10 वर्षीय पर्लमीत इन्सां ने बनाया एक और एशिया बुक और इंडिया बुक आॅफ रिकॉर्ड
- उपलब्धि: अद्भुत बुद्धि कौशल से चुटकियों में बताए तीन शताब्दियों की अलग-अलग तारीख के दिन
- दो वर्ष पूर्व बनाया था पेरियॉडिक टेबल का रिकॉर्ड
‘होनहार बिरवान के होत चिकने पात’ की कहावत को चरितार्थ करते हुए सरसा की रहने वाली 10 वर्षीय पर्लमीत इन्सां ने तीन शताब्दियों के बीच में आने वाली अलग-अलग तारीखों पर पड़ने वाले दिनों के बारे में बताकर एक नया रिकॉर्ड स्थापित कर दिखाया है। यह दूसरा अवसर है जब इस होनहार बालिका का नाम एशिया बुक आॅफ रिकॉर्ड्स व इंडिया बुक आॅफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ है।
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ज्यूरी भी हुई कायल
पर्लमीत इन्सां ने ज्यूरी द्वारा सन् 1800 से 2099 तक के कैलेंडर वर्षों के बीच की अलग-अलग 56 तारीखों पर पड़ने वाले दिनों के नाम को चुटकियों में बताकर सभी को हैरान कर दिया। इतनी कम आयु में इस अद्भुत बुद्धि कौशल की धनी पर्लमीत की ज्यूरी के सदस्यों ने जमकर तारीफ की। उनका कहना था कि बालिका का बुद्धि कौशल कमाल है।
ज्ञात रहे कि पर्लमीत इन्सां डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पौत्री हैं। सेंट एमएसजी ग्लोरियस इंटरनेशनल स्कूल सरसा की कक्षा 6वीं की छात्रा पर्लमीत इन्सां को पढ़ाई के साथ-साथ नई-नई चीजें करने और सीखने का भी हमेशा जुनून सवार रहता है। पर्लमीत इन्सां बचपन से ही बेहद कुशाग्र बुद्धि की बालिका हैं। अपनी कुशाग्र बुद्धि का परिचय देते हुए पर्लमीत ने सन् 1800 से 2099 तक के कैलेंडर वर्षों के बीच की अलग-अलग तारीखों की गणना करके हल निकाला, यानि उस तारीख को पड़ने वाले दिन को पलक झपकते ही बता दिया। जो कि एक रिकॉर्ड है। इस रिकॉर्ड की पुष्टि एशिया बुक आॅफ रिकॉर्ड्स व इंडिया बुक आॅफ रिकॉर्ड्स ने पर्लमीत को सर्टिफिकेट जारी किए हैं।
पर्लमीत इन्सां ने इससे पूर्व सात साल एवं 11 महीने की आयु में मात्र 38 सैकिंड में ही पूरी ‘पेरियॉडिक टेबल’ सुनाकर नया रिकॉर्ड बनाया था। इतनी कम उम्र के बच्चे की प्रतिभा को देख इंडिया बुक आॅफ रिकॉर्ड्स के सदस्य भी बेहद प्रभावित थे। उनका कहना था कि पर्लमीत इन्सां का इतने कठिन शब्दों को याद करना और सहजता से उच्चारण व बोलने की स्पीड अद्भुत है। पेरियॉडिक टेबल सुना कर रिकॉर्ड स्थापित करने पर इंडिया बुक आॅफ रिकार्ड्स की ओर से उन्हें प्रशंसा पत्र एवं एक गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया गया था। पर्लमीत पढ़ाई के साथ-साथ घुड़सवारी व सांस्कृतिक गतिविधियों में भी हिस्सा लेती रहती है।
पर्लमीत इन्सां की इस सफलता से न केवल स्कूल एवं माता-पिता खुश हैं बल्कि पूरा सरसा अपने जिले की इस उपलब्धि पर गद्गद् है।