email id -sachi shiksha hindi

email आईडी

एक बार की बात है, अमेरिका में एक व्यक्ति जो कम पढ़ा लिखा था, नौकरी के लिए एक दफ्तर में गया। काम था साफ-सफाई का। इंटरव्यू के बाद उसे एक-दो काम करने को कहा गया। लड़का गरीब था और उसे नौकरी की जरुरत भी थी तो उसने बड़ी ही लगन से वो काम किये।

काम देखने के बाद मालिक ने कहा, ‘शाबाश! मुझे तुम्हारा काम बहुत पसंद आया। मैं तुम्हें ये नौकरी देता हूँ।

तुम अपनी ई-मेल आईडी मुझे दो, मैं तुम्हें अपॉइंटमेंट लैटर भेज देता हूं।’
‘लेकिन सर, मैंने तो ईमेल आईडी बनाई नहीं।’

‘क्यों? आजकल तो सब ई-मेल आईडी बना कर रखते हैं, इसके बिना तो काम ही नहीं चलता।’
‘सर मैं बहुत ही गरीब परिवार से हूं और कंप्यूटर चलाने की मेरी औकात नहीं है। कृपया मुझे इस नौकरी पर रख लीजिये।’

‘देखो, मैं मानता हूँ कि तुम इस नौकरी के काबिल हो लेकिन हम जॉइनिंग ईमेल से ही करवाते हैं। इसलिए तुम जा सकते हो।’ इतना सुन लड़का निराश होकर वहां से निकल गया।

रास्ते में चलते-चलते उसने देखा कि एक औरत सब्जी वाले से टमाटर के बारे में पूछ रही थी और उसके पास टमाटर नहीं थे। औरत बूढ़ी थी और बाजार जा नहीं सकती थी। तभी उसे एक ख्याल आया। उसने अपनी जेब में हाथ डाला तो उसने देखा कि उसके पास 10 रुपए बचे थे। वह तुरंत बाजार गया और 10 रुपए के टमाटर ले आया। उसने वो टमाटर उस बूढ़ी औरत को बेच दिए। कुछ मुनाफा हुआ देख वह दुबारा बाजार गया और कुछ टमाटर और ले आया।

उन टमाटरों को लेकर वह घर-घर गया और उन्हें बेचने की कोशिश की। 2-4 घर घूमने के बाद एक घर में किसी ने टमाटर खरीद लिए। जब उसने ये देखा कि एक बार टमाटर बेचने में उसे 15 रुपए का फायदा हुआ है, तो वह दुबारा गया और फिर से उन टमाटरों को बेच दिया।

उस दिन उसने अगले दिन टमाटर खरीदने के लिए थोड़े पैसे बचा लिए और बाकी के पैसों से खाने का इंतजाम किया। अगले दिन और उस दिन के बाद कुछ और दिनों तक वह इसी तरह टमाटर बेचता रहा। उसका काम काफी बढ़ चुका था। और आगे-आगे यह बढ़ता ही जा रहा था। टमाटर लाने के लिए पहले वह किराये पर गाड़ी लाने लगा। पैसे इकट्ठे कर उसने अपनी गाड़ी ली।

ज्यादा पैसे हो जाने पर उसने एक और गाड़ी ली और उसके लिए ड्राईवर भी रख लिया। ये कोई किस्मत का खेल नहीं था। यह सब उस लड़के की सूझ-बूझ और हिम्मत का परिचय था। कुछ ही सालों में उसने टमाटर के व्यापार से बहुत बड़ा मुकाम हासिल कर लिया था। अब वह एक संपन्न व्यक्ति बन चुका था।

थोड़े ही दिनों में उसकी शादी हो गयी। शादी किए कुछ वर्षों बाद ही उसके घर में बच्चों की किलकारियां गूंजने लगीं। अब उसे किसी भी चीज की परेशानी नहीं थी। सब चीजों से जब वह बेफिक्र हुआ तो उसने सोचा कि अब उसे अपना बीमा करवा लेना चाहिए। इससे यदि उसे कुछ हो गया तो भविष्य में उसके परिवार वालों को आर्थिक तौर पर कोई परेशानी न हो। बीमा करवाने के लिए उसने बीमा एजेंट को फोन किया।

अगले दिन बीमा एजेंट उस व्यक्ति के पास आया। फॉर्म भरते समय सब कुछ भरने के बाद एक कॉलम खाली रह गया। यह कॉलम था ईमेल आईडी का। उस एजेंट ने पूछा,

‘सर आपकी ईमेल आईडी क्या है?’
‘सॉरी, मेरी कोई ईमेल आईडी नहीं है।’
एजेंट को लगा कि वो मजाक कर रहा है।
‘सर क्या मजाक कर रहें हैं आप भी…’

‘नहीं, मैंने कोई मजाक नहीं किया। सचमुच मेरी कोई ईमेल आईडी नहीं है।’

‘सर आपको पता है अगर आपने ईमेल आईडी का उपयोग किया होता तो आपका व्यापार और कितना आगे बढ़ सकता था। आपको पता है आज आप क्या होते?’

‘एक कंपनी में मामूली सफाई वाला।’

इस उत्तर से वो एजेंट स्तब्ध रह गया। उसे कुछ समझ नहीं आया। तब उस व्यक्ति ने उसे अपनी कहानी सुनाई। जिसे सुन एजेंट को ये एहसास हुआ कि इंसान के अन्दर इच्छा हो तो वो कुछ भी हासिल कर सकता है। और इसके लिए जरुरी नहीं कि उसके पास सभी साधन मौजूद हों।

दोस्तो, ऐसे ही परिस्थितियां हमारे जीवन में भी कई बार आती हैं। तब हमें लगता है कि काश अगर ये चीज हमारे पास होती तो आज हम कहीं और होते। लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता। हमें अपना नजरिया बदलने की जरुरत है। हो सकता है वो चीज भगवान ने हमें इसलिए न दी हो कि हम उससे ज्यादा प्राप्त करने के काबिल हों। परन्तु हम ज्यादा पाने का प्रयास न करके मौके तलाशते रहते हैं, जो हमें आगे बढ़ा सके।

एक बार खुद कोशिश तो करो। अपना नजरिया बदल कर तो देखो। उस विचार को अपने मन में तो लाओ। छोड़ दो रोना उस चीज के लिए जो तुम्हारे पास नहीं है और बदल दो दुनिया को उन चीजों से जो तुम्हारे पास है। अगर तुम आज हार नहीं मानोगे तो आने वाला कल तुम्हारा होगा और यदि तुमने आज हार मान ली तो आने वाला कल कभी नहीं आ पाएगा। हालातों को दोष देना छोड़िये। कदम बढ़ाइये।

‘मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं जिनकी जिंदगी सफर में होती है
छोड़ देते हैं जो कारवां अक्सर किस्मतें उन्हीं की सोती हैं।’

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