Experiences of Satsangis

चुटकियों में काट दिया भारी कर्म -सत्संगियों के अनुभव -पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज की दया-मेहर

प्रेमी बृजपाल सिंह, निवासी गांव बाफर जिला मेरठ (उत्तरप्रदेश) से अपने भाई श्री सतेन्द्र पर हुई पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज की एक रहमत-भरी घटना का इस प्रकार वर्णन करते हैं:-

अगस्त 1991 की बात है। मेरा भाई सतेन्द्र कहीं घर पर ही कोई काम कर रहा था। अचानक से हमारे भैंसे ने उस पर हमला कर दिया। भैंसे ने सतेन्द्र को अपने सिर से जोरदार टक्कर मारी, जिससे सतेन्द्र नीचे गिर गया। उपरांत उसने सतेन्द्र की छाती पर अपना सिर रख लिया और उसे बराबर टक्कर मारता रहा। इसी बीच आसपास के लोग लाठियां लेकर आए और सतेन्द्र को बचाने के लिए भैंसे को मारने, डराने लगे, ताकि वह सतेन्द्र को छोड़ दे, लेकिन भैंसा अभी भी सतेन्द्र को नहीं छोड़ रहा था। लोगों ने खूब मेहनत-प्रयास करके सतेन्द्र को भैंसे के सिर के नीचे से खींच लिया और भैंसे को भगा दिया। सतेन्द्र के पूरे शरीर पर काफी चोटें लग गई थी। लोगों ने उसे तुरंत मेरठ के अस्पताल में दााखिल करवा दिया।

डॉक्टरों ने उसका चैकअप करके बताया कि उसकी पसलियां और दोनों कूल्हे टूट गए हैं। दोनों गुर्दों ने भी काम करना छोड़ दिया है, जिससे इसका पेशाब रुक गया है और उसका पेट फूल गया है। डॉक्टरों के अनुसार गुर्दों की सफाई करने वाली मशीन तब वहां उनके अस्पताल में नहीं थी और उस मशीन से ईलाज करवाने का खर्चा भी लगभग तीन हजार रूपए प्रति घंटा था। सतेन्द्र की हालत काफी ज्यादा नाजुक बनी हुई थी, तो वहां के डॉक्टरों ने सतेन्द्र को दिल्ली के किसी बड़े अस्पाल में ले जाने की सलाह दी।

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मेरे पास इतना पैसा और अन्य साधन भी नहीं थे। मैं परेशान और निराश होकर बाहर बैंच पर आकर बैठ गया और अपने दयालु सतगुरु पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज से प्रार्थना करने लगा कि हे सतगुरु जी, आप ही बचाएं तो बचाएं, मेरे वश की बात नहीं है जी। मैं इन्हीं प्रार्थनाओं से जुड़कर पूजनीय सतगुरु जी के चरणों में अपने ध्यान का प्रयास कर रहा था। अचानक दयालु दातार जी ने मुझे अंदर से ख्याल दिया कि ‘बेटा, अंदर जाकर देख तो सही।’ इससे मुझे तसल्ली हुई और सतगुरु जी के हुक्मानुसार अस्पताल में सतेन्द्र के पास गया। मैंने उसे पवित्र नारा ‘धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ बोलने को कहा। जैसे ही सतेन्द्र ने नारा बोला तो एकदम उसके चेहरे के भाव बदलने लगे।

वह काफी सन्तुष्ट दिखने लगा और वह मुझे काफी ठीक दिखने लगा। मैने भी उसकी हिम्मत और बढ़ाने के लिए उसे सब बता दिया कि अब अपने को चिन्ता करने की जरूरत नहीं है। पूज्य सतगुरु जी ने अपनी विनती मंजूर कर ली है। मुझे अब पिताजी ने ही अन्दर तेरे पास भेजा है। तू फिक्र न करना, पिताजी पर भरोसा रख, तू जल्दी स्वस्थ हो जाएगा। इसके उपरान्त मैं पिताजी के दिए गए ख्याल अनुसार डॉक्टरों से मिला और उन्हें दोबारा से सतेन्द्र का चैकअप करने की गुहार लगाई। पहले उन्होंने मुझे मना कर दिया कि सारी रिपोर्ट्स आपके सामने हैं, ऐसे बिना इलाज क्या बदलाव आएगा!

मगर मेरे बार-बार कहने पर वो मान गए। यहाँ ये भी बताना जरूरी है कि सतेन्द्र के नारा लगाते ही पेशाब वाली समस्या तो चैकअप से पहले ही ठीक हो गई थी और जब सारे चैकअप दोबारा हुए तो वो सब डॉक्टर भी दंग रह गए। पहले वाली और अब वाली रिपोर्ट्स में जमीन-आसमान का फर्क था। जो डॉक्टर कुछ देर पहले मुझे सतेन्द्र को दिल्ली के किसी बड़े अस्पताल में ले जाने की सलाह दे रहे थे, उन्होंने ही तुरन्त उसका उसी अस्पताल में ही इलाज शुरू कर दिया।

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कुछ दिनों तक ही उसका वहाँ इलाज चला और सच्चे शहनशाह, सोहणे दातार जी की रहमत से सतेन्द्र अपने पैरों पर खड़ा हो गया और चलने फिरने लगा। वह अपने सारे काम स्वयं करने लगा, जिसे देखकर सब डॉक्टर और आसपास के लोग बहुत हैरान थे कि इसे तो आपके बाबा जी ने ही बचा लिया। मालिक-सतगुरु जी ने अपनी दया-मेहर से हमारी सभी परेशानियों को अपने पावन आशीर्वाद से ‘यूं’ चुटकियों में ही हल कर दिया।

मालिक-सतगुरु जी के परोपकारों का ऋण किसी भी तरह से चुकाया नहीं जा सकता। हम तो बस अपने दाता जी का शुक्राना ही कर सकते हैं, धन्य-धन्य ही कह सकते हैं। पूजनीय परमपिता जी के मौजूदा प्रकट स्वरूप संत डॉ. एमएसजी (पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां) के पावन चरण-कमलों में हमारे पूरे परिवार की यही अरदास है कि सतगुरु जी, हमारे परिवार को सेवा-सुमिरन, परमार्थ का बल बख्शना जी। हमारा विश्वास आप जी के प्रति ता-जिंदगी बना रहे जी।