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Relationships: दो से पूरे होते हैं रिश्ते

रिश्ते हमारी जिंदगी में खुशी लेकर आते हैं। रिश्तों का अर्थ केवल एक सामाजिक संबंध होना ही नहीं होता बल्कि हर रिश्ते का अर्थ होता है आपकी जिंदगी में ऐसे लोग होना जिन पर आँख बंद करके आप विश्वास कर सकते हैं जो आपको जस का तस स्वीकार करते हैं और जो आपको समझते हैं। ऐसे रिश्ते जिंदगी में रंग भर देते हैं। अगर ये रिश्ते न हों तो जिंदगी अधूरी सी ही रहती है।

अधूरी जिंदगी को पूरा करने के लिए रिश्ते जरूरी हैं और रिश्तों को पूरा करने के लिए दो लोग होने चाहिए। भाई का रिश्ता ही तभी बनता है जब बहन हो। पति-पत्नी के बिना अधूरा है। अभिभावक यानी माता-पिता भी जोड़े में ही पूर्ण होते हैं। सवाल उठता है कि यह अधूरापन आता ही क्यों है? इस सवाल का जवाब भी आपके पास ही है। आज हमारी जीवन शैली ऐसी होती जा रही है जिसमें दूसरों के प्रति सहिष्णुता कम होती जा रही है। अपने और पराए की परिभाषा में उससे फलां व्यक्ति से, मेरा कितना काम बन पाता है अथवा निकलता है, जैसी भावना शामिल हो गई है।

अगर आपकी मित्रता में ऐसा कोई नहीं है जिससे अपने घर-परिवार की खराबियों को बेबाकी, बेफिक्री से डिस्कस कर सकें, अगर मान-सम्मान बनाये रखने के लिए आपको अपनी मित्रता के अंतर्गत मित्र से भी बातें बनानी पड़ती हैं, दिखावा करना पड़ता है, अगर मित्र महिला हो, अगर बच्चे के साथ खेलने वाले उसके हम उम्र भाई-बहन (चचेरे ही सही) नहीं हैं तो इसका मतलब यह है कि आप रिश्तों को निभाना जानते ही नहीं।

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रिश्ते अधूरे न छोड़े क्योंकि इनके पूरे होने पर एक आत्मविश्वास आता है। यह एक कटु सत्य है कि रिश्तों की परिभाषा में दिल का रिश्ता सबसे अहम होता है लेकिन इसमें उपयोगिता भी होती है। बहू अगर सोच ले कि सास हो न हो, ससुराल में उसका समायोजन आराम से हो जाएगा तो बहूरानी को अपनी समझ थोड़ी और विकसित करनी चाहिए। सास चाहे कितनी भी कठोर क्यों न हो, उस घर में किसको क्या पसंद है, आपसे गलती हुई है तो भी माफी मिल जाएगी, आदि लाभ दिलाने की कुंजी है सास।

ससुराल में बहन नहीं मिलती पर देवरानी जेठानी का रिश्ता इस कमी को पूरा करता है। भले ही प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी करनी पड़ती हो लेकिन आपका भाई या बहन आपकी जिंदगी में आत्म विश्वास बढ़ाने की महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं बशर्तें आपको इन रिश्तों को पूरा निभाना आता हो। वैसे भी कहते हैं कि ‘अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता’, यह जिंदगी आसान नहीं होती। इसमें विविध प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। किसी चैलेंज का सामना करने के लिए महिला मित्र से पुरूष अधिक उपयुक्त होते हैं और किसी में महिला भी।

एक पुरूष इन सारी भूमिकाओं को निभाने की ठानेगा तो वह जिम्मेदारी के बोझ तले खुद का अस्तित्व मिटा देगा। खुशहाल जिंदगी के लिए जरूरी है कि रिश्तों रहित रूखी ज़िंदगी के बजाए थोड़ी तीखी नोक झोंक, थोड़ी मीठे रिश्तों की रेसिपी चखें। हमारी जिंदगी से जुड़े लोगों की खुशियों-दु:खों में शरीक होना इन रिश्तों को मजबूत करता है। समय-समय पर इन्हें यह अहसास दिलाना कि उनके होने से आपको कितनी राहत महसूस होती है, आपके लिए ही फायदेमंद होगा।

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आपसी प्ंयार का यह पानी, रिश्तों को सींच कर ठंडी छाया में तब्दील कर देता है और जब कभी जिंदगी की धूप से आप कुम्हला जाते हैं तो यही रिश्ते ऐसी छाया में तब्दील हो जाते हैं जिसमें सुस्ताकर तरोताजा होकर आप फिर निकल पड़ते हैं इस सफर पर। लोगों की कद्र करना सीखें, क्योंकि इनसे रिश्ते बनते हैं और दो से पूरे होते हैं रिश्ते।
-जे.के.शास्त्री