कोटि-कोटि नमन है ‘गुरु-माँ’ तुझे

गुरु-माँ डे (9 अगस्त) पूजनीय माता नसीब कौर जी इन्सां के 85वें जन्म दिन पर विशेष कोटि-कोटि नमन है ‘गुरु-माँ’ तुझे

गुरु-माँ वाक्य ही तू महान है।

यह वाक्य ही सच है कि तुझे महापुरुषों ने भगवान का दर्जा दिया है। वैसे तो संत- महापुरुषों ने हर जननी को भगवान का ऊँचा दर्जा दिया है, परन्तु विशेषकर वो माँ जिसकी पवित्र कोख से खुद भगवान ने संत, गुरु, पीर-फकीर के रूप में अवतार धारण किया है, कितना ऊँचा रूतबा हो जाता है उस माँ-बाप का, जिनका सुपुत्र, जिनका महापुरुषों जैसा बेटा, दुनिया की भलाई के कार्यों को
सफलता की ऊँचाईयों तक ले कर जाता है। पवित्र वाक्य भी है:-

धनु जननी जिनि जाइआ
धनु पिता परधानु।।’

महापुरुषों की वह जननी धन्य कहला जाती है, जिनके सुपुत्र रूहानियत के ऐसे मसीहा लोकाई को तारने, इन्सानियत का भला करने के लिए अपना समूचा जीवन मानवता को अर्पण कर देते हैं। धन्य-धन्य है पूजनीय माता नसीब कौर जी इन्सां, जिन्होंने भगवान स्वरूप पूजनीय गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को अपने बेटे के रूप में जन्म देकर महान गुरु-माँ का दर्जा हासिल किया।

पूजनीय गुरु जी के मानवता हितैषी कामों की लहर को देखकर एक बार पत्रकार सज्जनों ने पूजनीय माता जी से पूछ लिया कि आप जी का बेटा (पूजनीय गुरु जी) इतनेसारे मानवता व समाज भलाई के काम कर रहा है (क्योंकि उन्हीं दिनों में पूजनीय गुरु जी ने समाज कल्याण हित में बड़े सतर पर पौधा रोपण करना, वेश्यावृति व समलैगिंकता के विरूद्ध आवाज उठाई थी और उसके साथ ही शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाना, किन्नरोद्धार, किसानों की खुशहाली इत्यादि अनेक समाज सुधार के कार्यों की मुहिम शुरु की थी।), आप क्या महसूस करते हो तथा इस बारे क्या कहना चाहोगे? तो पूजनीय माता जी ने परमानन्द का अनुभव करते हुए, जिसे शब्दों में नहीं बांधा जा सकता, उत्तर दिया, ‘मेरा बेटा देश व धर्म की खातिर जन-कल्याणकारी कार्य कर रहा है। मेरी कामना है कि खुदा रूपी मेरा बेटा जल्दी दुनिया को सुधारे और जो मुकाम हासिल करना है, उसे पूरा करे। मैं अपने पुत्र की लम्बी आयु की कामना करती हूं।’

धन्य है पूजनीय माता नसीब कौर जी इन्सां और धन्य हैं पूजनीय बापू नम्बरदार सरदार मग्घर सिंह जी, जिन्होेंने अपने इकलौते लाडले सुपुत्र पूजनीय गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को पूरी जवान आयु में (मात्र 23 वर्ष की उम्र में) सृष्टि के कल्याणकारी कारज हित अपने सच्चे मुर्शिद परम पूजनीय परमपिता
शाह सतनाम सिंह जी महाराज के हुक्मानुसार उन्हें अर्पण कर दिया। ऐसी महान गुरु माँ को लख-लख सजदा, कोटि-कोटि नमन है। डेरा सच्चा सौदा में साध-संगत महान गुरु-माँ को समर्पित 9 अगस्त का दिन प्रत्येक वर्ष गुरु- माँ के जन्म दिवस के रूप में धूम-धाम से मनाती है।

जीवन दर्शन:-कोटि-कोटि नमन है ‘गुरु-माँ’ तुझे

पूजनीय माता नसीब कौर जी इन्सां का जन्म 9 अगस्त 1934 को आदरणीय माता जसमेल कौर जी की पवित्र कोख से पूजनीय बापू सरदार गुरदित्त सिंह जी के घर पंजाब के जिला फाजिल्का के गॉव किक्कर खेड़ा तहसील अबोहर में हुआ। पूजनीय माता जी का शुभ विवाह श्री गुरुसर मोडिया जिला श्री गंगानगर(राजस्थान) के परम आदरणीय नम्बरदार सरदार मग्घर सिंह जी से हुआ।

