बेजुबान जीवों की आवाज बने मीठीबाई क्षितिज के छात्र
मीठीबाई छात्रों ने 300 से अधिक बेजुबान जानवरों को लगाए रिफ्लेक्टिंग कॉलर
आपने रात के अंधेरे में आवारा जानवरों के कारण सड़कों पर होने वाली अधिकतर दुर्घटनाओं के बारे में जरूर सुना होगा।
एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी समाचार पत्र के अनुसार भारत में सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं में 58 प्रतिशत केवल आवारा जानवरों के कारण होती हैं। इसी को ध्यान रख बीती 6 नवंबर को (Mithibai College) मीठीबाई क्षितिज ने प्लेनेट फॉर प्लांट्स एंड एनिमल्स के साथ सहयोग के तहत आवारा जानवरों के कारण घटित होने वाली दुर्घटनाओं के प्रति जन-जागरूकता मुहिम का आगाज किया।
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कार्यक्रम में अभिनेत्री काशिका कपूर ने की मुहिम की सराहना
इस कार्यक्रम की इंचार्ज सिद्धि ने सच्ची शिक्षा संवाददाता को बताया कि इस मुहिम के तहत क्षितिज के छात्रों ने संडे स्ट्रीट, मरीन ड्राइव पर एक बड़ी संख्या में लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए एक संगीत सत्र का आयोजन किया गया, अभिनेत्री काशिका कपूर ने आवारा जीवों को गोद लेने के प्रेरणात्मक सन्देश के साथ हमारी मुहिम की सराहना की।
उन्होंने बताया कि प्रशिक्षित पीपीए स्वयं सेवकों ने इलाके में आवारा पशुओं के गले में नियॉन रिफ्लेक्टिव कॉलर पहनाया, जबकि टीम क्षितिज के छात्रों ने लोगों को रात के समय आवारा पशुओं के साथ घटित होने वाली दुर्घटनाओं के बारे में जागरूक किया तथा साथ ही रिफ्लेक्टिंग कॉलर से इन दुर्घटनाओं को कम करने की संभावना के बारे में सूचित किया। मरीन ड्राइव, जुहू बीच, कार्टर रोड, बैंड स्टैंड, वर्ली और विले पार्ले जैसे क्षेत्रों सहित मुंबई महानगर क्षेत्र में आवारा जानवरों पर 300 से अधिक रिफ्लेक्टिंग कॉलर लगाए गए।
हर साल युवाओं को समाजहित के लिए किया जा रहा जागरूक: भानुशाली
क्षितिज के प्रेजीडेंट ओम भानुशाली ने बताया कि, “हर साल हम देश के युवाओं को समाजहित में अपना योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इस वर्ष हमारा लक्ष्य आवारा जीवों की रक्षा करना है तथा इस लक्ष्य के लिए हमने इस बार पीपीए के साथ सहयोग किया है। साथ ही हमारा लक्ष्य है लोगों को इन्हें गोद लेने के लिए प्रेरित कर सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना भी है।
कार्यक्रम में पालतु जानवरों के मालिकों ने भी लिया भाग
प्लैनेट फॉर प्लांट्स एंड एनिमल्स की संस्थापक साक्षी टेकचंदानी ने कहा कि, “इस पहल और जागरूकता अभियान का उद्देश्य इनके साथ लोगों में सह-अस्तित्व भावना को प्रोत्साहित करना है।” इस कार्यक्रम में पालतु जानवरों के मालिकों ने भी भाग लिया। स्थानीय लोगों को इस सामाजिक कार्य से जोड़ने लिए छात्रों ने सामाजिक सहित गुब्बारे और पशुओं के लिए बैज वितरित किए थे। अंत में हम समाज के नाम यह संदेश देते हैं कि आज समाज को इन बेजुबानों के प्रति पहले से ज्यादा संवेदनशील बनने की जरूरत है।