शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का शिखर सम्मेलन इस बार किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में संपन्न हुआ। बैठक में सदस्य देशों के बीच ऊर्जा और आंतकवाद को लेकर सहमती बनी। 13-14 जून को आयोजित एससीओ की सालाना बैठक पर इस दफा पूरी दुनिया की निगाह लगी थी। अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर की पृष्टभूमि के बीच रखी गई यह बैठक भारत के नजरिये से काफी अहम् थी।
पाकिस्तान भी एससीओ का सदस्य है। ऐसे मेंंं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के भी इस बैठक में भाग लेने से इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी ( Narendra Modi ) और इमरान के बीच शायद कोई बात हो। लेकिन मोदी व इमरान के बीच कोई बातचीत नहीं हो पाई, लेकिन पीएम ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंक के मुद्दे पर गहन विचार करने की बात कही। मोदी की दूसरे कार्यकाल में प्रथम यात्रा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लोकसभा चुनाव में दोबारा जी तने के बाद पहले बहुपक्षीय सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे थे।
पीएम मोदी का विमान ओमान, ईरान और कई मध्य एशियाई देशों से होते हुए किर्गिज गणराज्य की राजधानी पहुंचा। यहां गौर करने लायक बात यह है कि पाकिस्तान की तरफ से हुई आतंकी घटनाओं की वजह से इस बार उनका यह विमान पाकिस्तान के वायुक्षेत्र से होकर नहीं गुजरा।
चीन व रूस के राष्टÑपति से ही खास मुलाकात इस सम्मेलन में मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शीजिनपिंग से खास मुलाकात की। चीन के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान मोदी ( Narendra Modi ) ने पाकिस्तान के साथ जुड़े आतंकी मुद्दों को गंभीरता से उठाते हुए कहा कि पाकिस्तान को चाहिए कि वो आतंक रहित माहौल बनाए। फिलहाल हम ऐसा कुछ भी होते नहीं देख रहे हैं।
हम चाहते हैं कि अब वह कोई ठोस कदम उठाए। पीएम ने जिनपिंग को इस साल अनौपचारिक मुलाकात के लिए भारत आने का न्योता भी दिया। इसे जिनपिंग ने स्वीकार कर लिया। मोदी ( Narendra Modi ) ने समिट से इतर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात की। इस दौरान मोदी ने अमेठी में राइफल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने में रूस के समर्थन के लिए पुतिन को धन्यवाद कहा।
पाक पीएम ने तोड़ा प्रोटोकॉल सम्मेलन के उद्धाटन समारोह के दौरान उस वक्त पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने अजीबो-गरीब स्थिति पैदा कर दी, जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Narendra Modi ) सहित अन्य नेताओं के खड़े रहने के दौरान ही वह अपनी सीट पर बैठ गए। इमरान का नाम पुकारे जाने पर वह कुछ पल के लिए खड़े हुए और फिर अन्य नेताओं के बैठने से पहले ही बैठ गए।
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इमरान की ओर से इस तरह कूटनीतिक प्रोटोकॉल तोड़े जाने पर सोशल मीडिया पर उनका खूब मजाक उड़ाया गया।
एससीओ की स्थापना पिछले दो दशकों में एससीओ दुनिया का एक प्रभावी और महत्वपूर्ण संगठन बन कर उभरा है। साल 1996 में स्थापित इस संगठन को आंरभ में शंघाई-5 के नाम से जाना जाता था। दरअसल आंरभ में इसका उद्देश्य केवल मात्र मध्य एशियाई देशों तजाकिस्तान, कजाकस्तान और किर्गिस्तान के साथ लगती रूस और चीन की सीमाओं का निर्धारण कर उनके बीच उत्पन्न होने वाले तनाव को रोकाना था। इस उद्देश्य में एससीओ सफल भी रहा।
इसी वजह से इसे काफी प्रभावी संगठन माना जाता है।
जून 2001 में उज्बेकिस्तान भी इससे जुड़ गया और इसका नाम ‘शंघाई-को आॅपरेशन आॅर्गेनाइजेशन’ हो गया। अधिकारिक तौर पर 15 जून 2001 को इसका स्थापना दिवस मनाया जाता है।
साल 2002 में इसके चार्टर पर हस्ताक्षर किए गए और इसे अगले वर्ष अर्थात् 2003 में इसे लागु कर दिया गया। चार्टर एससीओ का एक संवैधानिक दस्तावेज है, जो संगठन के लक्ष्यों व सिद्धातों आदि के साथ इसकी संरचना तथा प्रमुख गतिविधियों को रेखांकित करता है।
रूसी और चीनी इसकी अधिकारिक भाषाएं है।
भारत 2015 में बना सदस्य देश सितंबर 2014 में भारत ने एससीओ की सदस्यता के लिए आवेदन किया और साल 2015 उफा में भारत और पाकिस्तान दोनों देशों को इसकी सदस्यता प्रदान की गई ।
साल 2017 में भारत और पाकिस्तान दोनों देशों को एससीओ की पूर्णकालिक सदस्यता प्रदान कर दी गई। एससीओ के आठ सदस्य देश वर्तमान में एससीओ में आठ सदस्य चीन, रूस, ताजिकिस्तान, कजाकस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान हैं। इसके अलावा चार आॅब्जर्वर देश अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया है।
छह संवाद सहयोगी अर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल श्रीलंका और तुर्की हैं। इसके शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के आब्जर्वर व संवाद सहयोगी देशों के प्रतिनिधियों के अलावा बहुराष्ट्रीय संस्थानों जैसे आसियान,संयुक्त राष्ट्र और सीआईएस के कुछ मेहमान प्रतिनिधियों को भी बुलाया जाता है। -एन.के. सोमानी
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