सेहत के लिए उत्तम फल है नाशपाती
बारिश का मौसम आते ही लोग बीमार पड़ने लगते हैं। लोग सबसे ज्यादा वायरल बुखार का शिकार बनते हैं। ऐसे में जरूरी है कि लोग अपने खाने के बारे में ज्यादा ध्यान रखें। स्वास्थ्य को बनाए रखने में मौसमी फल काफी कारगर साबित होते हैं। बारिश के मौसम में नाशपाती से कई बीमारियों को मात दी जा सकती है। इसमें विटामिन, एंजाइम और पानी में घुलनशील फाइबर समृद्ध मात्रा में पाए जाते हैं।
वास्तव में नाशपाती ‘पीयर’ या ‘बग्गूगोशा’ फल ‘सेब’ परिवार से जुड़ा हुआ है। इसकी कुछ किस्में तो गोल सेब के आकार की होती हैं। बाहर से हरे, लाल, नारंगी या पीले रंग की दिखने वाली नाशपाती सेब की तरह अंदर से सफेद रंग की मीठी, कुरकुरी, नरम और रसदार होती है। नाशपाती में सेब की तरह औषधीय गुण भी पाए जाते हैं, जिनकी वजह से कई लोगों ने तो इसे ‘देवताओं का उपहार’ का दर्जा दिया है। आयुर्वेद के अनुसार नाशपाती पचने में हल्की, रोगी को जल्दी ऊर्जा देने वाली, मल साफ करने वाली, प्यास बुझाने वाली और त्रिदोष-नाशक है।
भारतवर्ष में पैदा होने वाले ठंडे जलवायु के फलों में नाशपाती का महत्व सेब से अधिक है। यह हर साल फल देती है। इसकी कुछ किस्में मैदानी जलवायु में भी पैदा की जाती हैं और उत्तम फलन देती हैं। ये सेब की अपेक्षा सस्ती बिकती हैं। भारत में नाशपाती यूरोप और ईरान से आई और धीरे-धीरे इसकी काश्त बढ़ती गई। अनुमान किया जाता है कि अब हमारे देश में लगभग 4,000 एकड़ में इसकी खेती होने लगी है। पंजाब में कुलू घाटी तथा कश्मीर में यूरोपीय किस्में पैदा की जाती हैं। इनके फलों की गणना संसार के उत्तम फलों में होती है।
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रासायनिक तत्व:
- 100 ग्राम नाशपाती में 19 मिलीग्राम मैग्निशियम,
- 9 मिलीग्राम सोडियम, 14 मिलीग्राम फॉस्फोरस,
- लोहा – 2।3 मिलीग्राम, आयोडीन 1 मिलीग्राम,
- कोबाल्ट 10 मिलीग्राम, मैंगनीज 65 मिलीग्राम,
- कॉपर – 120 मिलीग्राम, मोलिब्डेनम – 5 मिलीग्राम,
- फ्लोरीन 10 मिलीग्राम, जिंक – 190 ग्राम,
- विटामिन ए, विटामिन बी1, बी2,
और पोटैशियम तथा भरपूर मात्रा में कैल्शियम भी पाया जाता है।
नाशपाती की किस्में:
फलों के अनुसार नाशपाती की समस्त किस्में निम्नलिखित भागों में विभाजित की जा सकती हैं:-
चाइना या साधारण नाशपाती:-
यह किस्म उत्तर प्रदेश के पश्चिमी जिलों में पैदा होती है। इसके फल अन्य के मुकाबले में कठोर होते हैं और मुरब्बा बनाने अथवा डिब्बाबंदी के कार्य में लाए जाते हैं।
यूरोपीय नाशपाती:
नाशपाती की इन किस्मों में लैक्सटन्स सुपर्व, विलियम्स तथा कॉन्फ्रसें उत्तम किस्में हंै। इनके फल कोमल, रसदार और मीठे होते हैं। इनकी कृषि कुमाऊं तथा चकराता में सफलतापूर्वक की जा सकती है। संकर किस्मों को ‘नाख’ भी कहते हैं। यूरोपीय किस्मों की अपेक्षा ये अधिक सहिष्णु होती हैं। इनमें लेकांट, स्मिथ तथा किफर बहुत ही प्रचलित किस्में हैं।
नाशपाती के लाभ:-
- नाशपाती में मौजूद एंटीआॅक्सीडेंट और विटामिन सी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और जुकाम, फ्लू और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।
