…जब सुनहरी इतिहास बन गया यह दिन |
31वां पावन महा परोपकार दिवस (23 सितम्बर) पर विशेष
प्रकृति खुद खुदा, परमेश्वर की साजी हुई है और उसी के हुक्म में अपना कार्य कर रही है। यह अटल नियम आदि-जुगादि से ज्यों का त्यों है। इसी तरह परमेश्वर के भेजे संत-महापुरुष भी आदि-जुगादि से सृष्टिं पर प्रकट होते आए हैं। वह सच्चे संत किसी और के द्वारा नौमीनेटिड, किसी और के बनाए नहीं होते, बल्कि वह खुद परम पिता परमात्मा द्वारा भेजे ‘गॉड गिफ्टिड’ होते हैं।
बेशक समाज में वह आम इन्सान नजर आते हैं, परन्तु धुर मालिक की दरगाह से महान ईश्वरीय-हस्ती होते हैं, समय व स्थिति के अनुसार ही उस महान ईश्वरीय-हस्ती का भेद दुनिया को पता चलता है। यही प्रत्यक्ष उदाहरण पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने आज के दिन 23 सितम्बर 1990 को दुनिया के सामने रखी। जब आप जी ने पूजनीय मौजूदा गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को अपना स्वरूप प्रदान करके डेरा सच्चा सौदा में बतौर तीसरे पातशाह गद्दीनशीन किया। यह ईश्वरीय मर्यादा, यह गुरु परम्परा आदि-जुगादि से ही चली आ रही है।
पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने अपने मुर्शिदे-कामिल पूजनीय हजूर बाबा सावण सिंह जी महाराज से इलाही बख्शिशों को पाकर तथा उनके हुक्मानुसार सन् 1948 में सरसा में डेरा सच्चा सौदा स्थापित किया। आप जी ने बारह वर्ष तक खूब नोट, सोना, चाँदी, कपड़े, कम्बल बांट-बांट कर तथा कभी बकरियों, कुत्तों के गलों में नोटों के हार बांधना आदि अपने रूहानी चोजों के द्वारा लोगों को राम-नाम की तरफ आकर्षित किया। आप जी ने लोगों की अण्डा-मांस, शराब, पाखण्डों आदि बुराईयां छुड़वा कर उन्हें हक-हलाल, मेहनत की करके खाने की शिक्षा दी। सतगुरु के राम-नाम की अखण्ड ज्योति आदि जुगादि से ज्यों की त्यों है।
बदलदी मय हकीकी नहीं, पैमाना बदलदा रहिंदा।
सुराही बदलदी रहिंदी, मैखाना बदलदा रहिंदा।।
पूजनीय सार्इं मस्ताना जी महाराज ने 28 फरवरी 1960 को पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज को बतौर दूसरे पातशाह अपना उत्तराधिकारी बनाकर डेरा सच्चा सौदा की गुरगद्दी पर विराजमान किया। पूजनीय परम पिता जी ने 30-31 वर्षाें तक पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यू.पी. इत्यादि राज्यों के सैकड़ों गांवों, कस्बों, शहरों में दिन रात एक करके हजारों सत्संग लगाए और इस तरह लाखों लोगों का राम-नाम के द्वारा दोनों जहानों में उद्धार किया। उपरान्त पूजनीय परम पिता जी ने समय आने पर अपनी यह इलाही जोत 23 सितम्बर 1990 को पूजनीय मौजूदा गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को परिवर्तित करके डेरा सच्चा सौदा में बतौर तीसरे पातशाह विराजमान किया।
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पवित्र जीवन झलक:-
