याद-ए-मुर्शिद परमपिता शाह सतनाम जी महाराज | सतगुरु के नूर-ए-जलाल से रोशन है सारा जहां
रूहानियत के सच्चे रहबर परम पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज जिनका नूर-ए-जलाल सृष्टि के कण-कण, जर्रे-जर्रे में समाया हुआ है, हर जर्रा जिनके नूर-ए-जलाल से रोशन है, महक रहा है, खुदा की खुदाई जिनके हुक्म में कार्यशील है।
दोनों जहां, पृथ्वी, आकाश, पाताल, दसों दिशाएं और सारी कायनात जिनके नूर-ए-जलाल से हरकत में है, ऐसे सच्चे रहबर दाता परमपिता शाह सतनाम जी महाराज के गुणगान करना सूर्य को दीपक दिखाने के मानिंद है। सारी जिंदगी और चाहे कितने जन्म पाके भी सतगुरु शाह सतनाम जी के गुणगान करने की कोशिश की जाए, उस अकथनीय को कोई कथनीय नहीं कर सकता। गुरु के गुणों का वर्णन करना अति असंभव है। ऐसे दाता-रहबर अनन्त गुणों के भण्डार है सतगुरु परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज।
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पवित्र जीवन झलक:
पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज गांव श्री जलालआणा साहिब तहसील डबवाली जिला सरसा के रहने वाले थे। आप जी ने परम आदरणीय पिता जैलदार सरदार वरियाम सिंह जी के घर परम पूजनीय माता आसकौर जी की पवित्र कोख से 25 जनवरी 1919 को जगत में अवतार धारण किया। आप जी ने 18 अप्रैल 1963 से 26 अगस्त 1990 तक 27-28 वर्षों के दौरान जहां पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर-प्रदेश आदि राज्यों में हजारों रूहानी सत्संग लगाए हैं, वहीं 11 लाख से भी अधिक जीवों को नाम-शब्द, गुरुमंत्र प्रदान कर अंडा, मांस, शराब आदि नशे व अन्य बुराइयों से उन्हें छुटकारा दिलाया और भवसागर से उनका पार-उतारा किया।
‘सच्चा सौदा सुख दा राह, सब बंधनां तो पा छुटकारा मिलदा सुख दा साह।’
सीमित परिवार, जनसंख्या कंट्रोल करने का नुक्ता ‘छोटा परिवार सुखी परिवार’, इस सच्ची धारणा को अपनाने, उसके अनुसार चलने के लिए आपजी ने साध-संगत में बेटा-बेटी को एक समान मानने की प्रेरणा दी कि ‘हम दो हमारे दो’ तथा वक्त और स्थिति के अनुरूप पूज्य मौजूदा गुरु हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने बेतहाशा बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाने के लिए ये नुक्ता दिया कि ‘हम दो हमारा एक, एक ही काफी वरना दो के बाद माफी’ अर्थात हम दो हमारे दो या हम दोनों एक, हमारा एक बच्चा होगा (135 वां कार्य)। बेटा-बेटी में अंतर नहीं करें, उन्हें अच्छे संस्कार दें।
अद्वितीय शख्सियत:
पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज एक महान विभूति, अद्वितीय शख्सियत थे। आपजी के रूहानी जलवे, नूरी मुखड़े, आपजी के दर्श-दीदार को पाकर हर कोई नतमस्तक हो जाता। आप जी खेत में अनथक किसान, पंचायत में प्रधान, बीमारों के लिए वैद्य लुकमान (वैद्य-हकीम, डॉक्टर, सर्जन), दीन-दुृखियों के मसीहा, बेसहारों का सहारा, सच्चे हमदर्द, विशेषज्ञ, उस्ताद, रूहानियत के सच्चे रहबर, दया-रहम के पुंंज थे। आप जी का समूचा जीवन बचपन से पाक-पवित्र और अलौकिक परोपकारों से भरपूर था।
अति सुंंदर, सुडौल व स्वस्थ आकर्षण काया, ऊंचा-लंबा कद, चौड़ा नूरी ललाट, वात्सल्य भरपूर नूरी नेत्र, नूरानी सुंदर मतवाली चाल, ईलाही नूरी जलाल से चमकता नूरी चेहरा, सब गम-फिकरों को काफूर कर देने वाली आपजी की अति प्यारी ईलाही मुस्कान, आपजी की पवित्र मुखवाणी जो कुटिल कठोर हृदयों को भीे मोम बना देती। जो भी सुनता, मंत्र-मुग्ध होकर अपने-आप से बेखबर हो जाता। आपजी की पवित्र रसना, अमृतवाणी, ईलाही पवित्र नूरी स्वरूप आपजी की हर नूरानी अदा में इतनी जबरदस्त कशिश थी कि लोग कोसों दूर से भंवरों की तरह खिंचे चले आते। इस प्रकार लाखों लोग आपजी के द्वारा राम-नाम से जुड़कर दीन-दुनिया में मालामाल हुए हैं। देश-विदेश में करोड़ों लोगों के दिलों में आपजी की पवित्र याद समायी हुई है।
महान साहित्यकार:
पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज ने अनेक पवित्र ग्रंथों की रचना की। बंदे से रब्ब पहला व दूसरा भाग हिंदी व पंजाबी, सचखंड की सड़क पहला व दूसरा भाग हिंदी व पंजाबी व्याख्या के ग्रंथ हैं और इसके अतिरिक्त हजारों भजन-शब्द आपजी द्वारा रचित सतलोक का संदेश और सचखंड दा संदेशा नामक ग्रंथों में दर्ज हैं। ग्रंथों की भाषा बहुत ही सरल है और हर जन साधारण जीव आसानी से इसके अर्थ को समझ लेता है।
पावन मार्ग-दर्शन:
आपजी ने साध-संगत के लिए एक बहुत अनमोल दात बख्शी है। आपजी ने पूज्य मौजूदा गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को स्वयं अपने हाथों से 23 सितंबर 1990 को डेरा सच्चा सौदा में बतौर तीसरे पातशाह गद्दीनशीन किया और इस प्रकार साध-संगत को हर तरह से बेफिक्र कर दिया। आपजी लगभग पन्द्रह महीने पूज्य गुरुजी के साथ साध-संगत में मौजूद रहे। उपरांत आपजी 13 दिसंबर 1991 को अपना पंच भौतिक शरीर त्याग कर ज्योति-ज्योत समा गए। पूजनीय परमपिता जी की याद हर मन में हर समय ताजा है।
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डेरा सच्चा सौदा में पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज, पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज द्वारा शुरु किए गए मानवता भलाई के सेवा कार्यों को पूज्य मौजूदा गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने तूफान मेल गति प्रदान कर विश्वस्तरीय बना दिया है। पूज्य गुरु जी ने डेरा सच्चा सौदा में मानवता व समाज भलाई के सेवा कार्याें की ऐसी जबरदस्त लहर चलाई है कि डेरा सच्चा सौदा की आज पूरे विश्व में पहचान बन गई है।
पूज्य गुरु जी के पावन मार्ग-दर्शन में डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाए जा रहे 146 मानवता भलाई के कार्य जरूरतमंदों का सहारा बने हैं। गरीबों के लिए, अनाथ बच्चों के लिए, बीमारों के लिए, विधवाओं के लिए परमार्थी कार्य, वेश्यावृति, तम्बाकू व नशों की बुराई को रोकना, गर्भ सुरक्षा, कन्या भू्रूण हत्या रोकना, जीते-जी गुर्दादान, रक्तदान और मरणोपरांत आंखेंदान, मेडिकल खोजों के लिए शरीरदान इत्यादि समाज सेवा के हर क्षेत्र में डेरा सच्चा सौदा के ये 146 मानवता भलाई के कार्य एक लहर, एक मुहिम के रूप में जन-जन तक पहुंच चुके हैं।
हो पृथ्वी साफ, मिटे रोग अभिशाप का नारा देकर पूज्य गुरु जी ने देश-विदेश को सफाई महा-अभियान का मंत्र दिया है, जिससे लोगों में सफाई के प्रति जागृति भी आई है। डेरा सच्चा सौदा के रक्तदान जीवन दान, पौधारोपण अभियान विश्व कीर्तिमान बने हैं और दर्जनों अन्य मानवता व समाज भलाई के कार्य भी एशिया और इंडिया बुक आॅफ रिकार्डस में दर्ज हैं।
13-14-15 दिसंबर पूजनीय परमपिता जी कोे समर्पित
डेरा सच्चा सौदा में साध-संगत पूज्य मौजूदा गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन दिशा-निर्देशन पर मानवता भलाई कार्याें के प्रति पूरा वर्ष और हर समय सेवा के लिए तत्पर रहती है और विशेषकर दिसंबर महीना पूरे का पूरा मानवता भलाई के कार्यों को समर्पित है। दिनांक 13-14-15 दिसंबर के ये दिन डेरा सच्चा सौदा के इतिहास में बहुत अहम स्थान रखते हैं। हर साल इस दिन डेरा सच्चा सौदा में याद-ए-मुर्शिद परमपिता शाह सतनाम जी नि:शुल्क आंखों का विशाल कैंप आयोजित करके जरूरतमंद लोगों पर अंधता निवारण का परोपकारी-करम किया जाता है। पूज्य गुरु जी के पावन दिशा-निर्देशन व मार्ग-दर्शन में सन् 1992 से 2021 तक 30 ऐसे परोपकारी कैंप आयोजित किए जा चुके हैं जिनके द्वारा हजारों लोग लाभांवित हुए हैं।
हजारों लोगों को मिल चुकी है नई रोशनी
वर्ष | आप्रेशन |
1992 | 485 |
1993 | 590 |
1994 | 720 |
1995 | 840 |
1996 | 925 |
1997 | 960 |
1998 | 1050 |
1999 | 983 |
2000 | 1085 |
2001 | 1078 |
2002 | 646 |
2003 | 665 |
2004 | 1038 |
2005 | 1002 |
2006 | 753 |
2007 | 720 |
2008 | 1136 |
2009 | 1663 |
2010 | 1881 |
2011 | 1671 |
2012 | 1515 |
2013 | 2378 |
2014 | 1174 |
2015 | 996 |
2016 | 800 |
2017 | 140 |
2018 | 132 |
2019 | 267 |
2020 | 118 |
2021 | 287 |