। अब बढ़िया समूथ रहोगे, जो न्यूट्रल हो गया अब टॉप गेयर लगाओ राम-नाम वाला और खुशियां ही खुशियां लूटो, आशीर्वाद।