पूजनीय गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां अपने पूजनीय माता-पिता जी की इकलौती संतान हैं। आप जी ने 15 अगस्त 1967 को पूजनीय बापू नम्बरदार सरदार मग्घर सिंह जी के घर अति पूजनीय माता नसीब कौर जी इन्सां की पवित्र कोख से उनके विवाह के 18 साल के लम्बे इन्तजार के बाद अवतार धारण किया। पूजनीय गुरु जी सिद्धू वंश के बहुत ऊँचे घराने से संबंध रखते हैं। आप जी राजस्थान के गांव श्री गुरुसर मोडिया तहसील सूरतगढ़ जिला श्री गंगानगर के रहने वाले हैं। आप जी केवल 23 वर्ष की आयु में थे जब पूजनीय परम पिता जी ने 23 सितम्बर 1990 को आप जी को अपना उत्तराधिकारी बनाकर डेरा सच्चा सौदा में बतौर तीसरे पातशाह विराजमान किया।
गुरुगद्दी बारे पूजनीय परम पिता जी के वचन
यह कोई पारिवारिक जायदाद नहीं:-
पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने डेरा सच्चा सौदा के भावी वारिस अपने उत्तराधिकारी की तलाश के लिए सन् 1989 से निरंतर हर महीने सेवादारों से मीटिंगें की। इसी दौरान एक मीटिंग में सेवादारों द्वारा पूजनीय परम पिता जी के शाही परिवार में से एक आदरणीय पारिवारिक सदस्य का जब नाम लिखित में दिया गया, तो पूजनीय परम पिता जी ने उपरोक्त अनुसार वचन फरमाए कि ‘नहीं भाई, यह कोई हमारी निजी पारिवारिक जायदाद नहीं है। यह रूहानी दौलत किसी काबिल हस्ती को ही दी जाएगी।’
पूजनीय परम पिता जी ने यह भी फरमाया कि ‘ऐसा पक्का काम करेंगे जो आज तक किसी ने भी नहीं किया होगा और शायद ही कोई कर सके। गुरगद्दी बारे जब सब कुछ हम खुद अपने हाथों से ही करेंगे तो किसी को क्या एतराज हो सकता है।’
सतगुरु को सतगुरु ही प्रकट कर सकता है:-
सतगुरु को सतगुरु ही प्रकट कर सकता है, केवल वो ही(सतगुरु) इस भेद का जानकार होता है। पूजनीय परम पिता जी ने एक साल से अधिक समय तक सेवादारों से बाकायदा मीटिंगें करके सभी के भ्रम दूर कर दिए। और समय आने पर खुद मालिक की जो रजा थी, सब कुछ वैसा ही हुआ। आप जी ने पूजनीय हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को पूरी दुनिया के सामने खुद अपना वारिस घोषित करके ऐसा महान परोपकार किया जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता।
आज से ही:-
पूजनीय परम पिता जी ने गुरुगद्दी बारे पवित्र कारज पूरे पक्की सरकारी लिखतों से पूरा किया। आप जी ने गुरगद्दी बख्शिश करने से लगभग तीन महीने पहले ही गुरगद्दी की वसीयत पूजनीय गुरु जी के नाम पक्के तौर पर पूरी कर ली थी। पूजनीय परम पिता जी ने अपनी उस वसीयत में यह बात विशेष तौर पर लिखवाई कि ‘आज से ही।’ वसीयत का मतलब आम तौर पर मेरे बाद का लिया जाता है। परन्तु पूजनीय परम पिता जी ने अपनी वसीयत में यह लिखवाया कि ‘डेरा, धन, जमीन-जायदाद, नकदी-पैसा-पाई तथा डेरे का सब कुछ आज से ही (आज से ही शब्द स्पैशल जोर देकर लिखवाया) गुरमीत सिंह जी(पूजनीय हजूर पिता जी) का है।’ वाक्य ही गद्दीनशीनी का ऐसा पहलू दुर्लभ है। गुरगद्दी की बाकायदा पवित्र रस्म 23 सितम्बर 1990 को शरेआम साध संगत में सम्पन्न हुई।
नौजवान बॉडी में बैठकर काम करेंगे:-
पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने गुरगद्दी बख्शिश के शुभ अवसर पर साध-संगत में वचन फरमाए कि ‘साध-संगत जी, कुदरत के कानून को तो बदला नहीं जा सकता। अगर हमें बुजुर्ग बॉडी में देखना है तो हम तुम्हारे सामने बैठे हैं, हमें देख लो, अगर हमें नौजवान बॉडी में देखना है तो इन्हें (पूजनीय गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की तरफ इशारा करके) देख लो। यह हमारा ही रूप हैं।
साध-संगत ने जो कुछ भी पूछना है, अब इनसे ही पूछना है। हमारा अब इसमें कोई काम नहीं। संत जी हमारा अपना रूप हैं। इनका वचन हमारा वचन है। हम खुद ही इस नौजवान बॉडी में बैठ कर काम करेंगे। साध-संगत व डेरे की संभाल पहले से दोगुनी-चौगुनी, कई गुना बढ़कर होगी। जो सत्संगी वचनों पर विश्वास करेगा, वह सुख पाएगा।’
पहाड़ भी टकराएगा तो चूर चूर हो जाएगा:-
पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने पूजनीय गुरु जी को गुरगद्दी सौंपते हुए उस दिन 23 सितम्बर को अपने साथ स्टेज पर विराजमान किया। गुरगद्दी की रस्म को मर्यादा पूर्वक पूरी करते हुए पूजनीय परम पिता जी ने पूजनीय गुरु जी को अपने पवित्र कर-कमलों से एक चमकदार हार पहनाया और रहमत-ए-नजर का प्रसाद (हल्वे का प्रसाद) बख्शा। पूजनीय गुरु जी को अपना वारिस बना कर पूजनीय परम पिता जी अत्याधिक प्रसन्न थे।
गुरगद्दी बख्शिश करने से दो दिन पहले ही पूजनीय परम पिता जी ने आश्रम के सभी सतब्रह्मचारी सेवादारों को पूजनीय गुरु जी के संबंध में यह वचन फरमाए:- ‘जैसा हम चाहते थे, बेपरवाह मस्ताना जी महाराज ने उससे भी कई गुणा बढ़कर गुणवान नौजवान हमें ढूँढ कर दिया है। हम इन्हें ऐसा बब्बर शेर बनाएंगे जो दुनिया को मुंह तोड़ जवाब देंगे। पहाड़ भी अगर टकराएगा, तो वह चूर-चूर हो जाएगा।’ पूजनीय परम पिता जी लगभग 15 महीने पूजनीय हजूर पिता जी के साथ साध-संगत में मौजूद रहे।
डेरा सच्चा सौदा बुलंदियों पर:-
पूजनीय गुरु जी द्वारा समाज तथा मानवता भलाई की तरफ उठाए कदम बेमिसाल हैं। समाज सुधार की लहर में डेरा सच्चा सौदा की तरफ से 135 समाज तथा मानवता भलाई के कारज किए जा रहे हैं। इन मानवता भलाई के कार्याें से करोड़ों की गिनती में साध-संगत जुड़ी हुई। ‘हो पृथ्वी साफ, मिटे रोग अभिशाप’ समाज भलाई के इस अदभुत कारज द्वारा पूजनीय गुरु जी ने देश को साफ, स्वच्छ तथा प्रदूषण रहित करने का बीड़ा उठाया। पूजनीय गुरु जी ने इस कारज की शुरूआत 21 सितम्बर 2011 को देश की राजधानी दिल्ली से की। 21-22 सितम्बर 2011 को पौने दो दिन में पूज्य गुरु जी के पावन सानिध्य में सेवादारों ने पूरी दिल्ली को चकाचक (साफ) कर दिया। उपरान्त सफाई का यह महाअभियान हरिद्वार व ऋषिकेश से पवित्र गंगा जी की सफाई सहित 32 के करीब नगरों तथा महानगरों में चलाया गया।
