यूं आसान होगी टीन एज की मुश्किलें
टीनएज में बढ़ती समस्याएं माता पिता को भी परेशनी में डाल देती हैं और टीन एज बच्चों को भी।
बहुत बार टीनएजर अपनी परेशनियां अपने माता पिता तक ठीक से पहुंच नहीं पाते और बहुत बार माता पिता इस एज ग्रुप के बच्चों की परेशानियों को समझ नहीं पाते या कुछ उनसे समझौता नहीं कर पाते और आपसी दूरियां बढ़ती चली जाती हैं।
फिर बच्चे अपनी उम्र के दोस्तों से अपनी परेशानी बताकर समाधान ढूंढने का प्रयास करते हैं पर वे यह भूल जाते है कि वे बच्चे भी उनकी उम्र के हैं। क्या वे उनकी मदद सही कर पाएंगे? अक्सर गलत जानकारी मिलने से वे भी सही नतीजे तक नहीं पहुंच पाते।
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हम यहां कुछ कारगर टिप्स बता रहे हैं जो बच्चों और माता-पिता दोनों के लिए उचित साबित हो सकते हैं।
बच्चे क्या करें:-
संतुलित और अच्छी जिंदगी के लिए शरीर का फिट होना बहुत जरूरी है। शरीर की फिटनेस के लिए कोई आउटडोर गेम खेलें जैसे बैडमिंटन, बास्केट बाल, फुटबाल, दौड़ना, तैराकी आदि। खेल में बच्चे जीतना-हारना, एक दूसरे की मदद करना, खेल के प्रति प्यार आदि सीखते हैं जिससे उनके शरीर में कैमिकल बैलेंस बना रहता है। इससे मानसिक संतुलन भी बढ़ता है।
- बहुत सारे बच्चों के पास आउटडोर गेम खेलने का समय नहीं होता या खेल के मैदान पास नहीं होते, ऐसे में बच्चे क्या करें। उन्हें घर पर रस्सी कूदना चाहिए ताकि शरीर एक्टिव बना रहे और उनकी एनर्जी को ठीक आउटलेट भी मिलता रहेगा।
- किसी भी चीज पर फोक्स तय करें। फोकस सकारात्मक होगा तो ध्यान बेकार की चीजों पर नहीं भटकेगा। सही फोक्स बच्चे को सही राह पर ले जाने में मदद करेगा।
- इस उम्र में दोस्तों का होना भी जरूरी है पर उनके साथ इंवॉल्वमेंट एक सीमा तक ही रखें। दोस्तों को अपने घर बुलाएं और उनके साथ ड्राइंग रूम में बैठें, अपने बैड रूम में नहीं। आप भी कभी कभी उनके घर जा सकते हैं। दोस्तों से एक सीमा तक मिलना ही अच्छा रहता है।
- जैसे बच्चों को आवश्यकता होती है माता-पिता के साथ समय बिताने की, उसी प्रकार माता पिता भी चाहते हैं कि बच्चे उनके साथ समय बिताएं और हैल्दी डिस्कशन करें। माता पिता के साथ रात्रि का भोजन खाएं, हंसें और हो सके तो सांप सीढ़ी या लुडो समय मिलने पर उनके साथ खेलें। इससे दोनों में कम्युनिकेशन गैप नहीं रहेगा।
- बुजुर्गो के साथ भी जुड़े रहें। घर पर दादा दादी के साथ बात करें, उन्हें सप्ताह में एक दो बार पार्क तक घूमाने ले जाएं। उनकी पसंद की कोई वस्तु ला कर उनके साथ बैठकर खाएं। जरूरत पड़ने पर पांव दबाएं। नहलाने में मदद करें। दवा आदि का भी ध्यान रखें।
पेरंट्स क्या करें:-
बच्चों को स्पेस दें, और हां, उनके स्पेस में खुद के लिए भी जगह बनाएं। अपने बच्चों के साथ संबंध ऐसे होने चाहिए जिससे वे बिना संकोच आपसे बात कर सकें।
- माता पिता को बच्चे की उम्र के साथ खुद को बदलना चाहिए। अगर आप स्वयं को बदल पाते हैं तो बच्चे का साथ हमेशा आपको मिलेगा और वे कभी भटकेंगे नहीं।
- बच्चों को स्पेस के साथ उनकी लिमिट भी समझाएं ताकि स्पेस के चक्कर में कहीं अधिक हाथ से न निकल जाएं।
- समस्या छोटी हो या बड़ी, हल तो निकालना ही है। डांट डपट और मार कर कोई हल नहीं निकलता। उनसे बात कर हल निकालें। बच्चों को विश्वास होना चाहिए कि आप का साथ हर समस्या में उनके साथ है और आप उन्हें उपलब्ध हैं।
- नेट से या दोस्तों से ली जानकारी बच्चों को अधिक भटकाती है। यह भटकन उन्हें संकट में भी डाल सकती है। अच्छे कम्युनिकेशन से आप उन्हें भटकने से बचा सकते हैं।
- टीनएज एक ऐसी उम्र है जब बच्चे न तो छोटे होते हैं, न बड़े। वे भी अपनी पहचान बनाना चाहते हैं, दोस्तों के बीच, माता-पिता और समाज के बीच। ऐसे में उनकी जिंदगी में कई तरह की उथल पथल और ऊहापोह होती है। ऐसे में उन्हें आपका साथ, प्यार भरा व्यवहार उन्हें मार्गदर्शन देकर ठीक रास्ता बता सकता है।
- मीडिया के सुपर एक्सपोजर के बारे में उन्हें सही जानकारी दें कि वह किस हद तक सही है।
-नीतू गुप्ता