मिट्टी बन गई अकसीर -सत्संगियों के अनुभव
पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपार रहमत
प्रेमी फूल सिंह इन्सां सुपुत्र श्री राम प्रकाश जी, निवासी गांव अमरकोट तहसील पांवटा साहिब जिला सिरमौर (हिमाचल प्रदेश)। प्रेमी जी अपने प्यारे मुर्शिद-ए-कामिल पूजनीय हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपने बेटे शुभम पर हुई रहमत का वर्णन इस प्रकार करता है:-
दिनांक 12 अगस्त 2004 की बात है। मेरे बेटे शुभम की उम्र उस समय मात्र छह महीने की थी, वो बैड से नीचे गिर गया। उसके सिर में ऐसी कोई गहरी गुम चोट आई कि जिससे उसकी आँख की काली पुतली टेढ़ी हो गई। मैंने उसे पांवटा साहिब अस्पताल में दिखाया, तो डॉक्टरों ने उसे देखकर पी.जी.आई. चंडीगढ़ रैफर कर दिया।
19 अगस्त को मैं उसे लेकर चंडीगढ़ चला गया। वहाँ पर मैंने देखा कि मान लो, जो आदमी आज आया है, उसका नम्बर कम से कम तीन दिन बाद लगता है। जहां से मैंने शुभम को दिखाने के लिए पर्ची ली, वहां काउंटर पर तीनों पूजनीय पातशाहियों (पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज, पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज व पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां) के फोटो स्वरूप और नारा ‘धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ के स्टीकर लगे हुए थे। मैंने सोचा कि ये बहन अवश्य ही सत्संगी है। यह सोचकर मैंने उन्हें ‘धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ नारा लगाया। बहन जी ने भी नारे का जवाब नारे में ही दिया। फिर मैंने उस सत्संगी बहन को अपने बच्चे की तकलीफ बताई। उस बहन ने अपना सारा काम छोड़कर मेरे बच्चे को पी.जी.आई. के सबसे बड़े डॉक्टरों को दिखाया।
वहां पर सात डॉक्टरों ने बच्चे का अच्छी तरह से चैकअप किया। उन्होंने बताया कि इसके सिर में चोट आई है जिससे इसके सिर की कोई नस फट गई है। उन्होंने बच्चे को वहां के बच्चों वाले अस्पताल के एमरजेंसी वार्ड के लिए रैफर करते हुए मुझे कहा कि इसे बच्चों वाले अस्पताल के एमरजेंसी में ले जाओ। तो मैं अपने बच्चे को वहां ले गया। वहां डॉक्टरों ने चैकअप करके वही बात बताई कि चोट की वजह से इसके सिर में कोई नस फट गई है और खून जमा हो गया है। अगर आॅप्रेशन ना किया तो कैंसर भी हो सकता है। मेरे पास इतना पैसा नहीं था कि मैं आॅप्रेशन करवा लेता, इसलिए मैं अपने घर वापिस लौट गया। उन्हीं दिनों में मैंने डेरा सच्चा सौदा सरसा दरबार में सेवा में जाना था।
एक तरफ बच्चे की जिंदगी का सवाल था, तो दूसरी तरफ सतगुरु के हुक्म की सेवा थी। मैं अपने सतगुरु पूज्य हजूर पिता जी पर सब कुछ छोड़कर डेरा सच्चा सौदा की तरफ चल पड़ा। मैंने अपनी पत्नी तथा नन्हे से बच्चे को भी साथ ले लिया और डेरा सच्चा सौदा में पहुंच गया। मैंने अपने सतगुरु जी को याद करते हुए पवित्र नारा ‘धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ बोलकर बच्चे की आँख में दरबार की थोड़ी सी पवित्र मिट्टी डाल दी। हम नाम का सुमिरन करते हुए अरदास करने लगे कि हे कुल मालिक पूज्य हजूर पिता जी! आप जी इसकी आंख को ठीक कर दो! करीब चार-पांच घंटों के बाद बच्चे की आँख में हरकत होनी शुरु हो गई और धीरे-धीरे आँख के बीच में पुतली घूमने लगी। इस तरह सतगुरु जी की रहमत से बच्चे की आँख बिल्कुल ठीक हो गई।
लेकिन डॉक्टरों ने मेरे मन में यह वहम डाल दिया था कि अगर आॅप्रेशन ना करवाया तो कैंसर हो सकता है, तो इसलिए मैं डेरे से घर आकर फिर से पी.जी.आई. चंडीगढ़ गया। उन्हीं डॉक्टरों ने फिर से बच्चे का चैकअप किया। कहने लगे कि पहले से हल्का-सा फर्क है। अब इसके सिर का सी.टी. स्कैन करवाते हैं, उसमें साफ-साफ पता चल जाएगा कि क्या गड़बड़ है। फिर हमने बच्चे के सिर का सी.टी. स्कैन करवाया, तो उसमें ‘नार्मल स्टडी’ आया। वो डॉक्टर भी रिपोर्ट देखकर हैरान रह गए कि वो फटी हुई नस कहाँ गई और जमा हुआ खून किधर गया! इस घटना को आज बीस साल से अधिक का समय हो गया है, पूज्य पिता जी की रहमत से हमारा बच्चा शुभम बिल्कुल ठीक है।
हम अपने सतगुरु सच्चे रूहानी रहबर पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का लाख-लाख धन्यवाद करते हैं। पूज्य पिता जी ने हमारे पर जो अपना इतना बड़ा रहमो-करम किया और कर रहे हैं, उसके लिए हम ताउम्र ऋणी रहेंगे। हम अपने पूज्य सतगुरु पिता जी से यही अरदास करते हैं कि इसी तरह दया-मेहर बनाए रखना जी और सेवा-सुमिरन करने का बल बख्शना जी।