इसके अतिरिक्त पूजनीय गुरु जी ने अनेक वेश्याओं को गंदगी की दलदल में से निकालकर शुभ देवियां बनाकर उनका विवाह सम्पन्न परिवारों में करवाया और इस तरह उन्हें समाज में सम्मान प्रदान किया। जैसे कि मरणोपरांत आंखेंदान, देहदान इत्यादि कार्य भी पूज्य गुरु जी के आह्वान पर डेरा सच्चा सौदा से ही शुरु किए गए हैं। बेटियों को बेटों के समान अधिकार दिलाना, उन्हें सम्मान देना भी पूज्य गुरु जी की पहल रही है। अर्थात् पूजनीय गुरु जी ने समाज हित में ऐसे दुर्लभ कार्य करके दिखाए कि कोई सोच भी नहीं सकता और न ही इससे पहले किसी ने यह उद्धम किया था।
किन्नर समाज को समाज में सम्मान दिलाते हुए पूजनीय गुरु जी ने उन्हें सुख दुआ समाज का दर्जा दिया, बल्कि सुप्रीम कोर्ट से पूजनीय गुरु जी की पहल पर इन्हें थर्ड जैण्डर का दर्जा दिला कर देश के नागरिकों की सुविधाएं दिलाई। संक्षेप में यही कहा जा सकता है कि डेरा सच्चा सौदा द्Þवारा साध-संगत के सहयोग से 135 मानवता भलाई के कार्य बाकायदा चलाए जा रहे हैं। पूजनीय गुरु जी द्वारा चलाए 135 मानवता तथा समाज भलाई के कार्य जिनमें कई कार्य विश्व रिकार्ड भी साबित हुए। जैसे कि रक्तदान के क्षेत्र में डेरा सच्चा सौदा का नाम तीन बार गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हुआ है।
यह हैं विश्व रिकार्ड:-
7 दिसम्बर 2003 को केवल 8 घण्टों में 15432 यूनिट रक्तदान करने पर। 10 अक्तूबर 2004 को 17921 यूनिट तथा 8 अगस्त 2010 को आठ घण्टों में 43732 यूनिट रक्तदान करने पर। इसी तरह पर्यावरण सुरक्षा हित यानि पौधा रोपण के क्षेत्र में भी तीन विश्व रिकार्ड डेरा सच्चा सौदा के नाम पर गिनीज बुक में दर्ज हैं जो कि इस तरह है:-
15 अगस्त 2009 को एक घण्टे में 9 लाख 38 हजार 7 पौधे लगाने ््पर और इसी दिन 8 घण्टों (यानि एक दिन) में 68 लाख 73 हजार 451 पौधे लगाने पर डेरा सच्चा सौदा के नाम एक ही दिन में दो विश्व रिकार्ड गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हुए हैं और इसके इलावा 15 अगस्त 2011 को एक घण्टे में 19 लाख 45 हजार 435 पौधे लगाने पर एक और विश्व रिकार्ड डेरा सच्चा सौदा के नाम पर दर्ज है। केवल यही नहीं, समाज तथा मानवता भलाई के कार्याें के लिए और भी रिकार्ड डेरा सच्चा सौदा तथा पूजनीय गुरु जी के नाम पर एशिया बुक तथा इण्डिया बुक आॅफ रिकार्डज में दर्ज हैं। और यह कार्य साध-संगत आज भी ज्यों की त्यों कर रही है।
स्वस्थ समाज की स्थापना के प्रति पूजनीय गुरु जी का यह करम बहुत ही प्रशंसनीय है और देश को भी वह बल मिल रहा है जो आज के समय में देशहित के लिए बहुत जरूरी है।
डेरा सच्चा सौदा के दूसरे पातशाह पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने पूजनीय गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को 23 सितम्बर 1990 को अपना उत्तराधिकारी व डेरा सच्चा सौदा में बतौर तीसरे पातशाह विराजमान करके साध-संगत पर एक महान उपकार किया है। पूजनीय परम पिता जी के महान परोपकारों की बदौलत डेरा सच्चा सौदा में इस महा पवित्र दिहाड़े को ‘महा परोपकार दिवस’ के रूप में धूम-धाम से भण्डारे की तरह मनाया जाता है।
इस महा पवित्र दिहाड़े ‘महा परोपकार दिवस’ की समूह साध-संगत को हार्दिक बधाई, लख-लख मुबारिक हो जी।