प्रत्येक छात्र की यह अभिलाषा होती है कि वह अधिकतम अंक प्राप्त करे। गत वर्षों के परीक्षाफल पर दृष्टि डालने से ज्ञात होता है कि प्रतिवर्ष छात्रों के परीक्षाफल का प्रतिशत घटा है, बढ़ा नहीं। इसलिए, आज, हम How to Get More Marks in Exam के बारे में कुछ सुझाव लेकर आए हैं।
इस गिरते स्तर पर विचार करने पर इसके तीन कारण दृष्टिगोचर होते हैं।
- अध्यापकों द्वारा परीक्षा का व्यवहारिक ज्ञान न दिया जाना।
- छात्रों की परीक्षा की तैयारी व उसके प्रति लापरवाही की मानसिकता।
- छात्रों की बैठक क्षमता व लेखन क्षमता पर्याप्त न होना।
कोई भी छात्र उपरोक्त कारणों व बाधाओं को दूर करके अधिकतम अंक प्राप्त कर सकता है।
इसके लिए निम्न बिन्दुओं पर ध्यान दें तो अवश्य ही परीक्षा में अच्छे अंकों के साथ सफलता प्राप्त होगी। To score good marks in exams निम्नलिखित टिप्स दिए गए हैं।
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परीक्षा संबंधी व्यवहारिक ज्ञान
अधिकांश छात्रों को परीक्षा के संबंध में व्यवहारिक ज्ञान नहीं होता। कारण यह है कि अध्यापक भी इस ओर विशेष ध्यान नहीं देते जबकि छात्र को व्यवहारिक ज्ञान होना अति आवश्यक है। उत्तर पुस्तिका पृष्ठ एक पर दी गयी समस्त प्रविष्टियां साफ-साफ भरी जानी चाहिएं। इसमें गलती का परीक्षक के मस्तिष्क पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। छात्रों को उत्तर पुस्तिका की प्रविष्टियां भरते समय अनुक्रमांक अंकों व शब्दों में, विषय, दिन, दिनांक, प्रश्नपत्र का शीर्षक आदि सही भरना चाहिए। इसी प्रविष्टि पूर्ति का व्यवहारिक ज्ञान छात्रों को प्राप्त होना चाहिए।
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परीक्षा के प्रति लापरवाही न बरतें
छात्रों को परीक्षा के प्रति जागरूक होना चाहिए। परीक्षा के प्रति लापरवाही की मानसिकता घातक होती है। छात्रों को यह ज्ञान होना चाहिए कि प्रश्न पत्र का प्रारूप कैसा होगा अर्थात कुल कितने प्रश्न होंगे? उनमें से कितने हल करने होंगे? अंकों (पूर्णांक) का विभाजन कैसा होगा? इस सबका ज्ञान गत वर्षों के प्रश्न पत्र देखकर या बाजार में उपलब्ध मॉडल पेपर्स से हो सकता है। अपने पाठयक्रम का भी ज्ञान होना चाहिए। जिन पाठों से ज्यादा प्रश्न आते हैं उनको विशेष रूप से तैयार करना चाहिए। सी. बी. एस. ई. में पाठों का निधारण है कि किस पाठ से कितने अंकों के प्रश्न पत्र आएंगे। यह ज्ञान होना जरूरी है।
उत्तर देने की कला
अंकों की प्राप्ति उत्तर देने की कला पर निर्भर करती है। प्रश्न के स्वरूप को ध्यान में रखते हुए उत्तर लिखें। जितना वांछित है लिखें, यानी उत्तर को अनावश्यक रूप से विस्तार न दें। उत्तर की भाषा शुद्ध व वर्तनी भी ठीक होनी चाहिए जैसे यदि लिखें-सुरज पुरब में नीकले, पच्छीम में छीपे।’ तो यह वाक्य भाषा वर्तनी के लिहाज से गलत है हालांकि, आशय ठीक है। बात ठीक है किंतु नम्बर जरूर ही कट जाएंगे। उत्तर लिखते समय एक बात विशेष ध्यान में रखें कि उत्तर पुस्तिका में दोनों ओर एक-एक इंच का हाशिया जरूर छोड़े। जिस प्रश्न को आप हल कर रहे हैं, उसका नम्बर हाशिए में लिखें, जैसे आप तीन नम्बर का प्रश्न हल कर रहे हैं तो हाशिए में उत्तर नं. 3 लिख दें। प्रश्न पत्र हल करना शुरू करें। जो प्रश्न न आता हो, उस पर समय बरबाद न करें। उस पर बाद में विचार करें।
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बैठक व लेखन क्षमता
इस पक्ष को छात्र अनदेखा करते रहते हैं जबकि यही एक अति महत्वपूर्ण बिंदु है। सामान्यत: प्रश्नपत्र को हल करने के लिए तीन घण्टे का समय निर्धारित होता है। इस समय में कुछ छात्र प्रश्न छात्र पूरा हल नहीं कर पाते और आंशिक रूप से प्रश्न पत्र हल करने के कारण कम अंक पाते हैं। बैठक व लेखन क्षमता विकसित करने के लिए अभ्यास की आवश्यकता है। इसके लिए एक मेज व कुर्सी लें। दिन में किसी भी समय सुविधानुसार या उसी समय जिस समय पर भविष्य में परीक्षा होनी है (सात से दस या दो से पांच) छात्र कुर्सी पर बैठें और लिखना शुरू करें। पूरे तीन घण्टे लिखते रहें भले ही किताब से कापी में नकल करते रहें। निरन्तर तीन घण्टे बैठने-लिखने में शुरू में काफी असुविधा होगी लेकिन लगभग एक सप्ताह में यह आपकी आदत बन जाएगी (ऐसा लेखक का भी अनुभव है)।
अब जब आपने तीन घण्टे बैठने-लिखने की दक्षता प्राप्त कर ली है, तो गत वर्षों के प्रश्न पत्रों को समय के भीतर ही हल करने का प्रयास करें। कुछ दिन बाद आप स्वयं 2 घण्टे 40 मिनट में ही प्रश्न पत्र हल करने की योग्यता प्राप्त कर लेंगे।
यदि उपरोक्त बिन्दुओं पर विचार कर उन्हें अनदेखा नहीं किया जाएगा तो निश्चित रूप से अधिकतम अंक प्राप्त होंगे।
-अनिल शर्मा ‘अनिल’
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