don't make board exam a hovva

बोर्ड एग्जाम को न बनाएं हौव्वा
यह मौसम एग्जामिनेशन मौसम है। बस बोर्ड शुरू होने में कुछ ही समय बाकी है। इस मौसम का लुत्फ सबको उठाना पड़ता है। कुछ ने पहले उठाया, कुछ उठा रहे हैं, कुछ कुछ सालों के बाद उठायेंगे।

जब मजा उठाना ही है तो गुमसुम क्यों रहो। थोड़ी मौज मस्ती, बाकी लगन से पढ़ाई, बस दे डालो बोर्ड एग्जाम। इसको हौव्वा न मानो, न ही माता पिता को चाहिए कि वे बच्चों को बोर्ड का डर देते रहें।

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बस इतना ध्यान रखें कि बच्चे पूरी मस्ती में न रहें, दिन भर में 6 से 8 घंटे मन लगाकर पढ़ लें।

एग्जाम की तैयारी के लिए बच्चों को चाहिए कि वे अपनी ईटिंग हैबिट्स, सोने की आदतें, शारीरिक फिटनेस पर भी ध्यान दें। केवल पढ़ाई को ही संगी साथी न बनाएं। यदि बच्चे पौष्टिक नहीं खाएंगे और पूरी नींद नहीं लेंगे तो बीमार पड़ जाएंगे। इसलिए पढ़ाई के साथ इन आदतों में भी सुधार लाएं।

सही डाइट का चुनाव करें:-

बच्चों और माता पिता को चाहिए कि पढ़ने वाले बच्चों के खानपान पर विशेष ध्यान दें। बच्चों का चुनाव खाने के प्रति गलत हो तो उन्हें समझाएं कि इनसे सेहत पर प्रभाव पड़ सकता है। नींद आ सकती है, शरीर सुस्त बन सकता है। बच्चों को फ्रेश फ्रूट्स और वेजीटेबल्स दें ताकि उन्हें पूरी ऊर्जा मिल सके क्योंकि फ्रूट्स और सब्जियां आसानी से पच जाती हैं। शरीर हल्का महसूस करता है। मन एकाग्र रहता है। ज्यादा स्पाइसी और फ्राइड खाना बच्चों में आलस्य भरता है। चाकलेट, चाय, काफी, साफ्ट ड्रिंक्स का सेवन न करें। सब्जियों का सूप और फ्रेश फ्रूट जूस ले सकते हैं।

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दु:खी दोस्तों से दूरी रखें:-

कुछ दोस्त ऐसे होते हैं जो हमेशा अपना रोना रोते रहते हैं कि मुझे यह नहीं आता, मैंने यह याद नहीं किया, अभी मेरा सारा सलेबस रहता है। मैं क्या करूं। ऐसे दोस्तों से दूरी बना कर रखें। वे स्वयं भी तनाव में रहते हैं और दूसरों को भी तनाव देते हैं। ऐसे दोस्तों के फोन अटैंड न करें, कभी करना भी पड़े तो हल्की फुल्की बातें कर फोन जल्दी समाप्त करें। यह समय पढ़ने का है न कि औरोें की तनाव भरी बातें सुनने का।

नजर अंदाज न करें आंखों को:-

एग्जाम डेजÞ में आंखों से बहुत काम लेना होता है क्योंकि बुक्स पढ़ते समय, लिखते समय आंखों पर स्ट्रेन रहता है पर ध्यान दें कि जब भी आंखों में तनाव महसूस हो या थकान हो, ऐसे में आंखों को आराम दें। कुछ समय आंखें बंद कर आराम करें, आंखों पर गुलाब जल से भीगे रूई के फाहे रखें, खीरे के गोल टुकड़े आंखों पर रखें। पढ़ते समय रोशनी का ध्यान रखें। मेज कुर्सी पर बैठ कर पढेंÞ, लेटकर न पढ़ें। स्लीपिंग पोस्चर में पढ़ने से आंखों पर कुप्रभाव पड़ता है। सही पोस्चर में बैठ कर पढ़ें।

