न होने दें रीढ़ की हड्डी को नुकसान
हमारी गलत जीवनशैली से जुड़ी जो समस्याएं अब बाहें पसारे लोगों को अपने आगोश में धीरे धीरे जकड़ती जा रही हैं, उनमें रीढ़ की हड्डी भी है। अधिक देर तक बैठकर काम करना या अधिक समय तक खड़े होकर काम करना हमारी रीढ़ पर प्रभाव डालता है जिसका परिणाम पीठदर्द के रूप में सामने आता है।
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आइए ध्यान दें अपनी गलत आदतों को, जिन्हें सुधारकर हम शारीरिक लाभ ले सकते हैं।
गलत स्थिति में उठना-बैठना और सोना
हमारे गलत तरीके से उठने-बैठने और सोने से हमारी रीढ़ पर प्रभाव पड़ता है जो हमारी पीठदर्द का कारण बनता है। हमारी मांसपेशियों और जोड़ों का लचीलापन खत्म होता है। हमें अपनी रीढ़ को सही रखने के लिए सही ढंग से सोना, उठना व बैठना चाहिए। रीढ़ की हड्डी को सहारा देने वाली मांसपेशियों और स्रायुतंत्र पर अधिक दबाव न पड़े, इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
अगर हम अपने सिर व कंधे को भी गलत स्थिति में अधिक देर तक रखते हैं वह भी रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचाता है। अधिक देर तक बैठकर काम करने वालों को अपनी रीढ़ को कुर्सी की बैक का पूरा सपोर्ट लेना चाहिए। इस प्रकार ड्राइविंग करते समय या गाड़ी में लंबे समय तक बैठने के लिए रीढ़ को सीट के साथ सटाकर बैठना चाहिए ताकि रीढ़ की हड्डी सीधी रहे।
मोटापा:-
असक्रिय जीवनशैली हमें मोटापे का शिकार बनाती है जिसका प्रभाव रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है। कई शोधों से ज्ञात होता है कि जो लोग नियमित रूप से शरीर को सक्रिय नहीं रखते चाहे व्यायाम द्वारा या घर के काम द्वारा उन्हें पीठ दर्द की शिकायत ज्यादा रहती है, इसलिए आलसी न बनें और अपने शरीर को सक्रिय रखें ताकि रीढ़ और शरीर स्वस्थ बना रहे और मोटापा भी दूर रहे।
धूम्रपान न करें:-
सिगरेट में मौजूद निकोटिन रीढ़ की हड्डी के आस पास के रक्तप्रवाह को बाधित कर देता है। इससे कमर-दर्द की शिकायत होने लगती है। धूम्रपान शरीर को हर प्रकार से हानि पहुंचाता है।
नीचे से सामान उठाने का गलत तरीका:-
अधिकतर लोग नीचे से सामान उठाने पर अपने घुटनों को मोड़ने के स्थान पर कमर को मोड़ते हैं जिसका सीधा प्रभाव हमारी रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है। सामान उठाते समय घुटनों को भी मोड़कर आगे झुकें और सामान उठाएं। इसी प्रकार सामान नीचे रखते समय भी घुटनों को मोड़ कर रखें।
हील और गलत साइज के जूते:-
हील वाली चप्पल, जूते आगे से पंजों पर दबाव डालते हैं जिसका प्रभाव रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है, शरीर का संतुलन भी खराब होता है। इसी प्रकार छोटे या बड़े साइज के जूते चप्पल भी पीठदर्द की समस्या बढ़ाते हैं। अपने पैरों को आराम देने के लिए सही साइज के आरामदायक जूते-चप्पलें पहनें। जूतों के साथ मौजे अवश्य पहनें इससे पैरों को रगड़ नहीं लगती।
कमर और कंधे पर लटकने वाले भारी बैग:-
कंधे कमर पर भारी बैग लटकाने से सीधा प्रभाव पीठ पर पड़ता है, विशेषकर जब हम उस बैग को गलत तरीके से उठाते हैं। एक कंधे पर बैगपैक उठाने से कंधे और रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है। जब भी बैगपैक उठाएं, हमेशा दोनों कंधों पर टांगें और बैग में अनावश्यक सामान न डालें।
कैफीन का अधिक सेवन न करें:-
कॉफी और सोडे में मौजूद कैफीन शरीर की कैल्शियम एब्जार्ब करने की क्षमता को घटाता है। इससे हमारी हड्डियों की डेंसिटी प्रभावित होती है। कैल्शियम का सेवन करें। सॉफ्ट ड्रिंक्स और कॉफी का सेवन कम से कम करें।
उचित आराम न करना:-
छोटे-मोटे दर्द को नजरअंदाज करने से दर्द बढ़ जाता है। आम लोगों में यह धारणा होती है कि थोड़े दर्द में या सहनीय दर्द में आराम क्या करना, काम पूरा कर आराम करेंगे, यह सोच गलत है। थोड़ी तकलीफ होने पर उचित आराम करें और काम कम करें। हर बार आराम करना संभव नहीं पर जब समय मिले, लाभ जरूर उठाएं। मांसपेशियों में दबाव को कम करने के लिए पैरों को थोड़ा ऊपर कर लेटें।
मोबाइल फोन का अधिक प्रयोग:-
एक अध्ययन के अनुसार मोबाइल फोन पर मैसेज पढ़ने और करने से रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है। अधिक मोबाइल फोन का प्रयोग करने से स्पाइन का नेचुरल कर्व बिगड़ सकता है जिससे उस हिस्से पर अत्यधिक दबाव बढ़ जाता है। मैसेज करने और पढ़ने पर और सर्च करने पर गर्दन आगे की ओर झुकती है जो रीढ़ को प्रभावित करती है। मोबाइल का प्रयोग जरूरत पड़ने पर करें और पाश्चर का पूरा ध्यान भी रखें।
नापसंद काम करने पर:-
शोधकर्ताओं के अनुसार जो लोग नौकरी में अपनी पसंद का काम नहीं करते, वे खुश नहीं रहते। ऐसे लोगों को पीठ दर्द की समस्या आम लोगों से ज्यादा होती है। ऐसा शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक कारणों से होता है।
व्यायाम के गलत तरीके:-
व्यायाम वैसे तो हमारे स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है पर कई बार हमारा व्यायाम करने का तरीका गलत होने पर या जरूरत से ज्यादा व्यायाम करने पर परेशानी हो सकती है। जैसे ज्यादा वेट उठाने से रीढ़ की हड्डी पर प्रभाव पड़ता है। जिम में ज्यादा साइकिलिंग करने से पीठ व गर्दन पर प्रभाव पड़ता है, क्योंकि इस दौरान हमारी पीठ आगे की ओर झुकी रहती है।