गर्मियों में अमृत है मटके का पानी

गर्मियों में अमृत है मटके का पानी

जीवन में जिस तरह से आधुनिकता घर करती जा रही है, स्वास्थ्य के लिहाज से ये खतरनाक साबित हो रही है। अब पानी को ही लीजिए, पानी हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण है। हम खाना खाए बगैर रह सकते हैं, लेकिन पानी के बगैर जीवन की कल्पना कर पाना असंभव है। लेकिन पर्यावरण प्रदूषण, वायु प्रदूषण, धरती प्रदूषण के साथ-साथ जल प्रदूषण वर्तमान समय की एक गंभीर समस्या है।

हमारे शरीर में 65-70 प्रतिशत हिस्सा पानी है। इसलिए साफ व स्वच्छ पानी की हमेशा जरूरत रहती है। अगर व्यक्ति को साफ पानी नहीं मिल पाता, तब यह कई बीमारियों को जन्म देता है। इसी वजह से आजकल घरों में फ्रिज, आरओ सिस्टम वगैरह से पानी स्वच्छ करके पीया जाता है। इसके अलावा बाजारों में उपलब्ध फिल्टर पानी का इस्तेमाल भी खूब बढ़ा है।

लेकिन आपको यह जानकार हैरानी होगी कि मटके का पानी सबसे अधिक साफ व स्वच्छ होता है। ‘गरीबों का फ्रिज’ यानि मटके का पानी स्वास्थ्य के लिए अमृत है और इसे ऐसे ही अमृत नहीं बोलते! वास्तव में ही मटके का पानी सेहत के लिहाज से बहुत फायदेमंद है।

मटके का पानी पीढ़ियों से, भारतीय घरों में पानी स्टोर करने के लिए मिट्टी के बर्तन, यानी मटके का इस्तेमाल किया जाता रहा है। आज भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो इन्हीं मिट्टी से बने बर्तनों में पानी पीते हैं। ऐसे लोगों का मानना है कि मिट्टी की भीनी-भीनी खुश्बू के कारण घड़े का पानी पीने का आनंद और इसके लाभ अलग हैं। मिट्टी में कई प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता पाई जाती है। इस गुण का लाभ भी अलग से मिलता है।

वैज्ञानिक मत:

विशेषज्ञों के अनुसार, मिट्टी के बर्तनों में पानी रखा जाए, तो उसमें मिट्टी के गुण आ जाते हैं। इसलिए मटके में रखा पानी हमारा स्वास्थ्य बनाएं रखने में अहम् भूमिका निभाता है। मिट्टी पानी को प्राकृतिक रूप से शीतलता प्रदान करती है। मटका न केवल पृथ्वी के तत्वों को स्वास्थ्यप्रद रूप से चिकित्सा प्रदान करता है, बल्कि पानी को ठंडा भी करता है। यह मटके में पाई जाने वाली एक विशेषता है, जो अन्य किसी पात्र में नहीं होती।

कैसे ठंडा रहता है पानी:

मटके के पानी का ठंडा होना वाष्पीकरण की क्रिया पर निर्भर करता है। जितना ज्यादा वाष्पीकरण होगा, उतना ही ज्यादा पानी भी ठंडा होगा। मिट्टी के घड़े में सूक्ष्म छिद्र होते हैं, जिनके माध्यम से घड़े का पानी रिसता (बाहर निकलता) रहता है। गर्मी के कारण पानी वाष्प बन कर उड़ जाता है और वाष्प बनने के लिए गर्मी का उपयोग मटके की गर्मी से होता है। इस पूरी प्रक्रिया में मटके का तापमान कम हो जाता है और फलस्वरूप पानी ठंडा रहता है।

यह बात बहुत महत्वपूर्ण है कि स्टोर किये गए पानी को पहले उबालना और छानना चाहिए। उपरांत इस पानी को प्राकृतिक रूप से ठंडा होने दें। जब यह पानी कमरे के तापमान पर पहुँच जाए, तो फिर आप इसे मटके या सुराही में एकत्रित करके रख सकती हैं।

मटके का पानी पीने के लाभ:

