Mitti Ka Mahatva in Hindi मनुष्य का निर्माण जिन पाँच तत्वों से मिलकर हुआ है मिट्टी उनमें से एक और सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
मिट्टी सहित अन्य तत्वों जल, पावक, गगन तथा समीर से ही मनुष्य का निर्माण हुआ है और मिट्टी सहित अन्य तत्वों जल, पावक, गगन तथा समीर में ही उसे विलीन हो जाना है।
यदि गहराई से देखा जाए तो मिट्टी सहित अन्य तत्वों जल, पावक, गगन तथा समीर से केवल मनुष्य का निर्माण और इन्हीं में उसका समापन नहीं होता अपितु उसका विकास भी इन्हीं पंच तत्वों में निहित है। मिट्टी जिसे दैनिक जीवन में साधारणत: बहुत कम महत्व दिया जाता है, मनुष्य के विकास की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण ही नहीं, अनिवार्य भी है।
एक शिशु पैदा होते ही जिन पदार्थों पर निर्भर करता है, वे सब प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मिट्टी से ही तो प्राप्त होते हैं। मिट्टी से ही कंद-मूल, फल-फूल, अन्नादि सब पदार्थ मिलते हैं जो हमारे भौतिक शरीर के पोषण के लिए जÞरूरी हैं। दुग्ध-घृत व अन्य वनस्पति पदार्थ भी परोक्ष रूप से हमें मिट्टी से ही तो मिलते हैं और मिट्टी ही संचय करके रखती है जल का।
मिट्टी प्रकृति में अपनी गोद में तथा घरों में अपनी देह से निर्मित घड़े में जल को यत्नपूर्वक सहेजकर रखती है। मिट्टी की गोद में पलने वाले पेड़-पौधे और वनस्पतियाँ ही तो हैं जो हमें जीवनदायिनी आॅक्सीजन उपलब्ध कराते हैं। कहने का तात्पर्य यही है मिट्टी से बना शरीर मिट्टी से ही पोषण और प्राणदायिनी ऊर्जा पाता है।
Mitti Ka Mahatva in Hindi आधुनिक वैज्ञानिक शोधों से पता चलता है कि मिट्टी हमारी रोगावरोधक शक्ति का विकास करती है। जो बच्चे धूल-मिट्टी में खेलते हैं वे उन बच्चों की अपेक्षा कम बीमार पड़ते हैं जो धूल-मिट्टी को कभी छूते भी नहीं और धूल-मिट्टी में खेलने वाले बच्चे बीमार पड़ने पर शीघ्र रोगमुक्त भी हो जाते हैं।
अमरीका के गैटिस्बर्ग मैरीलैंड में अमरीकन हॉर्टीकल्चर थेरेपी एसोसिएशन द्वारा गठित समिति ने इस क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण प्रयोग और शोधकार्य किए हैं। प्रयोगों और शोधकार्यों के आधार पर समिति का दावा है कि मिट्टी की मनभावन महक भी मन-मस्तिष्क एवं स्रायुतंत्र पर सकारात्मक प्रभाव डालती है।
यहाँ मिट्टी से तात्पर्य गंदगी और कूड़े के ढेर अथवा प्रदूषित मिट्टी से नहीं अपितु साफ-सुथरी खेतों अथवा नदियों के किनारों की उस मिट्टी से है जो शहरों के गंदे नालों तथा औद्योगिक कचरे से मुक्त है। इसकी उपयोगिता तथा सरलता से उपलब्धता के कारण गांधीजी भी मृदा चिकित्सा को बहुत महत्व देते थे। इसीलिए उन्होंने मनुष्यों पर ही नहीं अन्य जीव-जंतुओं पर भी मृदा चिकित्सा के प्रयोग किए। मिट्टी इतनी उपयोगी और महत्वपूर्ण है फिर भी कुछ लोग मिट्टी के स्पर्श से भी डरते हैं। मिट्टी मनुष्य का पोषण ही नहीं, उसका शृंगार व उपचार भी करती है।
हमारे स्वास्थ्य, सौन्दर्य, पोषण, आरोग्य, उपचार तथा दीर्घायु सभी का मिट्टी से गहरा रिश्ता है। प्राकृतिक चिकित्सा के रूप में मडथेरेपी अथवा मृदा चिकित्सा एक अत्यंत विश्वसनीय तथा महत्वपूर्ण चिकित्सा पद्धति है। एक सौन्दर्य प्रसाधन के रूप में मुल्तानी मिट्टी के गुण और उपयोगों से तो आप परिचित होंगे ही, साथ ही यह अनेक व्याधियों के उपचार में भी सहायक होती है।
मुल्तानी मिट्टी की तरह ही सामान्य मिट्टी तथा अन्य अनेक प्रकार की मिट्टियाँ भी औषधीय गुणों से भरपूर होती है। इन मिट्टियों का लेप, पट्टियाँ अथवा कीचड़ स्रान ( मडबाथ) अनेकानेक व्याधियों के उपचार में लाभ पहुँचाता है। मिट्टी के इन्हीं औषधीय गुणों के कारण आज मडथेरेपी नि:शुल्क अथवा सस्ते प्राकृतिक चिकित्सालयों से लेकर आधुनिक महँगे स्वास्थ्य केंद्रों तक में लोकप्रिय हो चुकी है।
-सीताराम गुप्ता