पुस्तकों से संभव है चिकित्सा व दीर्घायु
स्वस्थ व रोगमुक्त रहने के लिए व्यक्ति क्या कुछ नहीं करता है? इसके लिए उसने कैसी-कैसी विधियाँ खोज डाली हैं यह सुनकर आश्चर्य भी होता हे और हँसी भी आती है। कहने-सुनने में तो यह विचित्र-सा ही लगता है कि पुस्तक पढ़ना अथवा किÞस्से कहानी सुनना उपचार की एक विधि हो सकती है लेकिन यह भी सच है।
आपने दिल्ली के प्रसिद्ध सूफÞी संत हजÞरत निजÞामुद्दीन औलिया (रह.) का नाम अवश्य सुना होगा। हिंदी-उर्दू के प्रसिद्ध कवि अमीर ख़ुसरो उनके प्रिय शिष्य थे। एक बार हजÞरत निजÞामुद्दीन साहिब की तबीयत ख़राब हो गई। अमीर ख़ुसरो ने अपने पीर (गुरू) का दिल बहलाने के लिए एक किÞस्सा उन्हें सुनाया जिसका नाम था ‘चार दरवेशों का किÞस्सा’। किÞस्सा सुनकर हजÞरत निजÞामुद्दीन साहिब अच्छे हो गए और उन्होंने दुआ दी कि जो इस किÞस्से को सुने, आरोग्य प्राप्त करे।
हजÞरत निजÞामुद्दीन औलिया (रह.) की दुुआ से इस किÞस्से का घर-घर चर्चा होने लगा। जहाँ कोई बीमार होता घर वाले बीमार को यह किÞस्सा सुनाकर उसका जी बहलाते। बीमारियों के इलाज के साथ-साथ किÞस्सागोई की कला का भी ख़ूब विकास हुआ। किÞस्से-कहानियाँ पढ़ने या सुनने से मन एकाग्र होता है तथा कल्पना शक्ति का विकास होता है या कह सकते हैं कि एकाग्रता तथा कल्पना या चाक्षुषीकरण द्वारा हम मन को एक दशा से दूसरी दशा में रूपांतरित कर दुख-दर्द से निजात पा लेते हैं।
जिस प्रकार दर्द निवारक दवा लेने से दर्द की शिद्दत कम हो जाती है उसी तरह किसी कथा-कहानी को सुनने से भी दर्द की शिद्दत कम हो जाती है क्योंकि हम कहानी के पात्रों के क्रि याकलापों से एकाकार होकर अपनी पीड़ा को भूल जाते हैं।
कई व्यक्ति अनिद्रा की समस्या से पीड़ित होते हैं। सोने से पहले या बिस्तर पर लेटकर थोड़ा ध्यान अथवा मेडिटेशन करने से नींद शीघ्र ही आ जाती है। इससे नींद अच्छी भी आती है। कुछ लोग रात को बिस्तर में जाने पर कोई न कोई पुस्तक पढ़ना शुरू कर देते हैं।
कई बार तो दो-चार पेज पढ़ने पर ही आँखें बोझिल होने लगती हैं और व्यक्ति पुस्तक को बंद कर रखने और बत्ती बुझाकर सोने को विवश हो जाता है। इसका कारण यही है कि पढ़ने से एकाग्रता का विकास होता है। एकाग्रता ही ध्यान अथवा मेडिटेशन है।
इस प्रकार ‘पुस्तक चिकित्सा’ अनिद्रा का भी प्रभावी उपचार है। इसके अतिरिक्त पुस्तक पढ़ने की आदत व्यक्ति को दीर्घायु भी बनाती है। येल विश्वविद्यालय के एक शोध के अनुसार औसतन आधा घंटा पुस्तकें पढ़ने वाले व्यक्ति पुस्तकें बिल्कुल न पढ़ने वाले व्यक्तियों की तुलना में दो वर्ष तक अधिक जीते हैं। यदि स्वस्थ रहना व अपेक्षाकृत लंबी आयु पाना चाहते हैं तो न तो किÞस्से-कहानियाँ सुनने से परहेज करें और न पढ़ने की आदत छोड़ें। -सीताराम गुप्ता