रंग रोगन से बने उजला-घर whitewashed house
मानसून की बरसात से आई सीलन की वजह से घर की दीवारों का प्लास्टर जगह-जगह से उतरा-उतरा रहने लगता है जिसे देखकर मन बोझिल होने लगता है। बरसात के पानी के बहने से छत उखड़ गई लगती है। जगह-जगह नमी की वजह से कीड़े-मकौड़े पनप जाते हैं। चूहे-चींटियां भी बिल बना लेते हैं।
पानी की बौछारों से घर का रूप ही बदल जाता है। बाहर की सभी दीवारें पानी से काली पड़ जाती हैं। दरवाजों का भी रूप खराब हो जाता है। घर के मुख्य दरवाजे और दीवारें जब इतनी गन्दी होती हैं तो भला पूरा घर क्या अच्छा रह जाता होगा। पानी की मार से सब कुछ बदरंग हो जाता है। ऐसे में पूरे घर को ही जरूरत होती है मरम्मत, रंगाई, पुताई, पेंट और साफ सफाई की।
दशहरा और दीपावली आदि पर घर को नया लुक देने के लिए घर की साफ-सफाई और रंग-रोगन की जरूरत होती है। घर में हर जगह सीलन, कॉक्र ोच, कीड़े-मकोडेÞ दीवारों से उखड़ा प्लास्टर देखकर कोई भी अपने घर की साफ-सफाई के लिए सजग तो होगा ही। साल भर से जुड़ा हुआ सामान अब बाहर निकालकर साफ-सफाई मागंता है। घर की टूट-फूट इसी बहाने सही कराई जाती है। इस समय पूरे घर को जरूरत होती है मरम्मत और रंगाई-पुताई की यानी कि दीपावली के आने से पहले घर की साफ-सफाई एवं रंगाई-पुताई हो जानी चाहिए।
रंग रोगन कराने से घर की रौनक ही नहीं बढ़ती बल्कि अन्य भी कई फायदे होते हैं। एक तो चूना स्वयं ही कीटनाशक का काम करता है। यह कीड़े-मकौड़ों को खत्म करता है तथा उन्हें पनपने नहीं देता। यह घर की दीवारों और छतों में आई नमी को सोख लेता है। घर में उजलेपन का सा अहसास कराता है। घर में नएपन का आभास कराता है। त्योहार पर तो वैसे भी सब कुछ नया-नया लगे, तभी मजा है। गन्दगी तो रूटीन जिंदगी में भी नहीं भाती।
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साफ-सफाई के साथ व्यवस्थित भी हो घर
इतना ही काफी नहीं है कि घर की मरम्मत करा दी, रंगाई-पुताई करा दी किन्तु कोई भी सामान व्यवस्थित ढंग से न रखा हो, सब कुछ घर में कूडेÞ-कबाड़े की तरह भरा हो। जिस प्रकार गंदगी घर से ऊब पैदा करती है उसी प्रकार घर में अव्यस्थित तरीके से रखी चीजें मन को विचलित कर देती हैं।
साफ-सफाई के साथ-साथ चीजों को व्यवस्थित ढंग से रखना भी आपकी आदत में शुमार होना चाहिए। यह नहीं कि किसी खास त्योहार पर ही आप पूरे घर की साफ-सफाई कर रही हैं । चीजों को उठाकर ढंग से रख रही हैं। यह तो आपकी जीवन शैली का एक हिस्सा होना चाहिए। साफ-सफाई तो वर्ष भर चलनी चाहिए।
त्योहारों पर तो सिर्फ घर को सजाने-संवारने का काम होना चाहिए।
इसके लिए जरूरी है कि घर में कुछ भी टूटा-फूटा, आलतू- फालतू सामान इकट्ठा न होने दें। घर में कूड़ा-करकट भरकर न रखें। अक्सर क्या होता है कि कुछ लोग काम न आने वाली चीजों को छत पर या मचान पर उठाकर रख देंगे लेकिन उन्हें घर से बाहर नहीं निकालेंगे। उन पुरानी चीजों के साथ मोह पाले बैठे रहेंगे। घर में ही ऐसे सामान भरते रहेंगे। घर का एक बड़ा कोना ऐसी चीजों से ही भर जाता है।
ये फालतू की चीजें घर में नकारात्मक ऊर्जा पैदा करती हैं जिससे घर की सुख-शांति नष्ट हो जाती है। इसलिए घर में सिर्फ ऐसी ही चीजें हों जो हमारे प्रयोग की हों या सजावटी हों। इन चीजों से स्फूर्ति मिलती है। कभी भी काम न आने वाली चीजों को इकट्ठा करके घर में न रखें। जो भी बेकार हों उन्हें घर से बाहर कर दें।
जिसे आप प्रयोग न करें, उसे आप संजोकर रखेंगी तो क्या फायदा। वह किसी और के प्रयोग आ सकता है तो किसी को दे दें। यदि बिल्कुल बेकार हो तो कबाड़ी वाले को दे दें। घर में वही चीजें रखें जो जरूरत की हों। बेकार चीजें घर में न जुड़ने दें। -शिखा चौधरी