- नाशपाती फाइबर का एक अच्छा स्त्रोत है। यह पाचन-तंत्र को मजबूत बनाता हैं। इसमें मौजूद पेक्टिन कब्ज, दस्त और अन्य पाचन समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
- नाशपाती में बहुत कम कैलोरी और उच्च फाइबर होते हैं जो वजन और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है।
- नाशपाती का जूस अर्थराइटिस के रोगियों के लिए लाभकारी है। यह सूजन को ठीक करता है।
- नाशपाती में मौजूद पोटेशियम रक्तचाप को कम करने के साथ ही दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा कम करने में मदद करता है।
- नाशपाती में मौजूद फोलिक एसिड (फोलेट) गर्भवती महिलाओं के शिशुओं में न्यूरल ट्यूब दोष से बचाता है।
- नाशपाती आयरन का एक अच्छा स्त्रोत है, जो हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है और एनीमिया से ग्रस्त रोगियों को सुरक्षा प्रदान करता हैं।
- नाशपाती के रस में ऋ१४ू३ङ्म२ी और ग्लूकोज की उच्च मात्रा होती है, जिससे शरीर में तुरंत ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं।
- गर्मियों के दौरान हर सुबह और रात नाशपाती का रस पीने से शरीर को ठंडक प्रदान करने और गले की समस्याओं को रोकने में मदद मिलती हैं।
- एक गिलास नाशपाती का रस पीने से बुखार से जल्दी राहत मिल सकती है।
- नाशपाती की उच्च खनिज सामग्री मैग्नीशियम, मैंगनीज, फास्फोरस, कैल्शियम, तांबे और बोरोन आॅस्टियोपोरोसिस के खतरे को रोकने और शरीर की सामान्य कमजोरी जैसी स्थितियों को कम कर सकते हैं।
- नाशपाती में मौजूद विटामिन ए और एंटीआॅक्सीडेंट त्वचा पर उम्र बढ़ने के प्रभाव को कम करने, झुर्रियों, मुंहासे और त्वचा संबंधी अन्य समस्याओं को रोकने में मदद करता है। यह बालों के झड़ने, धब्बेदार अध: पतन, मोतियाबिंद, उम्र बढ़ने की प्रक्रिया और अन्य समस्याओं के इलाज में सहायक होता है।
- नाशपाती में हाइड्रोआॅक्सीनॉमिक एसिड होता है जो पेट के कैंसर को रोकने में मदद करता है। इसका फाइबर पेट के कैंसर को बढ़ने से रोकता है और बड़ी आंत को स्वस्थ बनाए रखता है। नाशपाती के नियमित सेवन से मोनोपॉज के बाद महिलाओं में होने वाले कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है। इसमें मौजूद विटामिन सी और एंटीआॅक्सीडेंट गुण कैंसर के नुकसान से कोशिकाओं की रक्षा करते हैं।
बरतें सावधानियां:-
नाशपाती को अच्छी तरह से धोकर छिलके समेत चबा-चबा कर खाना चाहिए। विटामिन और खनिज ज्यादातर नाशपाती के छिलके में होते हैं इसलिए इसे बिना छीले खाना ज्यादा फायदेमंद है। जल्दबाजी में बिना चबाए इसके टुकड़े को निगलने पर पाचन-तंत्र पर दवाब पड़ता है, जिससे कई बार पेट-दर्द की शिकायत हो जाती है। देर से काट कर रखी नाशपाती नहीं खानी चाहिए। इससे नाशपाती में मौजूद लौह-आॅक्साइड से लोहा फैरिक-आॅक्साइड में बदल जाता है। जिसे खाना नुकसानदेह होता है।
भारत में नाशपाती यूरोप और ईरान से आई और धीरे-धीरे इसकी काश्त बढ़ती गई। अनुमान किया जाता है कि अब हमारे देश में लगभग 4,000 एकड़ में इसकी खेती होने लगी है। पंजाब में कुलू घाटी तथा कश्मीर में यूरोपीय किस्में पैदा की जाती हैं। इनके फलों की गणना संसार के उत्तम फलों में होती है।