जब करनी पड़े बारगेनिंग

जब करनी पड़े बारगेनिंग
शापिंग और बारगेनिंग दोनों का चोली दामन का साथ है। शापिंग का शौक अधिकतर महिलाओं को होता है और महिलाएं बारगेनिंग न करें तो शापिंग का मजा उनके लिए अधूरा रहेगा पर कभी-कभी बारगेनिंग महंगी भी पड़ सकती है या बारगेनिंग में कभी-कभी सामान गलत आ सकता है या दुकानदार पहले रेट अधिक लगाकर थोड़ा कम कर आपको बेच सकता है। इसके लिए आपको चैतन्य रहना अति आवश्यक होता है।

शापिंग करते समय अधिकतर लोग बारगेनिंग जरूर करते हैं पर बारगेनिंग सभी लोग अच्छे से नहीं कर पाते। यह भी अपने आप में एक गेम है। जैसे हर कोई गेम खेलने में निपुण नहीं होता, ऐसा बारगेनिंग गेम के साथ भी है। उसके भी कुछ नियम होते हैं जिन्हें अपना कर वस्तु को सही दाम में खरीदा जा सकता है और दुकानदार के साथ संबंध भी अच्छे रखे जा सकते हैं:-

कुछ भी प्रोडक्ट खरीदते हुए उसकी मार्केट में खोजबीन कर लें जिससे आप क्वालिटी और रेट दोनों कंपेयर कर सकते हैं और आइटम की मार्केट वैल्यू भी पता लग सकती है। कुछ दुकानें ऐसी होती हैं जहां फिक्सड प्राइस होते हैं। यदि आपका आइटम वहां उपलब्ध हो तो सबसे पहले वहां से रेट का आइडिया लें, बाद में अन्य दुकानों पर जाएं।

शापिंग जाने से पूर्व घर से तय कर लें कि आपको क्या खरीदना है, उसका बजट तय कर लें ताकि बाजार में समय व्यर्थ न हो। फिर मोलभाव पर फोकस कर फैसला करें कि आपकी जरूरत की वस्तु आपको ठीक रेट पर मिल रही है तो खरीद लें।

कई चीजों को पसंद कर एक ही बार में सबके रेट न पूछें। इससे दुकानदार सोच सकता है कि आप खुलकर शापिंग करने वाले हैं और वो उनके रेट अधिक कोट कर सकता है। न ही किसी खास पसंद चीज की बार-बार प्रशंसा करें। उसे लगेगा कि उक्त वस्तु आपको पसंद है और वो रेट कम नहीं करेगा।

कोई विशेष वस्तु पसंद आ जाए तो मन में वो कितने में खरीदनी है, तय कर लें। हां, थोड़ा तैयार रहें कि उस पर आप थोड़ा अधिक भी खर्च कर सकती हैं क्योंकि यूनीक आइटम्स हमेशा उपलब्ध नहीं होते। ऐसा मौका गंवाएं नहीं।
बारगेनिंग करते समय यह ध्यान रखें कि कहीं आप बेकार की डिमांड के पीछे तो नहीं पड़ी हैं। खुद को थोड़े समय के लिए दुकानदार मान कर सोचें। रेट कम कराने के लिए बहुत रिक्वेस्ट न करें, न ही उनके पीछे पड़ जाएं।

सेल्समैन के साथ मधुर स्वर में बात करें। चेहरे पर मुस्कान बना कर रखें। ऐसा करने से सेल्समैन बार्गेनिंग के समय आपकी मदद करेगा।

हमेशा दुकानदार से जो चीज पसंद हो, उसके रेट पहले जान लें और उसे आपने क्या रेट देना है, इस बात का पता प्रारंभ में न लगने दें। जब वस्तु से पूरी तरह संतुष्ट हों, तभी मोल भाव करें।

शापिंग पर जब भी जाएं, एक्स्ट्रा समय लेकर जाएं ताकि आप मार्केट में रेट और वस्तु की जांच कर सकें। जल्दबाजी की शापिंग कभी-कभी गलत सिद्ध हो जाती है और पैसा भी अधिक खर्च होता है, इसलिए शापिंग तसल्ली से करें।

कभी-कभी लगता है कि दुकानदार अपनी जिद्द पर अड़ा है। उस समय उससे गुस्से में बात न कर नर्म रूख से ही बाते करें। इससे कभी-कभी दुकानदार रेट न कम करने का कारण भी आपको बता सकता है।

बारगेनिंग करते समय राउंड फिगर का प्रयोग न करें। थोड़ा ऊपर जैसे 2 रूपये, 35 रूपये लगाकर बोलें। इससे दुकानदार महसूस करेगा कि आप मार्केट पहले से सर्च कर के आए हैं।

बारगेनिंग प्रारंभ से ही 5-6 परसेंट न करें। बताई गई कीमत पर शुरूआत 4 परसेंट से करें, न बात बने तो 35 परसेंट पर आएं। हो सकता है दुकानदार आपको 2 से 25 परसेंट छूट दे दे।

बारगेनिंग के दौरान जो वस्तु आपने पसंद की है उसे दोबारा अच्छी तरह से निहारें ताकि दुकानदार को रेट फाइनल करने का थोड़ा वक्त और मिल जाए। हो सकता है कि आपके बताए मोल पर आपको वस्तु दे दे।

कभी-कभी दुकानदार अधिक बारगेन करने के मूड में नहीं होते ऐसे में कोई कम कीमत की छोटी वस्तु उसी रेट में देने को कहें। हो सकता है वो मान जाए और आपको ओवर आल उन पैसों में एक एक्स्ट्रा वस्तु मिल जाए।
-नीतू गुप्ता

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