कुल दुनिया में एक हकीकत है सच्चा सौदा -74वां रूहानी स्थापना दिवस मुबारक!-2
सच्चा सौदा नाम है सच्चाई का। सच्चा सौदा नाम है अल्लाह, वाहेगुरु, राम, गॉड की भक्ति-इबादत का। ऐसी भक्ति, ऐसी इबादत कि जिसमें कुछ देना नहीं पड़ता। सच्चा सौदा देता ही देता है, लेता किसी से कुछ भी नहीं।
न दान, न चढ़ावा, न किसी के पांव दबाना, न ही कोई पाखण्ड या ढोंग करना है। राम-नाम जपना पराया माल कभी न तक्कना।
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पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज जिन्होंने ये सच्चा सौदा बनाया, सच्चा सौदा की स्थापना की, उन्होंने दुनिया को अव्वल दर्जे की सीख दी है।
‘अपना राम जपना,
अपने राम की गंढ कपना,
पराया माल कभी न तक्कना।’
अपना राम, मतलब जन्म-मरण की फाही मुकाने वाला वो ‘जिन्दा राम’ है। वो मोया राम नहीं है। जब बुलाओ वो बोलेगा, खट-खटाओ दरवाजा (दरगाह का दरवाजा) खुलेगा। जिस टाइम और जहां भी कोई उसे याद करता है, खाते समय, काम-धंधा करते समय, सोते समय, चलते, लेटके, बैठके बल्कि सच्चे सार्इं जी ने तो यहां तक भी वचन किए कि टट्टी-पेशाब याानि रफा-हाजत के समय भी अगर उसकी याद आती है, ‘नाम न मैला होए’, वो राम-नाम वहां भी अपने नूर-ए-जलाल की खुशियों से उसे मालमाल कर देता है। एक सूफी फकीर शाह हुसैन जी ने भी यही फरमाया है:- ‘शाह हुसैन गधा, जिस हंगदेयां रब्ब लद्धा’। है कोई इससे आसान मार्ग? है कोई इससे सस्ता सौदा? ‘हिंग लगे न फिटकरी रंग चोखा आवे।’ हकीकत को देखना है तो आइए सच्चा सौदा में। यहां वो कुछ, वो एक हकीकत, अल्लाह-राम की असलियत देखने को मिलेगी कि जिसकी कल्पना भी नहीं हो सकती।
29 अपै्रल का दिन डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण, अति सौभाग्यशाली दिन है। 29 अपै्रल 1948 को पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने अपने मुर्शिदे-ए-कामिल पूज्य सार्इं सावण शाह जी के हुक्मानुसार सरसा के नजदीक डेरा सच्चा सौदा की नींव रखकर मालिक के सच्चे नाम के साथ-साथ सर्व धर्म संगम, सर्व धर्म सांझी वालता का प्रत्यक्ष प्रमाण दुनिया के सामने रखा है। पूज्य बेपरवाह जी ने इस बागड़ क्षेत्र में मालिक-सतगुरु के प्यार से वंचित लोगों को अपने अलौकिक नजारे दिखा-दिखा कर राम-नाम से जोड़ा मालिक के प्यार मोहब्बत का ज्ञान करवाया और अपने रूहानी रंग से सराबोर किया। 29 अपैल 2007 को पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने ‘जाम-ए-इन्सां गुरु का’ की शुरुआत की।
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एक महान चमत्कार
पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज बिलोचिस्तान से, जोकि अब पाकिस्तान में है, जबकि पहले महा हिन्दुस्तान का हिस्सा था, हमारे लिए, जीव-प्राणियों, रूहों के उद्धार के लिए जगत मे पधारे। ईश्वरीय कानून के अनुसार आप जी ने डेरा ब्यास (पंजाब) में पूजनीय हजूर बाबा सावण सिंह जी महाराज को गुरु, सतगुरु, अल्लाह, मालिक के रूप में पाया। आप जी ने अपने अंदर के सच्चे व प्रबल ईश्वरीय प्यार, सच्चे त्याग से अपने सतगुरु-मौला, हजूर बाबा जी को इतना मोहित कर लिया कि पूज्य बाबा जी आप जी के पीछे-पीछे (जब आप जी अपने मुर्शिद के प्यार में उनके सामने सच्चा मुजरा करते) ऐसे फिरते जैसे गाय अपने बछड़े के मोह में फिरती है और साथ-साथ में अपने पावन वचनों की बौछार आप जी पर करते। ‘मस्ताना शाह तुझे अंदर वाला राम दिया, जो तुम्हारे सब काम करेगा।
मस्ताना शाह! जा तुझे हमने अपना स्वरूप दिया। तुझे ऐसा सौदा दिया, जो कभी खुटेगा नहीं।’ पूज्य बाबा जी ने आप जी के लिए बख्शिश के जो वचन किए, आज तक इतिहास में शायद ही कोई मिसाल मिलती हो। जा मस्ताना शाह! तुझे बागड़ का बादशाह बनाया। जा बागड़ को तार। बागड़ तुम्हारे सुपुर्द किया। कुटिया (डेरा) बना, दुनिया को राम का नाम जपा। जिसको भी नाम देगा इक्क लत इत्थे, दुजी सचखण्ड विच। उसकी रूह सीधे सचखण्ड में होगी। वो रूह कभी जन्म मरण में नहीं भटकेगी।
