आज सब्जी क्या बनाऊं?

हर गृहिणी की यह आम समस्या है कि आज खाने में क्या बनाऊं जो सब की पसंद का भी हो। वैसे सबको संतुष्ट करना गृहिणी के लिए बहुत मुश्किल होता है, फिर भी उसका प्रयास रहता है कि सब प्रसन्नचित होकर खाना खायें।

दिन में तीन बार खाना पकाने से पहले हर बार वह मजबूर हो जाती हैं सोचने के लिए कि कल यह बनाया था, सुबह या अब इस समय क्या बनाऊं।

पति और बच्चों से पूछने पर भी उसे सहयोग नहीं मिलता क्योंकि वे भी नहीं समझ पाते कि उनको क्या खाना है? खीझकर उनसे भी यही जवाब सुनने को मिलता है कि कुछ भी बना दो, जो तुम्हारी मर्जी हो। बार बार पूछ कर हम लोगों को परेशान न करो।

यदि पत्नी अपनी समझ से कुछ भी बनाती है तो खाने की मेज पर बैठते ही सब्जी देखकर सब की नाक भौं सिकुड़ने लगती है। ऐसा देखकर गृहिणी का मन दुखने लगता है कि उसने इतनी मेहनत से सोच समझकर बनाया है पर खाने वालों को पसंद नहीं आया। उसके दिल पर क्या बीतती है, इसका अंदाजा तो महिला ही लगा सकती है।


रोज-रोज की किचकिच से कुछ सीमा तक बचा जा सकता है। एक दिन शांत स्वभाव से दो तीन घंटों का समय निकाल कर एक लिस्ट तैयार कर ली जाये कि नाश्ते, दोपहर और रात्रि के भोजन में आप क्या-क्या बना सकती हैं? मौसम अनुसार सभी सब्जियों को लिस्ट में नोट कर लें और विचार कर लिखें कि इन सब्जियों में से किस के साथ मिला कर आप भिन्न-भिन्न व्यंजन तैयार कर सकती हैं। रात्रि को भोजन उपरांत परिवार के सभी सदस्यों के साथ बैठकर अपनी लिस्ट सुना दें और सोमवार से रविवार तक का ‘मेन्यू‘ (मीनू) तैयार कर लें। फिर उन्हीें में थोड़ा फेरबदल कर आगे ‘मेन्यू‘ं को जारी रख सकती हैं।

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‘मेन्यू‘ में राजमा, सफेद लोबिया, कढ़ी, सफेद छोले और काले चने को मुख्य स्थान दें क्योंकि ये सब चीजें बच्चों और बड़ों सभी की पसंद हैं। इनके इलावा सभी तरह की दालें, बड़ियां, सोयाबीन की चॉप्स और मौसम अनुसार सभी सब्जियों को स्थान दें। बनाते समय सप्ताह में एक दिन मौसमी सब्जियों का मिश्रण व सूखी दालें आदि भी बना सकती हैं।

खाने की मेज पर दाल, सब्जी के अतिरिक्त कभी पापड़, अचार, चटनी, सलाद, दही या दही के भिन्न-भिन्न रायते भी रख सकती हैं। इन अतिरिक्त चीजोें को सुन्दर सजा कर पेश करने से सभी का मन खाने के लिए ललचा उठेगा और आपको भी मायूस नहीं होना पड़ेगा और प्रतिदिन दिमाग पर भी अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा।

यह ध्यान रखें कि जो सब्जियां एक सप्ताह सूखी बना रहे हैं तो दूसरे सप्ताह उन्हें रसेदार भी बनाया जा सकता है सूखी दालों के साथ। रात्रि में कभी-कभी सब्जियों का पुलाव और रायता भी खाने में दिया जा सकता है। कभी-कभी तन्दूरी रोटी या भरवां रोटी भी गर्म गर्म दे सकते हैं।

सलाद में भी भिन्नता ला सकते हैं। कभी, बारीक-बारीक सलाद काटकर, कभी-कद्दूकस किया हुआ तो कभी लम्बे टुकड़ों वाला और कभी गोल टुकड़ों में सलाद काटकर उस पर धनिया, हरी मिर्च, कालीमिर्च, सलाद मसाला, नींबू डालकर उसका स्वाद और बढ़ा सकते हैं। रायते में कभी पकौड़ियों का रायता, कभी पुदीना, बथुआ, प्याज, टमाटर, खीरे आदि का रायता बना सकती हैं।

कभी-कभी बच्चों की पसंद पर फास्ट फूड दो सप्ताह में एक बार डिनर के रूप में ले सकती हैं जैसे वैज चाउमिन, सूप के साथ बर्गर, पाव भाजी आदि। बच्चों की पसंद को भी ‘मेन्यू‘ में स्थान दें। इससे बच्चे आपकी पसंद वाली वस्तुएं भी धीरे- धीरे पसंद करने लगेंगे। इस प्रकार पहले ‘मेन्यू‘ बना लेने से आप कुछ हद तक समस्याओं से छुटकारा पा सकती हैं। -सुनीता गाबा

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