जब मां बेटे की शादी करती है तो वह खुशी से फूली नहीं समाती परन्तु कुछ समय बाद यह खुशी मुरझाने लगती है।
प्राय:
शिकायतें होती हैं कि बहू सास की इच्छाओं के अनुकूल नहीं निकली, दान-दहेज उनकी हैसियत से कम लाई है, काम में अपेक्षाकृत कम मदद करती है। उतना सम्मान उनको और उनके परिवार वालों को विवाह के समय नहीं दिया गया, बहू नौकरी वाली होने के कारण परिवार को पूरा समय नहीं देती, आते ही सब कुछ संभाल लिया है आदि। फिर भी इस आदर्श रिश्ते की मर्यादा को बनाए रखने के लिए कुछ आधारभूत आवश्यक बातें हैं जो ध्यान देने योग्य हैं।
इन्हें अवश्य अपनाएं।
- बहू पर अधिक अंकुश न लगाएं। मायके आने-जाने पर किसी प्रकार की रोक टोक न करें। बहुत अधिक जाने पर प्यार से ही समझाएं।
- मायके के रिश्तों को निभाने की सीमित छूट अवश्य दें।
- छोटे-मोटे कामों में बहू की सहायक बनें।
- बहू को अपने परिवार के खान-पान के बारे में समझायें और उसके द्वारा बनाये गए भोजन की आलोचना न करें। अच्छे भोजन की प्रशंसा करने में कंजूसी न करें।
- कभी-कभी पूरी रसोई उस पर छोड़ें। उसे भी हक है कि वह अपनी पसंद का खाना बनाएं।
- बहू पर बेवजह रौब न जमाएं। उस पर शासन करने की बजाय मित्रवत व्यवहार करें।
- परिजनों के सामने बहू की कमियों और स्वभाव का रोना मत रोएं।
- बहू द्वारा की गई गलती को बार-बार अन्य लोगों के समक्ष न दोहराएं। प्यार से समझा कर सुधरने का मौका दें।
- बहू बेटे के घूमने जाने पर स्वतंत्रता में बाधक न बनें। यह आवश्यक नहीं कि जब भी वे जायें, आपको या परिवार के किसी सदस्य को हमेशा साथ लेकर ही जाएं। कभी-कभी उनकी खुशी के लिए आप उनके साथ जा सकते हैं।
- परिवार की जिम्मेदारियों को अन्य परिवार के सदस्यों के साथ या मायके वालों के साथ कैसे निभाएं, उसकी जानकारी बहू को अवश्य दें। कुछ उसकी भी सुनें।
- पारिवारिक रीति रिवाजों की क्या मान्यताएं हैं, उनकी जानकारी शान्तिपूर्वक दें। यदि बहू किसी परिस्थिति वश उन्हें पूरा नहीं कर पाती या उन्हें परंपरानुसार नहीं करती तो उस पर थोपें नहीं।
- बहू के परिजनों को पूरा सम्मान दें। बहू के सामने उनके मायके वालों को बुरा भला मत कहें।
- बहू के सामने उनके मायके के रीति रिवाजों का मजाक न उड़ाएं।
-नीतू गुप्ता