चयापचय को बढ़ावा:
नियमित रूप से घड़े का पानी पीने से प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। प्लास्टिक की बोतलों में पानी स्टोर करने से, उसमें प्लास्टिक से अशुद्धियां इकट्ठी हो जाती हैं और वह पानी को अशुद्ध कर देता है। साथ ही यह भी पाया गया है कि घड़े में पानी स्टोर करने से शरीर में टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ जाता है जोकि लाभदायक है

पानी में पीएच का संतुलन:

घड़े का पानी पीने का एक और लाभ यह भी है कि इसमें मिट्टी में क्षारीय गुण विद्यमान होते हैं। क्षारीय पानी अम्लता के साथ प्रभावित होकर, उचित पीएच संतुलन प्रदान करता है। इस पानी को पीने से एसिडिटी पर अंकुश लगाने और पेट के दर्द से राहत प्रदान पाने में मदद मिलती हैं।

गले को ठीक रखे:

आमतौर पर हमें गर्मियों में ठंडा पानी पीने की तलब होती है और हम फिज्र से ठंडा पानी ले कर पीते हैं। ठंडा पानी हम पी तो लेते हैं, लेकिन बहुत ज्यादा ठंडा होने के कारण यह गले और शरीर के अंगों को एकदम से ठंडा कर शरीर पर बुरा प्रभाव डालता है। गले की कोशिकाओं का ताप अचानक गिर जाता है, जिस कारण व्याधियां उत्पन्न होती है। गला पकने और ग्रंथियों में सूजन आने लगती है और शुरू होता है शरीर की क्रियाओं का बिगड़ना। जबकि मटके का पानी गले पर अच्छा प्रभाव देता है।

गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद:

गर्भवती महिलाओं को फ्रिज में रखे, बेहद ठंडे पानी को पीने की सलाह नहीं दी जाती। वे घड़े या सुराही का पानी पिएं। इनमें रखा पानी न सिर्फ उनकी सेहत के लिए अच्छा होता है, बल्कि पानी में मिट्टी का सौंधापन बस जाने के कारण गर्भवती महिला को अच्छा लगता है।

वात को नियंत्रित करता है:

गर्मियों में लोग फ्रिज का या बर्फ का पानी पीते हैं, लेकिन इसकी तासीर गर्म होती है। यह वात भी बढ़ाता है। बर्फीला पानी पीने से कब्ज हो जाती है तथा अक्सर गला खराब हो जाता है। मटके का पानी बहुत अधिक ठंडा न होने से वात नहीं बढ़ाता। इसका पानी संतुष्टि देता है। मटके को रंगने के लिए गेरू का इस्तेमाल होता है, जो गर्मी में शीतलता प्रदान करता है। मटके के पानी से कब्ज, गला खराब होना आदि रोग नहीं होते।

विषैले पदार्थ सोखने की शक्ति:

मिट्टी में शुद्धि करने का गुण होता है। इसलिए यह सभी विषैले पदार्थ सोख लेती है तथा पानी में सभी जरूरी सूक्ष्म पोषक तत्व मिलाती है। इसमें पानी सही तापमान पर रहता है, यानि न बहुत अधिक ठंडा और न ही गर्म।

सावधानियां:

  • यदि आप मटके का उपयोग करते हैं तो धूल, कीड़ों तथा अन्य प्रदूषकों से पानी को बचाने के लिए इसे हमेशा ढंक कर रखें।
  • अपने मटके को कीटाणु रहित रखें। मिट्टी के मटके में मैल जल्दी एकत्रित होता है, अच्छा होगा यदि हर उपयोग के बाद आप मटके को पहले घिस कर साफ करें, सुखाएं और उसके बाद ही उसमें पानी भरें। यानि मटके को हमेशा साफ-स्वच्छ रखें।
  • बहुत से लोग सुराही में पानी एकत्रित करते हैं। सुराही भी एक मिट्टी का बर्तन होता है। सुराही की गर्दन बहुत संकरी होती है। ज्यादातर लोगों को चौड़े मटके की तुलना में सुराही का उपयोग अच्छा लगता है।
  • मटके को एक मजबूत मेज पर खिड़की के पास रखें। हवा से पानी ठंडा रहेगा। गर्मी के महीनों में मटके के चारों ओर गीला कपड़ा लगाकर रखेंगें, तो पानी जल्दी ठंडा हो सकेगा।

– प्रियंका गुप्ता

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!