पति काम करें तो औरतें ही देती हैं ताना
‘हमारा सतीश तो मानता ही नहीं है। रेखा के साथ बर्तन मंजवाता है। सब्जी कटवाता है। झाडू-पोंछा भी कर देता है। मैं तो उसे खूब टोकती हूं।‘ माया चबूतरे पर बैठी कह रही थी।
माया का भाई है सतीश। सतीश की पत्नी का नाम है रेखा। रेखा बी. ए. थी। वह नौकरी करना चाहती थी। टीचर बनने के लिए बी. एड जरूरी थी। पत्नी की इच्छा जानकर सतीश ने उसका एडमिशन करवा दिया।
सतीश दस बजे दफ्तर जाता है। रेखा को सुबह आठ बजे कॉलेज जाना होता है। रेखा सतीश के लिये खाना बनाकर तथा अपने लिये लेकर जाती है। सतीश शाम को छह बजे घर आता है जबकि रेखा दिन में दो बजे घर आती है।
रेखा चाहती है, जाने से पहले घर का सभी काम कर जाये लेकिन जल्दी करने पर भी यह संभव नहीं हो पाता। अत: सतीश काम में रेखा का हाथ बंटवाता है। रेखा झाडू लगाती है तो सतीश पोंछा लगा देता है। रेखा आटा गूंथ देती है तो सतीश सब्जी काट लेता है। मिल जुल कर करने से काम जल्दी हो जाता है।
माया का पति रमेश किसी काम में उसकी मदद नहीं करता। माया का भी मानना है कि घरेलू काम करना पत्नी का कर्तव्य है इसलिये जब वह अपने भाई के पास जाती है और उसे पत्नी के साथ काम करते देखती है तो उसकी खिल्ली उड़ाती है, ताने मारती है।
इस तरह के आपको बहुत से उदाहरण मिल जायेंगे।
पति-पत्नी दोनों शिक्षित हैं और सर्विस कर रहे हैं तो अगर दोनों मिलकर घर का काम करें तो काम जल्दी निपट जाता है और थकान भी नहीं होती। अगर सर्विस करने के बाद पत्नी को घर का भी सारा काम करना पडेÞ तो वह थक जायेगी और गुस्सैल व चिड़चिड़ी भी हो जायेगी।
आजकल के शिक्षित पति, जिनकी पत्नी सर्विस करती हैं या शिक्षा ग्रहण कर रही है, वे जानते हैं कि अगर घर के सब काम का बोझ भी उन पर लाद दिया जाये तो बेचारी थक जायेगी।
दांपत्य की गाड़ी चलाना पति-पत्नी का सामूहिक दायित्व है, यही सोचकर पति पत्नी के गृहकार्य में हाथ बंटाते हैं लेकिन मर्दों का काम करना अन्य औरतों को ही अच्छा नहीं लगता।
वे उन्हें टोकती हैं ताना देती हैं और सबके सामने शर्मिन्दा करने का प्रयास करती हैं। पति के काम करने पर अन्य औरतों को खुश होना चाहिए न कि उन्हें प्रताड़ित करें बल्कि प्रोत्साहन दें।
-किशनलाल शर्मा
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