Chakki Chalanasana

चक्की चलासन: योग में चक्की का महत्व Chakki Chalanasana

तनाव और एंग्जायटी की समस्या में चक्की चलासन का अभ्यास फायदा कर सकता है। चक्की चलासन के नियमित अभ्यास से शरीर में हैप्पी हारमोन्स रिलीज होते हैं, जिससे तनाव और चिंता में कमी आती है और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

जहाँ पेट का सवाल आता है, वहाँ चक्की का नाम आता है। यहाँ बात हो रही है रोटी की। एक रोटी को बनाने के लिए पहले गेहूँ को चक्की में पीसना पड़ता है, फिर आटा बनता है। आधुनिक युग मेेंं तो इलैक्ट्रोनिक मशीनों से गेहूँ पीसा जाता है, पर पहले जमाने में महिलाएं चक्की पर पूरा-पूरा दिन पसीना बहाकर गेहूँ पीसती थी। आपको ये बता दें कि उन महिलाओं ने सरवाईकल, कमर दर्द, गठिया, जोड़ों का दर्द या घुटनों के दर्द का कभी ज़िक्र नहीं किया। जी हां! इस उदाहरण से आप चक्की के महत्व को सम­झ सकते हैं।

चक्की चलासन:

चक्की चलासन शब्द योग में संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ है चक्की-मिल या पीसना। और चलन- मंथन या ड्राईव। चक्की अपने आपमें बहुत बड़ा व्यायाम है। इसे अच्छे से गर्म होकर (वार्म अप) किया जाए, तो बहुत ही लाभदायक है। आप घर पर ही रहकर अपने-आपको स्वस्थ व तंदुरुस्त रख सकते हैं। आजकल पेट बढ़ने की समस्या बहुत ही चिंता का विषय बनी हुई है, इसमें चक्की चलासन रामबाण का काम करता है।

चक्की चलासन करने की विधि:-

  • धरती पर बैठकर शारीरिक क्षमता के अनुसार टांगें खोलें।
  • दोनों हाथों को एक साथ मिलाकर मुट्ठी बनाएं।
  • आगे की तरफ ­झुकते हुए दाएं पैर को मुट्ठी से छूने की कोशिश करें। अगर हाथ नहीं पहुँच पाते तो जबरदस्ती न करें।
  • धीरे-धीरे दाएं पैर से हाथ घुमाते हुए बाएं पैर की तरफ लेकर जाएं।
  • बाएं पैर से हाथों को पेट की तरफ लेकर आएं।
  • यहाँ आप कमर सीधी रख सकते हैं या हल्का-सा पीछे की तरफ भी कमर को ­झुका सकते हैं।
  • अब पेट से होते हुए फिर हाथ पैरों की तरफ लेकर जाएं। यह एक चक्र हो गया।
  • इस तरह 10-20-30-40—100 तक रीपिट कर सकते हैं।
  • अब बाएं से दाएं तरफ हाथ घुमाएंं। जितनी बार दाएं से बाएं तरफ किया है, उतनी ही बार बाएं से दार्इं ओर भी करना है।
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Chakki Chalanasana लाभ:-

  • बुढ़ापे के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
  • वजन कम करने में मदद करता है।
  • पेट, कमर व पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
  • जोड़ों के दर्द को कम करता है, इसलिए ये गठिया, साइटिका व अर्थराइट्रस में भी लाभदायक है।
  • हाथ, पैर और पीठ के दर्द को कम करने में मदद करता है।
  • पाचन क्षमता को दुरुस्त करने में मदद करता है।
  • प्रजनन अंगों को मजबूत करता है।
  • शरीर में रक्त परिसंचरण बढ़ाता है।
  • मासिक धर्म से संबधित समस्याओं और दर्द को कम करने में सहायक है।
  • मन को शांत व संतुलित करने में सहायक है। दैनिक टेंशन से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।
  • नींद की समस्याओं को दूर करता है।
  • अगर इसे नियमित रूप से दिनचर्या में शामिल कर लें, तो भविष्य में साईटिका, पीठ दर्द व जोड़ों के दर्द से जू­झना नहीं पड़ेगा।

Chakki Chalanasana सावधानियाँ:

  • गर्भवती महिलाओं को ये आसन नहीं करना चाहिए।
  • स्लिप डिस्क या पीठ में गंभीर दर्द की स्थिति में इसे न करें।
  • माइग्रेन व सिरदर्द की समस्या है तो डॉक्टर से सलाह लें।
  • पेट की सर्जरी हुई है तो न करें।

पूज्य गुरु जी ने सत्संगों में पहले जमाने की महिलाओं की तरफ इशारा करके बताया है कि ‘पहले माता-बहनें जो चक्की चलाती थी, उन्हें बहुत स्ट्राँग माना जाता था। क्योंकि चक्की चलाने से पूरे शरीर की वर्जिश (कसरत) हो जाती है।’ स्ट्रैंथ के लिए, पेट व वेट कम करने के लिए पूज्य गुरु जी ने इसे सर्वोत्तम आसन बताया है।