हर दिन करें एक नई शुरूआत -सुख-सुविधाओं के साधनों का अंबार लग जाने के बावजूद आज चेहरों पर वो खुशी, वो जीवंतता देखने को नहीं मिलती जो जिंदगी सही मायने में जीने के लिए जरूरी है। कारण एक नहीं, अनेक हैं। नेगेटिव सोच आज हम पर इस कदर हावी है कि सुबह से शाम तक सिवाय व्यवस्था, समाज, लोगों, आज की परिस्थितियों को गालियां देने, क्रि टिसाइज करने के अलावा कुछ अच्छा सोचना मानो हम भूलते जा रहे हैं। छोटी-छोटी बातों को जीवन-मरण का प्रश्न बना लेना जैसी हमारी फितरत बन गई है।
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छोटी बातों को तूल न दें:-
हर समस्या अपना निराकरण भी साथ लिए होती है, बस चाहिए तो थोड़ा सब्र। हाय-हाय करते रहने की आदत अच्छी नहीं है। इससे व्यक्ति स्वयं तो परेशान होता ही है, दूसरों को भी परेशान करता है और इससे समस्या का समाधान नहीं होता। हां, कई रोग जरूर घेर लेते हैं।
अगर समस्याएं न आएं तो सीधी-सपाट जिन्दगी क्या नीरस नहीं हो जाएगी? फिर आप यह क्यों भूलते हैं कि मुश्किल समय में ही आपकी सोच और काबिलियत की परख होती है। चीजों की अहमियत पता चलती है। व्यक्तित्व को नए आयाम मिलते हैं। सोच को नई दिशा मिलती है।
भूल जानी चाहिए सारी चिंताएं:-
रिश्तों की कड़वाहट, अतीत के दु:ख -दर्द, महत्वाकांक्षाओं के बोझ का जानलेवा अहसास, बस अपने भीतर के बालक को आने दें बाहर। तभी आप पाएंगे जीवन कितना खुशगवार है। हर लम्हा आखिरी लम्हा मानकर जीना जीने का सबसे बढ़िया मंत्र है। यह टेकन फॉर ग्रान्टेड के सर्वव्यापी बिहेवियर से मुक्त होना चाहिए, तभी जिन्दगी को समझ पाएंगे, मन की आंखें खोलो। सूफी संत ने कितने पते की बात कही है। हम सभी आंखें होते हुए भी आंखें बंद किए जीते हैं। मन की आंखें खुलेंगी, तभी हम दुनिया की सुंदरता देख पाएंगे।
सोच विस्तृत करें:-
हममें से ज्यादातर लोग आत्मकेंद्रित होकर ही जीते हैं। जब तक हम अपनी खुशी से बाहर नहीं आते, लोगों से इंटरएक्ट करते हुए उनके विचारों को भी तरजीह नहीं देते, हमारी सोच का दायरा संकीर्ण ही रहता है। कोई भी व्यक्ति अपने में संपूर्ण नहीं होता। दिमाग का संतुलन बनाए रखने के लिए सोच में ताजगी लाने के लिए उसके लिए विभिन्न लोगों से इंटरएक्ट करना जरूरी है वर्ना उनकी सोच नकारात्मकता प्रधान ही रहेगी। सोच को विस्तृत करने के लिए देश-विदेश घूमना एक अच्छा जरिया है। इसके अलावा अच्छी पुस्तकें पढ़ना भी फायदेमंद है।
हर सफल आदमी खुश भी रहता हो, ऐसा नहीं है। खुशी मिलती है संतुष्टि से। हर सुबह उठकर पहले यही कहें ‘टूडे इज गोइंग टू बी ए ग्रेट डे’। आशावादी बनिए। सोचने से ही अच्छी शुरूआत होगी, बाकी कर्म तो है ही जरूरी। नृत्य गायन से अगर लगाव है तो खुलकर जीने में इसका मुकाबला नहीं, मगर रास्ते और भी है। जो भी हार्मलैस बातें आपको आनंद दें, आप अपना सकते हैं। अपने काम को एंजॉय करेंगे, तभी खुश रह सकेंगे। उम्र यहां बाधा नहीं है। कहते हैं ‘ओल्ड एज इज ए स्टेट आॅफ माइंड।’ उम्रदराज हैं तो क्या, खुश रहने का हक सभी को है। -उषा जैन ‘शीरी’