Experiences of satsangi

बख्शा स्वस्थ काया का तोहफा -सत्संगियों के अनुभव पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपार रहमत

बहन सुदर्शन इन्सां पत्नी श्री सोमदेव गोयल, निवासी अग्रसेन नगर, श्रीगंगानगर (राजस्थान) से परम पूजनीय हुजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपने पर हुई अपार रहमत का वर्णन एक पत्र द्वारा इस प्रकार करती है।

करीब सन् 2000 की बात है। अचानक एक दिन मेरे पांव के पंजे पर एक छोटी-सी फिन्सी हो गई। मैंने सोचा कि कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाएगी, पर वह पहले से बढ़ गई। मेरा बेटा डॉक्टर है, इसलिए ज्यादातर दवाइयाँ घर पर होती ही हैं, सो मैंने बेटे से घर पर ही दवाई ले ली और लेती रही, पर उस छोटी-सी फिन्सी ने ठीक होने की बजाए एक दाद का रूप ले लिया। कोई भी दवाई कारगार सिद्ध न होती देख, मैंने अस्पताल से दवाई शुरू कर दी।

पर दाद ने और भी भयानक रूप धारण कर लिया, जिसमें से हर समय पानी बहता रहता था। पानी बहने के साथ ही वहाँ खुजली शुरू हो जाती। खुजली जब असहनीय हो जाती, तो मजबूरन उसको रगड़ती। रगड़ते ही खून बहना शुरू हो जाता। मुझे इस तरह लगता मानो खून के साथ-साथ सारे कीटाणु बाहर आ रहे हैं तो मैं थोड़ी देर के लिए चैन की साँस ले पाती। मैं इस नर्कभरी जिंदगी से तंग आ चुकी थी। मेरा बेटा डॉक्टर होते हुए भी मेरी बीमारी को समझ नहीं पा रहा था। उसने अपने साथी डॉक्टरों से सलाह करके मेरा हर तरह से इलाज करवाया।

पर मेरी बीमारी पर रत्तीभर भी असर न हुआ। मैं रात को चैन की नींद सोने के लिए तरस गई थी। तरह-तरह की दवाई खाने की वजह से उनमें से एक दवाई रिएक्शन कर गई, जिससे मेरे पैर में सेल्युलाइटिस नामक बीमारी हो गई। जितना मैं जल्दी ठीक होने की सोच रही थी, लेकिन मेरी बीमारी और बढ़ती जा रही थी। हर समय मैं अपने रब्ब से शिकवे करती कि मैंने ऐसे कौन से पाप किए हैं, जो मुझे इतनी भयानक सजा मिल रही है। मेरी बीमारी घुटने तक फैल चुकी थी। माहिर डॉक्टर ने बताया कि ये बीमारी बहुत ही तेजी से फैलती है और 10 में से 6 की मौत भी हो जाती है।

मरती क्या न करती, मैंने डॉक्टर के कहे अनुसार जल्दी से आॅप्रेशन करवा लिया। मुझे कुछ राहत तो मिली, पर पूरी तरह से ठीक न हो पाई। मैं परमपिता परमात्मा से अरदास करती कि तू अगर कहीं है तो मेरी फरियाद सुन ले और आखिर में सच्चे मालिक ने मेरी अरदास सुन ली। मालिक परमपिता परमात्मा ने किसी बहाने से मेरी एक पड़ोसन को मेरे घर पर भेजा। उसने मुझे पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम जी इन्सां के बारे में बताया कि उनकी मात्र नूरी नज़र से ही बहुत से रोगी स्वस्थ, बिल्कुल ठीक हो जाते हैं। मैं तुम्हें उनके पास ले कर चलती हूँ।

उनसे राम-नाम की दात लेते ही कर्मों का लेखा-जोखा कट जाता है और तेरे कर्मों का भी सौ फीसदी खात्मा हो जाएगा। पहले तो मैंने उसे मना कर दिया कि जब इतने बड़े डॉक्टर कुछ नहीं कर पाए तो एक फकीर क्या कर देगा। पर उसके बार-बार कहने पर मैं अनमने मन से उसके साथ बुधरवाली दरबार में चली गई। मैंने सत्संग में जैसे ही पूज्य हजूर पिता जी के दर्शन किए, उसी पल मंै अपनी सुध-बुध खो बैठी। मेरी आँखों से वैराग्य यूं चल पड़ा मानो जिस रब्ब को मैं पल-पल याद करती थी, वो मेरी आंँखों के आगे बैठा हो। उनकी नूरी झलक से लगा कि मैं किसी दूसरी दुनिया में पहुँच गई, जहाँ मैंने खुद को हर दु:ख से आजाद पाया। मुझे ऐसा सुकून मिला कि जिसका मैं लिख-बोलकर वर्णन नहीं कर सकती। मैंने पूज्य गुरु जी से नाम गुरुमंत्र की अनमोल दात प्राप्त कर ली। पूज्य पिता जी की रहमत से मुझे बात करने का भी मौका मिला। तो घट-घट की जाननहार ने तुंरत मेरी बीमारी के बारे में पूछते हुए मुझे एक डॉक्टर से दवाई लेने का वचन फरमाया और इस प्रकार मुझे अपने पावन आशीर्वाद से खूब निहाल किया।

पूज्य पिताजी के तेरावास में जाने के बाद मेरे मन ने ख्याल दिया कि ये तो वही डॉक्टर हैं, जिनसे मैं कई बार दवाई ले चुकी थी। पर पूज्य पिताजी के चेहरे का अनुपम तेज देखकर मुझे उनकी रहमत पर पूर्ण यकीन हो गया था कि काम तो आशीर्वाद ने करना है। मैंने उसी डॉक्टर से दवाई ली व सुमिरन करके दवाई खाई और कुछ दिनों में ही वह भयानक दाद जड़ से खत्म हो गया। असल में दवाई का तो सिर्फ बहाना मात्र था।

वही डॉक्टर जिनसे मैं इतने सालों से दवाई ले रही थी, तब बिल्कुल भी असर नहीं हुआ था, तो अब कुछ दिनों में ही ठीक कैसे हो गई! असल में बीमारी तो पूज्य पिताजी ने अपनी दया-दृष्टि व पावन वचनों से पहले ही खत्म कर दी थी। यही सच है कि पूज्य पिताजी जी के पावन आशीर्वाद से ना जाने कितने ही कर्म भी कट जाते हैं। पूज्य पिताजी ने मुझे घर से बुलाकर मेरा मौत जैसा कर्म काट दिया और साथ ही मेरी जन्म-मरण की फांसी को हमेशा-हमेशा के लिए खत्म करके मेरा लोक व परलोक यानि दोनों जहां भी सँवार दिए। पूज्य सतगुरु पिताजी के पावन चरण-कमलों में मेरी यही विनती है कि मेरे पूरे परिवार पर इसी तरह रहमत बरसाए रखना जी। हम सभी को सेवा-सुमिरन करने की शक्ति देना जी और हम सबका ये पवित्र नारा ‘धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ मंजूर करके अपने पावन चरण-कमलों से ओड़ निभा देना जी।

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