इतने ऊँचे घराने की होते हुए माता जी की नेक व दयालुता की हर गाँव वासी मिसाल देते हुए नही थकता। पूजनीय बापू जी की गरीबों व जरूरतमंदों के प्रति हमदर्दी की भावना को पूजनीय माता जी ने अपना भरपूर सहयोग देकर और बढाया। इस तरह पूजनीय माता जी जहाँ जरूरतमंदों के प्रति हमदर्दी रखते, उनकी हर तरह से मदद करते, वहीं अपने ऊँचे गुणों से पूजनीय बापू जी के घर की अंदरली व बाहरी सुन्दरता को भी चार चाँद लगाए। घर का प्रत्येक कार्य पूजनीय माता जी स्वयं अपने हाथों से ही करते। चाहे पूजनीय माता जी रसोई में होते या माखन-घी निकाल रहे होते, प्रत्येक कार्य इतने कलात्मक व उचित ढंग से करते कि कोई बड़ाई
किए बिना न रह सकता।

सन्तान सुख:

पवित्र कोख तब सौभाग्यशाली हुई, जब अठारह वर्ष के लम्बे इन्तजार के बाद आप जी के घर इक्को एक इक्लौती संतान के रूप में पूजनीय गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने 15 अगस्त 1967 को अवतार धारण किया। पूजनीय बापू नम्बरदार सरदार मग्घर सिंह जी के घर में क्या नहीं था।

इतने बड़े खानदान, जमीन जायदाद के मालिक पूजनीय बापू जी के घर हर सुख- सुविधा थी, परन्तु कमी थी खानदार के वारिस की। पूजनीय माता-पिता जी की सेवा -भक्ति को फल लगे। बेशक लम्बा समय लगा, परन्तु जब समय आया, खुद परमात्मा का नूर आपजी के घर प्रक्ट हुआ।

हालांकि यह सब आदरणीय संत बाबा त्रिवेणीदास जी ने पूजनीय बापू जी को पहले ही बता दिया था कि यह कोई आम बच्चा पैदा नहीं हुआ। खुद परमेश्वर का रूप प्रक्ट हुआ है तथा यह भी बताया कि ये तुम्हारे पास 23 साल तक रहेंगे और उसके बाद मानवता व सृष्टि के उद्धार के लिए उनके पास चले जाएंगे, जिन्होंने इन्हें इस नेक काम के लिए संसार में भेजा है।

यह भी बताया कि तुम्हारे बहुत ऊँचे भाग्य हैं कि परम पिता परमात्मा ने अपने नूर के प्रक्ट होने के लिए तुम्हारे घर को ही चुना है। पूजनीय गुरु जी के बचपन के अद्भुत नूरी खेलोंको पूजनीय बापू जी ने विशेष कर अपने अन्दरूनी रूहानी अनुभवों से निहारा, महसूस किया क्योंकि पूजनीय बापू जी ही अपने लाडले को, जब तक गुरु जी 7-8 साल के नहीं हुए, ज्यादा समय अपने सीने से लगाकर रखा करते थे।

और बताए समय (23 साल की आयु) अनुसार जब अपने से जुदा किया, वह समय भी, हालांकि इस बात से तो पूजनीय बापू जी बहुत सन्तुष्ट थे कि सच्चे मुर्शिदे कामिल परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के इलाही हुक्म को प्रवान चढ़ा रहे हैं, परन्तु इक्लौती लाडली संतान को अपने से अलग करना, भरी जवां उम्र, छोटे-छोटे साहिबजादे-साहिबजादियां, यह दृष्टान्त भी तो अपने अपने आप में एक दर्द से कम नहीं था पूजनीय बापू जी के लिए। पूजनीय माता-पिता जी के लाडले, अखियों के तारे पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां 23 सितम्बर 1990 को डेरा सच्चा सौदा की गुरुगद्दी पर बतौर तीसरे गुरु के रूप में विराजमान हुए।

उसके बाद लगातार सृष्टि, समाज तथा मनवता के उद्धार के लिए जो पुन्य कार्य शुरू किए और उन्हें सफलता पूर्वक जिस अनुपम ढंग से सम्पूर्ण किया।

साध-संगत पूजनीय माता जी को व पूजनीय बापू जी को याद करते हुए कोटि-कोटि नमन करती है। डेरा सच्चा सौदा के करोड़ो श्रद्धालुओं का स्रेह, प्यार, सत्कार पूजनीय माता जी के प्रति और इस अति सत्कार
योग्य पूरे शाही परिवार के प्रति अर्पित है।

आज 9 अगस्त को अति पूजनीय माता नसीब कौर जी इन्सां का 85वां जन्म दिन साध-संगत अपने सतगुरु प्यारे के प्रति अत्यन्त श्रद्धा-विश्वास तथा दृढता के साथ पूरे उत्साह से मना रही है। पूजनीय माता जी और पूरे शाही परिवार को इस शुभ अवसर पर लख-लख सजदा। पूजनीय गुरु जी को प्रणाम, चरण वंदना और सारी साध-संगत को बधाई हो जी।

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