दुनिया व इन्सानियत की भलाई के लिए पूज्य सार्इं जी ने अपने मुर्शिदे-ए-कामिल बेपरवाह सार्इं सावण शाह जी की इन्हीं बख्शिशों में ‘धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ नारा भी साध-संगत के लिए बख्शिश रूप में मंजूर करवाया। कि ‘मस्ताना शाह! तुम्हारा धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा दोनों जहां में मंजूर किया।’ नारा भी कोई ऐसा वैसा नहीं। सच्चे दिल से जिसने भी कभी और कहीं भी पूरा नारा लगाया, नारे में इतनी रब्बी बख्शिश है कि नारे ने उसे मौत के मुंह से ऐसे निकाल लिया जैसा मक्खन से बाल निकालते हैं। आए कष्ट को महसूस तक नहीं होने दिया। एक दो नहीं, अनेकों-अनेक उदाहरण इस सच्चाई से रू-ब-रू करवाते है।
सच्चा सौदा की स्थापना (जंगल में मंगल किया)
अपने प्यारे मुुर्शिदे-ए-कामिल सार्इं सावण शाह जी की बख्शिशों के अनुरूप पूज्य बेपरवाह मस्ताना जी महाराज ने सरसा के नजदीक 29 अपै्रल 1948 को एक विरान सी जगह में एक छोटी सी कुटिया बनाई और उसका नामकरण किया, उसका नाम रखा ‘सच्चा सौदा।’ सच, अल्लाह-मालिक, वाहेगुरु, राम, गॉड, खुदा, रब्ब और सौदा उसी सच्चे रब्ब का नाम जपना, अल्लाह-राम की बंदगी करना। सार्इं जी ने सच्चा सौदा शुरू किया और देखते ही देखते यहां जंगल में मंगल हो गया। राम-नाम की भक्ति की खुशबू धीरे-धीरे चारों दिशाओं में, सभी द्वीपों, दसों दिशाओं में इसकी महक अनुभव की जाती है। पूरे विश्व में आप जिधर भी जाएं सच्चा सौदा का नाम आज सभी महा द्वीपों में गूंज रहा है।
स्वयं शाह मस्ताना जी महाराज के यह वचन हैं:-
‘इत्थे लहिंदा झुकेगा, चढ़दा झुकेगा, झुुकेगी दुनिया सारी, कुल आलम इत्थे झुकेगा’ और पूज्य सार्इं जी के वचनों की वास्तविकता को आप पावन भण्डारों में एकत्रित साध-संगत के विशाल जन समूह से अंदाजा लगा सकते हैं।
पूज्य बेपरवाह जी का यह सच्चा सौदा रूपी वो नन्हा-सा पौधा आज इतना बड़ा बरगद का पेड़ रूप (वट-वृक्ष) बन गया है जो पूरी दुनिया को अपने पावन आंचल में संजोय हुए है। पूज्य सार्इं जी ने यह सच्चा सौदा सर्व-धर्म संगम बनाया है। चाहे कोई किसी भी धर्म-जात का है, सब लोग हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई हम सब हैं भाई-भाई की जीवित मिसाल है।
सच्चा सौदा में, यहां सब एक जगह पर इकट्ठे बैठकर अपने-अपने अल्लाह-मालिक को अपने-अपने धर्माें अनुसार याद करते हैं, उसकी भक्ति-इबादत बिना किसी रोक-टोक के करते हैं। राजा-रंक, अमीर-गरीब, सबके लिए सांझा है सच्चा सौदा। सच्चा सौदा में सब धर्मोें का बराबर सत्कार है, सबका स्वागत है। पूज्य सार्इं जी ने यह सच्चा सौदा, ये डेरा सच्चा सौदा ऐसा सर्व-धर्म प्रिय, सर्व-धर्म संगम बनाया है कि सभी धर्माें के लोग यहां एक ही जगह इकट्ठे बैठकर अपने धर्म-ईष्ट के अनुसार अल्लाह, वाहेगुरु, मालिक का नाम ले सकते हैं, भक्ति-इबादत कर सकते हैं, कोई रोकटोक नहीं है। सच्चा सौदा यह ही एक ऐसा पवित्र दर है जहां लोग बिना झिझक, बिना किसी संकोच के राम-नाम की भक्ति में एक जगह इकट्ठे बैठते हैं।
डेरा सच्चा सौदा को स्थापित हुए आज 74 वर्ष पूरे हो चुके हैं। पूज्य मौजूदा गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणा से यह दिन डेरा सच्चा सौदा में रूहानी स्थापना दिवस के नाम से बहुत बड़े भण्डारे की तरह बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। रूहानियत व इन्सानियत का संगम डेरा सच्चा सौदा पूज्य गुरु जी की पावन प्रेरणा पर चलते हुए दिन दौगुनी रात चौगुनी, कई गुणा दिन-रात तरक्की कर रहा है।