नींद पूरी लें:-

अभी सलेबस पूरा नहीं हुआ तो रात भर पढ़ते रहें, ऐसा कभी न करें क्योंकि ऐसा करने से आप बीमार पड़ सकते हैं। एग्जाम के लिए जितना पढ़ना जरूरी है, उतना स्वस्थ रहने के लिए सोना भी जरूरी है। नींद से समझौता बिलकुल न करें। कुछ बच्चे रात्रि देर तक पढ़ते हैं। उन्हें सुबह कुछ देर से उठना चाहिए। 6 घंटे की नींद कम से कम लें। यदि आप जल्दी सो जाते हैं तो प्रात: जल्दी जाग कर पढ़ सकते हैं और दिन में 1 घंटा आराम कर लें। कई बार रात्रि देर तक पढ़ने के बाद आसानी से नींद नहीं आती। दिमाग पढ़ाई में उलझा रहता है। ऐसे में आप अपनी बुक्स संभालें। थोड़ा कमरे में टहलें, भगवान को याद करें, पानी पिएं, टायलेट जाएं फिर आकर सोएं। नींद आसानी से आ जाएगी।

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आउटडोर गेम्स में भाग लें:-

घर में कई बार लगातार पढ़ते पढ़ते बच्चा बोर हो जाता है। ऐसे में बोरियत दूर करने के लिए मोहल्ले के मित्र के साथ थोड़ा बैडमिंटन, क्रि केट खेल लें ताकि दिमाग फ्रेश हो जाए। चाहें तो दिन में आसपास की मार्केट में एक चक्कर लगा आएं। मम्मी के लिए रोजमर्रा की चीजों की खरीदारी कर उनकी मदद कर सकते हैं। पास के पार्क में एक दो चक्कर लगा कर प्रकृति का आनन्द लेकर फ्रेश हो सकते हैं। बीच में थोड़ा मन पसन्द टीवी एकाध घंटा देख सकते हैं। अपनी बालकनी में खड़े होकर पक्षियों की चहल कदमी सुन सकते हैं। इन सब कामों से आप अपने को तरोताजा कर सकते हैं।

पॉजिटिव सोच रखें:-

पॉजिटिव सोचें, मैं तो इतना कोर्स आज आसानी से कर सकता हंू। अपनी अच्छी बातों को ध्यान में रखें। अपने अच्छे काम ध्यान में रखें। इन सबसे मूड भी अच्छा रहेगा और पढ़ाई भी होगी।

एग्जाम को बर्डन न समझें:-

बोर्ड एग्जाम को एक नॉर्मल तरह से लें। स्कूल में भी आप एग्जाम तो देते हैं। बस अंतर इतना है कि दूसरे स्कूल में दूसरे टीचर्स के बीच में परीक्षा देनी होती है। यदि इसे नॉर्मल लें तो बोर्ड फीवर दूर हो सकता है। बस अपना सलेबस कंप्लीट करें और लिखने का प्रयास करें। उन दोस्तों से दूरी रखें जो एग्जाम को बहुत बड़ा बोझ समझते हैं। उनके साथ एग्जाम की चर्चा न करें।

विशेष ध्यान दें माता-पिता भी:-

बच्चों में विश्वास रखें। बच्चों के आस पास रहें ताकि उन्हें उत्साह मिलता रहे। बच्चों की डाइट पर ध्यान दें। तुलना न करें। बहुत उम्मीदें न पालें। पहले अपने बच्चों की क्षमताओं को समझें। खाने में बच्चों की पसन्द का भी ध्यान रखें। जब बच्चे डिप्रेस फील कर रहे हों, उन्हें उत्साहित करें। नेगेटिव बातें न करें। समय समय पर पढ़ाई के बारे में टच में रहें। घर का वातावरण कूल रखें। बच्चों में एग्जाम का हौव्वा न बैठाएं।

बच्चे भी ध्यान दें अपनी एकाग्रता पर:-

  • बच्चों को अपना मन पढ़ाई के समय एकाग्र रखना चाहिए। उसके लिए डीप ब्रीदिंग करें। अनुलोम विलोम प्राणायाम का सहारा लें। वज्रासन में कुछ समय बैठें।
  • ओम ध्वनि का उच्चारण करें।
  • जब थकान अधिक महसूस हो तो शवासन या शिथिलासन में विश्राम करें।
  • दिन में दो तीन बार हाथ मुंह ताजे पानी से धोएं।
  • प्रतिदिन स्नान कर ताजे वस्त्र पहनें।
  • एक डेढ़ घंटे के अंतराल बाद कमरे में चार छ: चक्कर जरूर काटें ताकि भोजन पच सके और पूरे शरीर में खून का संचार भी ठीक रह सके।
    -नीतू गुप्ता

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