डिप्रेशन पहचानें और सही रास्ता अपनाएं
डिप्रेशन न्यूरो से जुड़ा एक डिस्आर्डर है जो दिमाग के उस हिस्से में बदलाव आने पर होता है जो मूड को कंट्रोल करता हे। आज की भागदौड़ की जिंदगी (कैट रेस) में यह समस्या बढ़ती जा रही है। डिप्रेशन किसी भी उम्र में परिस्थितियां प्रतिकूल होने पर किसी को भी हो सकता है।
डिप्रेशन भी तीन तरह का होता है सायकलॉजिकल, बायलाजिकल और फिजिकल, इन्हें पहचान कर ही लाइफस्टाइल बदलकर या डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए। सायकलॉजिकल डिप्रेशन में रोगी अक्सर उदास, निराश और परेशान रहता है। उसे किसी से मिलना अच्छा नहीं लगता, खुशी के अवसर पर भी दुखी रहना, नकारात्मक बातें करना, अपने व्यक्तित्व पर ध्यान न देना और झल्लाकर बात का जवाब देता है।
बायलॉजिकल डिप्रेशन में रोगी की नींद या तो ज्यादा होती है या बहुत कम। इसी प्रकार या तो रोगी बहुत खाता है या खाने की इच्छा नहीं होती।
Table of Contents
फिजिकल:-
फिजिकल डिप्रेशन में रोगी हर समय थका-थका रहता है। वजन या तो बढ़ जाता है या अचानक कम हो जाता है। रोगी को शरीर में दर्द और सिरदर्द की शिकयत बनी रहती है।
क्यों होता है डिप्रेशन:-
- नौकरी या कारोबार में सही तालमेल न होना, पैसों का कारोबार में नुकसान होना।
- किसी बड़ी बीमारी की आशंका का होना।
- बच्चों में रिजल्ट खराब आना।
- किसी करीबी से बिछुड़ना या करीबी की अकस्मात मौत हो जाना।
- भविष्य के प्रति अनिश्चितता।
- हार्मोंस में बदलाव होने पर।
- किशोरावस्था में प्यार में ब्रेकअप होना, विवाह के पश्चात तलाक होने पर।
- जींस में किसी प्रकार की गड़बड़ी होना।
- लंबी बीमारी के कारण।
- रिटायरमेंट के बाद स्वयं को बेकार समझना।
- पैसा डूबने पर या कर्ज न चुका पाने पर।
डॉक्टर से कब मिलें:-
10-15 दिन तक लगातार उदास रहने पर डॉक्टर के पास जाकर सलाह लेनी चाहिए। जैसे हम अन्य बीमारियों के लिए डॉक्टर से जांच करा कर दवा लेते हैं। इसी प्रकार डिप्रेशन होने पर डॉक्टर के पास जाने से न घबराएं। अगर मामले की अभी श्ुारूआत है तो साइकॉलाजिस्ट से मिलने की सलाह दी जाती है जो मरीज की काउंसलिंग कर डिप्रेशन से बाहर आने में मदद करता है। अगर मामला पुराना हो जाए तो सायकायट्रिस्ट से मदद लेनी पड़ती है जो काउंसलिंग के साथ रोगी को दवा भी देता है।
बहुत से लोगों को लगता है डिप्रेशन में रहना फलां की आदत है, यह गलत है। यह आदत नहीं। न्यूरो से जुड़ी बीमारी है। उचित इलाज कर ठीक हो सकते हैं। अगर इसे नजरअंदाज करेंगे तो यह घातक भी हो सकता है। कई लोगों के अनुसार डिप्रेशन पागलपन है। नहीं। यह पागलपन नहीं है। इसकी दवा ठीक होने पर डॉक्टर बंद कर देते हैं। इसकी दवा लेने से साइड-इफेक्ट नहीं होता।
डिप्रेशन में ऐसे करें मदद:-
- पालतू जानवर को पालें ताकि उसे घुमाने, उसका ध्यान रखने में काफी समय बीत जाएगा।
- जो हमारे पास है उसके लिए प्रभु का शुक्रि यादा करें। बहुतों के पास वो भी नहंीं है।
- प्रतिदिन धूप का सेवन करें। इससे डिप्रेशन कंम होता है।
- अपने किसी शौक को पूरा करने में समय का सदुपयोग करें।
- उधार न लें। उधार लेने पर भी डिप्रेशन होता हे। अपनी चादर के अनुसार पैर पसारें।
- चेहरे पर मुस्कान बनाए रखें।
- मदद करने का प्रयास करें, खुशी मिलती हे। अगर आपकी कोई मदद करता है तो धन्यवाद देना न भूलें।
- अपने जीवन में ईगो को स्थान न दें। आई (मैं) को मिटाकर वी (हम) अपनाएं। आई इलनेस देती है और वी वेलनेस देती है।
- अपनों के साथ समय बिताएं। उनके साथ संपर्क बना कर रखें, मिलते जुलते रहें।
- सकारात्मक सोच रखें।
- किसी भी तरह का नशा न करें। चाहे वह इंटरनेट सर्फिंग हो, मोबाइल गेम्स या सोशल नेट वर्किंग। इनका सीमित प्रयोग ही सेहत के लिए अच्छा है।
- व्यायाम नियमित करें। कोई और डिप्रेशन में है तो उसके साथ मिलकर व्यायाम करें। इससे एंडार्फिन हार्मोन निकलते हैं जो डिप्रेशन से राहत दिलाते हैं।
- मूड को बेहतर बनाने वाला आहार लें, थोड़ा चॉकलेट का सेवन करें इसके अतिरिक्त पौष्टिक आहार नियमित लें जैसे ओट्स, गेहूं, दूध, दूध से बने पदार्थ, नट्स, शकरकंद, जामुन, ब्लूबैरी, किवी , पालक, संतरा, गाजर, टमाटर,फ्लैक्स सीडस आदि।
- रोगी की तारीफ करें ताकि उसका आत्मविश्वास बढ़े और उसमें उत्साह का संचार हो।
- कॉमेडी फिल्में, कॉमेडी प्रोग्राम परिवार के साथ देंखे। मधुर गाने सुनें जो सॉफ्ट हों।
- मरीज की बात सुनें, उसकी भावनाएं समझें, मजाक न बनाएं। दोस्ती का वातावरण बनाएं। रोगी से आराम से बात करें, अपना संयम बना कर रखें। प्यार से बात करने से रोगी का मन शांत हो जाएगा।
- रोगी को किसी भी काम के लिए जबरदस्ती न करें जैसे बाहर ले जाने पर, जबरदस्ती औरों से बात करने के लिए आदि।
- अगर रोगी को लगे उसके साथ ही बुरा क्यों होता है तो उसका हाथ हाथों में लें, तसल्ली दें। मन ठीक होने पर बताएं कि बुरा सबके साथ कुछ न कुछ होता है। यह समय भी चला जाएगा। सब ठीक होगा।
- अगर सभी कोशिशें नाकामयाब हों तो डॉक्टर के पास ले जाएं और विश्ोषज्ञ की सलाह अनुसार चलें। उसे बताकर ही डॉक्टर के पास लें जाएं। यह मान कर चलें कि उसे न्यूरो संबंधी बीमारी है। उसके लिए उचित इलाज करवाना जरूरी है।